कर्नाटक में देखने लायक स्थान

कर्नाटक में देखने लायक स्थान

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कर्नाटक की यात्रा
पर्यटन की दृष्टि से भारत का पांचवां सबसे लोकप्रिय राज्य है कर्नाटक। इस राज्य में प्राकृतिक सुंदरता और विरासत का सटीक मिश्रण है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू (पहले बैंगलोर के नाम से जाना जाता था) भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग का हब होने की वजह से देश के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। कौन अंदाजा लगा सकता है कि भारत के 3,600 केंद्रीय संरक्षित ऐतिहासिक स्मारकों में से 507 कर्नाटक में हैं। उत्तरप्रदेश के बाद सबसे ज्यादा। राज्य के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में दुनिया के कई हिस्सों से भक्त अपने देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं और खुद क¨ कर्नाटक पर्यटन का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं।

कर्नाटक में 320 किलोमीटर लंबा समुद्र तट है। ताड़ के पेड़ों की श्रंृखला इन तटों की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है। यह सब मिलाकर कर्नाटक देश का ऐसा स्थान बन जाता है, जहां जरूर जाना ही चाहिए। चिकमंगलूर और मेडिकेरी क¢ स्तब्ध कर देने वाले नजारों से लेकर सुरम्य कूर्ग, जंगलों से भरे बिलगिरी तक, कर्नाटक क¢ यह हिल स्टेशन राज्य क¢ प्रमुख आकर्षण हैं। इनमें से कुछ हिल स्टेशनों का ऐतिहासिक महत्व तो है ही धार्मिक महत्व भी है। इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों में कर्नाटक स्वास्थ्य पर्यटन में भी ल¨कप्रिय हुआ है। वैकल्पिक उपचार के लिए कई स्वास्थ्य पर्यटक राज्य की ओर रुख कर रहे हैं।

सरल शब्दों में, कर्नाटक में पर्यटन मुख्य रूप से राज्य के चार भौगोलिक क्षेत्रों में बंटा है। इनके नाम हैं- उत्तरी कर्नाटक, हिल स्टेशन, तटीय कर्नाटक और दक्षिण कर्नाटक।

भ©ग¨लिक स्थिति
भारत के दक्षिणी हिस्से में 11-5° से 18-5° उत्तरी लैटीट्यूड, और 74° से 78-5° पूर्वी लॉन्जीट्यूड तक स्थित है कर्नाटक राज्य। पश्चिम की ओर कर्नाटक समुद्र और अरब सागर से घिरा है। उत्तर-पश्चिम में गोवा की सीमा है जबकि उत्तरी हिस्से में महाराष्ट्र। उत्तर-पूर्व की ओर तेलंगाना और पूर्वी हिस्से में आंध्र प्रदेश है। दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में केरल है।

जनसांख्यिकीय
स्थानः भारत का दक्षिणी हिस्सा, महाराष्ट्र और गोवा उत्तर और उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में केरल और तमिलनाडु, पूर्व में आंध्र प्रदेश
लैटीट्यूडः 11-5° -18-5 ° उत्तर
लॉन्जीट्यूड: 74°- 78-5 ° पूर्व
क्षेत्रफल: 1,91,791 वर्ग किलोमीटर
मौसमः गर्मियां- गर्म, सर्दियां- ठंडी
अधिकतम तापमानः 40° सेंटीग्रेड
न्यूनतम तापमानः 10° सेंटीग्रेड
औसत सालाना बारिशः 450 सेमी
राजधानी: बैंगलोर
आबादीः 44977
भाषाः कन्नड, तुलू, कोंकणी, कोडावा, हिंदी, अंग्रेजी
धर्मः हिंदू, जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई
जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महीनेः सितंबर से फरवरी
कपड़ेः गर्मियां- हल्के सूती, सर्दियां- ऊनी
कैसे पहुंच सकते हैं
कर्नाटक भारत के कुछ सबसे आधुनिक राज्यों में से एक है। इसमें सड़क, रेलवे और हवाई यातायात का संगठित नेटवर्क है। परिवहन सुविधाओं ने राज्य के पर्यटन क¢ विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हवाई यातायात से
कर्नाटक में चार घरेलू और दो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। राज्य का सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डा बेंगलुरू का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इन हवाई अड्डों पर आने अ©र यहां से जाने वाली उड़ानों से यह राज्य देश के अन्य हिस्सों और पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है।

