इस्कॉन मंदिर, दिल्ली

इस्कॉन मंदिर, दिल्ली

13 अगस्त 2013
नंदनी द्वारा
इस्कॉन मंदिर, दिल्ली
इस्कॉन मंदिर, दिल्लीः भगवान कृष्ण का भव्य निवास
स्थानः हरि कृष्ण पहाड़ी, कैलाश के पूर्व में, नई दिल्ली

इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन के 40 में से एक मंदिर दिल्ली में है, जिसका निर्माण वर्ष 1998 में किया गया था। हरि कृष्ण पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर कैलाश इलाके के पूर्वी हिस्से में है। यह राजधानी के सबसे आलीशान मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को पूरी तरह समर्पित है। इसे श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है। इस्कॉन मंदिर का निर्माण हरे रामा हरे कृष्णा संप्रदाय ने किया था, जिसका उद्देश्य था श्रीमद भगवत गीता के संदेश को प्रसारित करना। दिल्ली में इस्कॉन मंदिर भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है। इसमें कई कमरे और हॉल हैं। यह मंदिर बेहतरीन वास्तु कला का नायाब उदाहरण है, जिसके शिखर भी 90 मीटर ऊंचे हैं। मंदिर का अंदरूनी साज-सज्जा रूसी कलाकारों के काम से खूबसूरत बन पड़ी है। इसमें राधा-कृष्ण और सीता-राम जैसे भगवानों के जीवन वृत्तांतों को प्रदर्शित किया गया है। सेंट्रल हॉल का विशेष जिक्र करना जरूरी है, जहां राधा-कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हैं। हॉल के स्वर्गिक आनंद देने वाला नजारा वहां आने वाले हर श्रद्धालु के मन में अध्यात्मिक प्रबोधन जगाता है। मंदिर परिसर में जैसे ही कोई प्रवेश करता है, वहां की शांति उसकी आत्मा को छू लेती है। अंदर का वातावरण बेहद प्रबोधनकारी और मजेदार है। पुजारी और भक्त हवा में अपनी बांहों को फैलाकर मंत्र का उच्चारण करते हैं- “हरे रामा हरे कृष्णा।” मंदिर में दर्शन का सबसे अच्छा वक्त आरती का होता है, जब सुरों में सजे मंत्र और ढोल की लयबद्ध ताल पर चल रहे गीत आपको भगवान के करीब लाते हैं।

समयः मुख्य हॉल दोपहर एक से चार बजे तक बंद रहता है। फिर रात को 9 बजे से तड़के 4.30 बजे तक।
प्रार्थना का वक्त
सुबह की प्रार्थना का वक्तः सुबह 4.30 बजे, 7.15 बजे, 7.45 बजे
शाम की प्रार्थना का वक्तः दोपहर 12.30 बजे, 7 बजे और 7.45 बजे
फोटोग्राफीः मंदिर प्रशासन से अनुमति लेना आवश्यक

संक्षेप में जानकारीः

यह मंदिर जाति और संप्रदायों में कोई भेदभाव नहीं करता। सबको यहां प्रवेश की अनुमति है।

मंदिर परिसर के मुख्य हॉल के अलावा यहां एक संग्रहालय भी है, जहां रामायण, महाभारत और भगवत गीता के विभिन्न प्रवचनों को समझाने के लिए मल्टीमीडिया शो चलते हैं।

मंदिर की अपनी एक लाइब्रेरी भी है, जहां अध्यात्मिक किताबों का एक बड़ा संग्रह है।

मंदिर परिसर में स्थित गोविंदा के रेस्त्रां में बेहतरीन सात्विक भोजन परोसा जाता है, वह भी बिना प्याज-लहसुन का।

जन्माष्टमी यानी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर भव्य आयोजन होता है। इस उत्सव पर यहां शामिल होना एक चमत्कृत कर देने वाला अनुभव होता है। हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्र होते हैं और भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। वह भी पूरे समर्पण और भक्ति-भाव के साथ।  

अंतिम संशोधन : जुलाई 24, 2018