रेल से
कर्नाटक में व्यापक रेलवे नेटवर्क है, जिसकी लंबाई 3,089 किलोमीटर है। राज्य के कुछ हिस्से भारतीय रेलवे के दक्षिण-पश्चिम जोन में आते हैं, जबकि बाकी क्षेत्र दक्षिण रेलवे और कोंकण रेलवे नेटवर्क में आते हैं। राज्य में चलने वाली ट्रेनों के जरिए सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुंचा जा सकता है।

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में गोल्डन चैरिएट शुरू की है। यह ट्रेन राज्य और गोवा के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ती है। यात्रियों के लिए तो यह वरदान है।

सड़क मार्ग से
कर्नाटक में सड़कों का नेटवर्क भी बहुत अच्छा है। राज्य के सभी प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों तक इन सड़कों के जाल से पहुंचा जा सकता है। कर्नाटक 15 राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा है। राज्य के राजमार्गों का भी एक बड़ा नेटवर्क है। राज्य में 3,973 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग और 9,829 किमी राज्य के राजमार्ग है। कर्नाटक सड़क राज्य परिवहन निगम (केएसआरटीसी) पूरे राज्य में नियमित बस सेवा चलाती है।

जाने के लिए सबसे अच्छा समय
कर्नाटक में न तो बहुत ज्यादा गर्मी है और न बहुत ज्यादा ठंड। जून से सितंबर तक मानसून जरूर सक्रिय रहता है। अक्टूबर से जनवरी तक का वक्त राज्य में यात्रा करने के लिए अच्छा है। राज्य में इस दौरान मौसम कष्टकारी नहीं होता। राज्य में औसतन अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज होता है।

कर्नाटक में यात्रा के लिए कितने दिन काफी हैं
कर्नाटक में यात्रा के लिए दिनों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि आप छुट्टियों के कितने दिन कितने पर्यटन स्थलों पर गुजारना चाहते हैं। कर्नाटक बहुत बड़ा राज्य है। इस वजह से यहां ऐतिहासिक विरासतें, समुद्री तट और धार्मिक स्थलों का अच्छा मिश्रण है। पर्यटकों को अपनी छुट्टियों की योजना बनाकर आना चाहिए और राज्य के एक खास हिस्से में जाना चाहिए। आप एक छुट्टियों में कर्नाटक के तटीय इलाकों में जा सकते हैं। एक छुट्टियों में बड़े शहरों में और इसी तरह योजना बना सकते हैं।

कर्नाटक में घूमने के लिए जगहें
कर्नाटक राज्य में समुद्री तटों, ऐतिहासिक स्मारकों, मंदिरों और राष्ट्रीय पार्कों की एक विस्तृत श्रंृखला है। उनमें से चुनना होता है। ऐसे में बहुत बड़ी सूची में कुछ को चुनना बहुत मुश्किल काम है। हम यहां कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की सूची दे रहे हैंः

  • कूर्ग हिल स्टेशन
  • महाबलेश्वर मंदिर, गोकर्ण
  • मैसूर पैलेस, मैसूर
  • गोल गुंबज, बीजापुर
  • दरिया दौलत बाग
  • ख्वाजा बंदे नवाज दरगाह, गुलबर्गा
  • हम्पी
  • जोग फॉल्स
  • मागोद फॉल्स
  • शिवनसमुद्र फॉल्स
  • इरुप्पु फॉल्स
  • लालगुड़ी फॉल्स
  • नृत्यग्राम डांस विलेज
  • गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब बिदार
  • गोकर्ण के समुद्री तट
  • मुरुदेश्वर तट
  • करवाड़ तट
  • मल्लिकार्जुन मंदिर, पट्टडाकल
  • बांदीपुर नेशनल पार्क
  • बादामी में गुफा मंदिर
  • आइहोले के चट्टानों में बने मंदिर

यात्रा के लिए सलाह
दुनियाभर के पर्यटकों के लिए कर्नाटक एक सुरक्षित राज्य है। लेकिन पर्यटकों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएः

  • अपने सामान को लेकर सतर्क रहें, खासकर भीड़भरी जगहों पर।
  • यदि आप स्थानीय नहीं हैं या स्थानीय भाषा नहीं जानते तो समूह में यात्रा करें।
  • संवाद में आसानी के लिए स्थानीय भाषा के कुछ शब्द सीखने की कोशिश करें।
  • यदि गर्मियों में सफर कर रहे हैं तो जरूरी दवाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर अपने साथ रखें।
  • अपनी यात्रा को पहले ही नियोजित कर लें। राज्य पर्यटन विभाग या भरोसेमंद ट्रेवल एजेंट्स का इस्तेमाल करें।

यात्रा का खर्च
आप अपनी यात्रा में कितने पर्यटन स्थलों पर जाना चाहते हैं, इससे ही तय होगा कि यात्रा में आपको कितना खर्च करना पड़ेगा। कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम (केएसटीडीसी) पर्यटकों के लिए कई तरह के पैकेज की पेशकश देता है। इनमें से कुछ हैं- हेरिटेड हॉलीडे पैकेज, नेचर हॉलीडे पैकेज, बीच हॉलीडे पैकेज, पिलग्रिमेज हॉलीडे पैकेज और सिटी हॉलीडे पैकेज। यदि आपको तटीय कर्नाटक जाना है तो आपको खास पैकेज भी मिल जाएंगे।

कर्नाटक का रेलवे नेटवर्क सभी तरह के पर्यटकों के लिए कुछ न कुछ खास पेश करता है। आम तौर पर गोल्डन चैरियेट में 7 रात और 8 दिन की यात्रा पर्यटन स्थलों की विस्तृत श्रंृखला पूरी करती है। इनमें मैसूर, श्रीरंगपट्टनम, काबिनी, श्रावणबेलागोला, बेलुर, हालेबिडु, हम्पी, बादामी, आइहोल, पट्टडाकल और गोवा शामिल हैं। भारतीय व्यक्ति के लिए प्रति व्यक्ति खर्च 22 हजार रुपए या 1,54,000 रुपए का पैकेज है। विदेशी पर्यटकों के लिए खर्च में अंतर आएगा।

लोकप्रिय वस्तुएं
सरकारी एम्पोरियम से लेकर मॉल्स, प्राइवेट दुकानों तक कर्नाटक में हस्तशिल्प की एक विस्तृत श्रंृखला है। कुछ सबसे लोकप्रिय उत्पाद राज्य के पर्याय बन चुके हैंः

 

  • चंदन की मूर्तियां
  • नक्काशीदार धातु, पत्थर और लकड़ी की वस्तुएं
  • मैसूर की सिल्क साडि़यां
  • चंदन की लकड़ी का तेल
  • अगरबत्ती
  • मैसूर की मैसूर पेंटिंग्स
  • लंबानी ज्वेलरी
  • बीजापुर हैंडलूम्स
  • बिद्रीवेयर की कलाकृतियां (जस्ते और तांबे से बनी)
  • कर्नाटकी संगीत (भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध शाखा)
  • तटीय कर्नाटक के उडुपी व्यंजन

 


होटल और आवास विकल्प
राज्य में आवास क¢ लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। लॉज या गेस्ट हाउस से लेकर होटल्स (सस्ते से महंगे तक), किराये पर अपार्टमेंट्स से होस्टल्स तक। आप बांदीपुर और नागरहोल वन्यजीव अभयारण्यों में रेस्ट हाउस या लग्जरी होटल्स चुन सकते हैं।

व्यंजन
कर्नाटक के व्यंजन जीभ पर पानी ला देने क¢ लिए काफी हैं। राज्य में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही व्यंजनों में विविधता है। राज्य के खान-पान पर पड़ोसी राज्यों का भी गहरा असर देखा जा सकता है। कन्नड़ व्यंजन सबसे पुराने और सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजन हैं। पारंपरिक कन्नडिगा व्यंजनों से लेकर उडुपी, मैंगलोरियन और कोडावा तक, राज्य में खान-पान की आदतें दक्षिण से उत्तरी हिस्से में बहुत अंतर पैदा करती हैं।

राज्य के कुछ सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनः

  • मैसूर मसाला दोसा
  • मैंगलोर में कैन फ्राय (लेडी फिश)
  • मामसा सारू (मटन करी- कन्नड स्टाइल)
  • केसरी भात
  • मैंगलोर में पैटरोडे
  • मलनाड में मिडिगायी पिकल (कच्चा आम) और सैंडीज
  • उडुपी में मसाला दोसा
  • कोडावा में पांडी करी (पोर्क करी)
  • उत्तरी कर्नाटक में धारवाड़ पेड़ा
  • बीजापुर में दोसा पांडी करी
  • नाश्ते के लिए थत्ते इडली (फ्लैट इडली)
  • मैसूर पाक (मिठाई)
  • शैवीज पयासा (मिठाई)
  • बालका ( डीप फ्राइ सब्जियों और फलों के चिप्स से बना नाश्ता)
  • कापी (फिल्टर कॉफी)

कर्नाटक में देखने लयक जगहें
कर्नाटक क¢ पर्यटन स्थल¨ं क¢ बिना कर्नाटक पर्यटन का क¨ई अस्तित्व नहीं है। कर्नाटक क¢ पर्यटन स्थल वह क¨शिकाएं हैं, जिनक¢ मिलने से कर्नाटक पर्यटन का पूरा शरीर बनता है।

कर्नाटक क¢ पर्यटन स्थल
बेंगलुरू - बगीच¨ं क¢ शहर क¢ नाम से मशहूर बेंगलुरू को एशिया का सबसे उन्नत मोबाइल शहर माना जाता है। यह अपने खूबसूरत बगीच¨ं, बड़े-बड़े माॅल्स, पेड़ों से ढंकी सुंदर सड़कों, विदेशी सामानों से सजी गैलेरियों, राजसी महलों, किलों और मंदिरों क¢ लिए भी विख्यात है। कर्नाटक क¢ ये पर्यटन स्थल बेंगलुरू में हैंः

बेंगलुरू
बेंगलुरू नगर अपने अनेक पर्यटन स्थलों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां क¢ खूबसूरत बाग-बगीचे, संग्रहालय, मंदिर, ऐतिहासिक इमारतें और झीलें पर्यटकों को हमेशा आकर्षित करेंगी। बेंगलुरू क¢ प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैंः
  • बुल टेंपल
  • संगमेश्वरा मंदिर
  • ह¨ने देवी मंदिर
  • धर्मराज मंदिर
  • जामा मस्जिद
  • सरकारी संग्रहालय
  • विश्वेश्वरैया संग्रहालय
  • वेंकटप्पा आर्ट गैलरी
  • कबन पार्क
  • उलसूर झील
  • लाल बाग
  • टीपू सुल्तान का महल
  • विधान स©ंध (विधान सभा)

इस शहर मंे कई पांच सितारा होटल और रिजाॅर्ट हैं। इसलिए पर्यटकांे को रहने या खाने-पीने की कोई समस्या नहीं होगी।

मैसूरः
मैसूर कर्नाटक का राजसी महल¨ं का शहर है। यह शहर रेशमी साडि़य¨ं और चंदन की लकड़ी से बने सामानों क¢ लिए मशहूर है। कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर और पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है।

बेंगलुरू से 139 किमी. दूर स्थित यह शहर पहले कर्नाटक की राजधानी था। इसे भारत की सबसे समृद्ध रेशमी साडि़यों की बुनाई क¢ लिए जाना जाता है। मैसूर जिले और संभाग का प्रशासनिक केंद्र भी है।

कर्नाटक का इतिहास बताता है कि मैसूर वाडियार शासक¨ं की राजधानी होता था। बाद में यह शहर हैदर अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के हाथों में आ गया था। इससे इस शहर में राजाओं और सुल्तानों की संस्कृति का खूबसूरत संगम देखने को मिलता है।

चंदन की लकडि़यों, खूबसूरत साडि़यों के अलावा यह शहर अपने हस्तशिल्प क¢ लिए भी जाना जाता है। दस दिन तक चलने वाला दशहरे का त्योहार यहां का सबसे ल¨कप्रिय त्योहार है। इसकी धूम देश-विदेश तक में रहती है। इस त्योहार क¢ समय यहां का महल एक महीने तक रोशनी में नहाया रहता है। त्योहार क¢ आखिरी दिन शोभायात्रा निकलती है। इसमंे सोने-चांदी से जडि़त रथों को सजे-धजे हाथी खींचते हैं।

किवदंती है कि कभी यह शहर राक्षसराज महिषासुर का इलाका था। एक समय वह अजेय हो गया था। तब देवी चामुंडेश्वरी ने 10 दिन तक चले महासंग्राम क¢ बाद उसका वध किया था। दशहरे का त्योहार इसी जीत की याद में मनाया जाता है।

श्रवणबेलगोलाः
श्रवणबेलगोला जैन धर्म के मुख्य केंद्र के रूप मंे प्रसिद्ध है। बेंगलुरू से 158 किमी. दूर इस शहर में जैनियों का मेला-सा लगा रहता है। यहां विंध्यगिरी की पहाड़ी को काटकर श्री गोमतेश्वर की भव्य प्रतिमा बनाई गई है। श्रवणबेलगोला की चोटी समुद्र तल से 3347 फीट उंची है। यहां तक जाने के लिए 614 सीढि़यां हैं। दिल क¢ रोगियों को यहां जाने पर पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है ताकि इस खतरनाक चढ़ाई पर उन्हें कोई दिक्कत न हो। इस शहर का सबसे बड़ा आकर्षण 59 फीट 8 इंच ऊंची गोमतेश्वर की ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा है। इसे 978 से 993 ईस्वी सन क¢ बीच राजा राजमाला क¢ मंत्री चंद्रोदय की निगरानी में बनाया गया था। गोमतेश्वर को जैनों के पहले तीर्थंकर आदिनाथ का उत्तराधिकारी माना जाता है।

इस विशालकाय प्रतिमा को ’बाहुबली’ के नाम से भी जाना जाता है। कन्नड़, तमिल और मराठी भाषी लोग इसे सबसे पुरानी प्रतिमा भी मानते हैं। उनका मानना है कि यह वर्ष 981 में बनाई गई। यहां के शिलालेखों में इतिहास की अनेक बातें दर्ज हैं। इनमें विभिन्न राजघरानों के उत्थान व पतन की कहानी है। यह दर्ज है कि गंगा, होयसाल, विजयनगर और राष्ट्रकूट बड़ी ताकत कैसे बने?

बेलूरः
यह कर्नाटक के हसन जिले का कस्बा है और एक हजार साल पुराने चेन्नाकेशव मंदिर क¢ लिए मशहूर है। मंदिर होयसल वंश के शासनकाल में बना। यह अपने अनोखे शिल्प के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

बेलूर ऐसा स्थान है, जो बताता है कि होयसल वंश के राजाओं ने सामाजिक और धार्मिक कार्यों में खूब धन खर्च किया। वे शिल्प व कला के क्षेत्र को खूब बढ़ावा देते थे। यहां के मंदिर को देखकर इसके इतिहास के प्रति गर्व होना स्वाभाविक है।

चेन्नाकेशव मंदिर की डिजाइन होयसल शासनकाल के दौरान की श्रेष्ठ स्थापत्य कला का जीता-जागता सबूत है। भगवान विष्णु का यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यह बेलूर का सबसे बड़ा आकर्षण भी है। चेन्नाकेशव मंदिर का प्रवेश द्वार ही इसकी खूबसूरती बयान करता है। यह द्रविड़ काल के शिल्प का श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसे गोपुरम भी कहा जाता है। इस आयताकार मंदिर में चार कोने का एक बड़ा हाॅल है। कांक्रीट क¢ मजबूत पिलर हैं। दीवार और खंभों में सुंदर मूर्तिकारी की गई है।

हैलेबिडः
हैलेबिड 12वीं शताब्दी के मध्य मंे होयसल वंश के राजाओं की राजधानी हुआ करता था। यह हसन जिले में स्थित है। मैसूर से करीब 149 किमी. की दूरी पर है। इस दूरी के बावजूद आसानी से पहुंच में है।

हैलेबिड तक मैंगल¨र, मैसूर और बेंगलुरू तीनों जगहों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां आने वाले अधिकतर लोग श्रद्धालु होते हैं। होयसालेश्वरा और केदारेश्वरा नामक दो मंदिर उन्हें अपनी ओर खींचते हैं। एकांत में छुट्टियां मनाने के शौकीन लोगों की पसंदीदा जगह¨ं में यह भी शामिल हैं।

होयसालेश्वरा मंदिर प्राचीन झील के किनारे बना है। इससे यहां का माहौल बेहद शांतिपूर्ण और मन को सुकून देने वाला है। यहां से समुद्र की शुरुआत भी मानी जाती है। स्थानीय भाषा में इसे द्वार-समुद्रम यानी समुद्र का द्वार भी कहा जाता है।

मंदिर के द्वार पर दो नंदी बैल बने हुए हैं, जो इसक¢ रक्षक माने जाते हैं। ये महज एक-एक पत्थर से तराशे गए हैं। हैलेबिड के मंदिर मुख्य रूप से क्लोरिटिक शीस्ट यानी एक तरह के सोपस्टोन से बने हैं। इनकी स्थापत्य कला अद्वितीय है।

बीजापुरः
कर्नाटक की इस प्रसिद्ध जगह बीजापुर के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं-
गोल गुंबज या गोला गुम्बजा: इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुंबज माना जाता है। इसका व्यास 124 फीट है। गुंबज चार खंभों पर टिका है। बुर्ज की सीढि़यों के सहारे इसकी बालकनी में पहुंच सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जरा-सी फुसफुसाहट भी दूसरे छोर पर साफ-साफ सुनी जा सकती है। गुंबज की यही खासियत पर्यटकों को बेहद धीमा बोलने को मजबूर कर देती है।

जामा मस्जिदः इसे भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों मंे से एक माना जाता है। यहां मुस्लिमों के पवित्र गं्रथ कुरान की खूबसूरत प्रतिकृति है, जिसमें सोने से नाम खुदे हैं। मस्जिद का बारह कामन इसका बड़ा आकर्षण है, जो मुख्य स्टेज को भव्य बनाता है। इस पर कई तरह क¢ समारोह होते रहते हैं।

मालिक-ए-मैदानः यदि आप कुछ मांगना चाहते हैं तो यहां रखे मालिक-ए-मैदान नामक तोप को छूकर मांग सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां मांगी हुई मुरादें पूरी होती हैं। इस तोप का वजन 55 टन और लंबाई 14 फीट है। इब्राहिम रोजाः इस मकबरे का निर्माण आदिल शाह-2 ने कराया। यह निर्माण ताजमहल और दुनिया के सात अजूबों से प्रेरित था। इसमें नक्काशी का काम देखने लायक है।

आईह¨ल
कर्नाटक की इस प्रसिद्ध जगह के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं-
रावणपदि मंदिरः यह मंदिर सिर्फ एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। मंदिर के ऊपर मंडपम भी चट््टानों क¢ कुछ टुकड़ों से बना है। इसका निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ। मंदिर अपने शिवलिंग के लिए भी विख्यात है। यहां 30 से अधिक मंदिर हैं। तीन तरह के ये मंदिर कोंतिग्रुप आॅफ टेंपल के नाम से मशहूर हैं। इनमें लडखान मंदिर, हचिप्यागुडी मंदिर और हचिप्या मठ शामिल हैं। लडखान मंदिर का नाम एक भिक्षु के नाम पर पड़ा, जो यहां 19वीं शताब्दी में रहता था। इस मंदिर मंे दो मंडपम और एक शिवलिंग है। मंदिर का दूसरा आकर्षण इसक¢ नक्काशी किए हुए 12 खंभे हैं। ये मंदिर के सामने की खूबसूरती बढ़ाते हैं। इनकी डिजाइन ऐसी है कि इनसे वर्ग के भीतर वर्ग बनता है। दीवारें थोड़ी घुमावदार हैं और अलग-अलग फूलों के आकार का अहसास दिलाती हैं। हचिप्यागुडी मंदिर मंे एक विशेष शिखर है, जिसमंे छोटा सा मंदिर है।

गलगनाथ ग्रुप मंे दर्जनों मंदिर हैं, जिनमें से कम से कम 30 तो अभी सही सलामत हैं। यह मलप्रभा नदी के किनारे बने हुए हैं। मुख्य मंदिर भगवान शिव का है। गंगा और यमुना को समर्पित मंदिर भी यहां बने हुए हैं। आईह¨ल स्थित हचिमलीगुडी मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी का माना जाता है। यह अपने काल के मंदिरों से थोड़ा अलग है। यह प्राचीनकाल की शैली के विपरीत अर्धमंडपम शैली में बनाया गया है। इससे भगवान की मूर्ति और भव्य रूप में सामने आती है।

आईह¨ल में इनके अलावा दुर्गा के मंदिर देखे जा सकते हैं। मेगुती जैन मंदिर भी यहां का प्रमुख आकर्षण है।

बदामीः
बदामी को वातापी के नाम से भी जाना जाता है। यह चालुक्य वंश के शासनकाल की वास्तुकला और स्थापत्य कला के लिए मशहूर है। यहां अनेक मंदिर और गुफाएं हैं।

किवदंतियां हैं कि बदामी को नरसिंहवर्मा पल्लवन की हार के बाद बुरा वक्त देखना पड़ा। हालांकि, 12 वर्ष बाद चालुक्यांे ने पल्लवों से इसे फिर हासिल कर लिया और लंबे समय तक राज किया।

यहां की दो पहाडि़यों बदामी या इल्वालन और वातापी को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। लोग कहते हैं कि प्राचीन काल मंे यहां इल्वालन और वातापी नाम के दो बड़े राक्षस थे। दोनों जुड़वा भाई थे। ये यहां आतंक मचाते और लोगों को मारकर खा जाया करते थे। यह तब तक चलता रहा, जब तक कि इस इलाके में ऋषि अगस्त्य नहीं आए। अगस्त्य ने उन दोनों को मारकर लोगों को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई।

पट्टाडकलः
यह कर्नाटक का एक छोटा सा कस्बा है। यह विभिन्य साम्राज्यों के दौरान बनाए गए अलग-अलग शैलियांे के मंदिरों का शानदार संगम है। हालांकि, यहां सर्वाधिक मंदिर चालुक्य काल के मिलते हैं, जो उसकी श्रेष्ठता और अनोखेपन को बताते हैं।

यहां के चार भव्य मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला को ध्यान मंे रखकर बनाए गए हैं। जबकि पपनाथ मंदिर नागवंश शासन काल के दौरान बना। इसमें उत्तर भारत में अपनाई जाने वाली शैली स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

हम्पीः
कर्नाटक का यह शहर अपने मंदिरों की स्थापत्य कला के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है। इसके अलावा यहां के मंदिरों को पौराणिक काल से भी जोड़ा जाता है। हम्पी को रामायणकालीन किष्किंधा बताया जाता है। ऐतिहासिक साक्ष्य कहते हैं कि मंदिरों का निर्माण विजयनगर क¢ राजाओं ने 1356 से 1565 के बीच कराया।

हम्पी के प्रमुख पर्यटन स्थल ये हैं-
वीरपक्ष मंदिरः यह कर्नाटक के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण है। इसके मंडपम और छत पर खूबसूरत पेंटिंग पर्यटकों को अपनी ओर लुभाते हैं। ये मंदिर रोज सुबह 8 से शाम साढ़े छह बजे तक खोले जाते हैं। इसमंे नौ मंजिला गोपुरम है। स्थानीय लोग यहां रोज पूजा-अर्चना करते हैं।
पुरातात्विक संग्रहालयः हम्पी के दक्षिणी हिस्से मंे पुरातात्विक संग्रहालय है। संग्रहालय ऐतिहासिक इमारत कमलापुरम के बाकी बचे हिस्से में बनाया गया है। यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है।

श्रीरंगपट्टनमः
श्रीरंगपट्टनम मैसूर से 15 किमी. दूर है। यह मैसूर-बेंगलुरू हाइवे पर स्थित है। यह कावेरी से घिरे तीन टापुओं मंे सबसे बड़ा है। सुरक्षा के लिहाज से बेहतर स्थिति में होने के चलते टीपू सुल्तान ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।

श्रीरंगपट्टनम बेंगलुरू से महज 127 किमी. दूर है। कावेरी नदी से घिरे होने के कारण यहां के प्राकृतिक नजारे देखते ही बनते हैं।

श्रीरंगपट्टनम मौजूदा समय में कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। खासकर लोग यहां के जामा मस्जिद, रंगनाथस्वामी मंदिर, रामपार्ट, दरिया-दौलत और म्यूजियम में घूमने जरूर जाते हैं।

श्रीरंगपट्टनम का इतिहास बेहद समृद्ध है। मैसूर क¢ शेर यानी टीपू सुल्तान का किला श्रीरंगपट्टनम हाउस, यहां का बड़ा आकर्षण है। टीपू सुल्तान अपने साथियों क¢ विश्वासघात के कारण अंग्रेजों से युद्ध हार गया था। उसकी हार के बाद किले पर अंग्रेजों का कब्जा रहा। किले के भीतर एक मस्जिद और श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर भी है।

श्रीरंगपट्टनम का एक और आकर्षण यहां का दरिया-दौलत बाग है। यह टीपू सुल्तान का गर्मिय¨ं का महल था। उसने इसे 1784 मंे बनवाया था। यहां का गोल गुंबज भी पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है और यहां आने वाले लोग उसे जरूर देखते हैं।

श्रिंगरीः
यह कर्नाटक का छोटा सा कस्बा है, जो पश्चिमी घाट पर बसा हुआ है। यह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आदि शंकराचार्य द्वारा अद्वैत की शिक्षा के लिए स्थापित शारदा पीठम भी इसकी पहचान है। शारदा पीठम के अलावा भी यहां हिंदू धर्म के कई प्रतीक हैं। इस प्राचीन कस्बे का नाम पास की पहाड़ी रिसाश्रिंगा पर आधारित है। और इस पहाड़ी का नाम यहां रहने वाले ऋषि के नाम पर पड़ा था। समुद्र तट से 672 मीटर उंचे इस कस्बे में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है। यह कस्बा श्रद्धालुअ¨ं क¢ साथ-साथ प्राकृतिक नजारे चाहने वालों का भी प्रमुख केंद्र है।

धार्मिक रूप से श्रिंगरी का सबसे बड़ा आकर्षण शारदाम्बा मंदिर है। कहते हैं कि आदि शंकराचार्य ने एक बार यहां एक नाग को देखा, जो अपने फन से ढंककर मेंढक को गर्मी से बचा रहा था। तब उन्होंने सोचा कि यह जगह धरती पर स्वर्ग हो सकती है। इसके बाद उन्होंने यहां शारदा देवी का मंदिर बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद यहां शारदा मंदिर और शारदा पीठम की स्थापना हुई जहां कृष्ण यजुर्वेद की शिक्षा आज भी दी जाती है। मठ का प्रमुख आज भी भारतीय दर्शन स्मार्त परंपरा का प्रमुख माना जाता है। उनके नाम के साथ शंकराचार्य या जगद्गुरु जोड़ा जाता है।

धर्मस्थलः
मंदिरांे के लिए मशहूर कर्नाटक का एक और कस्बा है धर्मस्थल। यह दक्षिण कन्नड़ जिले क¢ बेल्थागंडी तहसील में स्थित है।

धर्मस्थल पश्चिमी घाट क¢ बीच में नेत्रवती नदी के किनारे बसा है। यह उडुपी से सिर्फ 100 किमी. और मैंगल¨र से करीब 70 किमी. की दूरी पर है।

धर्मस्थल की पहली पहचान श्री मंजूनाथेश्वरा मंदिर क¢ लिए है। भगवान शिव का यह मंदिर अपने सोने क¢ शिवलिंग क¢ लिए प्रसिद्ध है। यहां पूरे कर्नाटक से हर जाति और वर्ग के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। हालांकि, मूल मंदिर के अब अवशेष ही बचे हैं।

धर्मस्थल अपने 8 जैन मंदिरों क¢ लिए भी पहचाना जाता है। यहां 11 मीटर ऊंची बाहुबलि की प्रतिमा भी है। इसे सन् 1604 में बनाया गया था।

धर्मस्थल कर्नाटक के उन श्रेष्ठ उदाहरणों में है जो सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक हैं। यह हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहां आने वाले श्रद्धालुअ¨ं को खाने और रहने की सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा मंदिर मंे दीपोत्सव के पर्व पर एक लाख तेल क¢ दिए रोज रात भर जलाए जाते हैं।

उडुपीः
उडुपी मंदिरों और मठों का शहर है। इसे कर्नाटक के सात मुक्ति स्थलों मंे से एक माना जाता है। यहां क¢ आठ संन्यासी मठ निम्नलिखित स्थानों पर हैं-
  • पालिमार का संन्यासी मठ। यह भगवान राम को समर्पित है।
  • सोडे का संन्यासी मठ। यह भगवान वराह को समर्पित है।
  • अडमार का संन्यासी मठ। यह भगवान कालियामर्दन कृष्ण को समर्पित है।
  • कृष्णपुरा का संन्यासी मठ। यह भगवान कालियामर्दन कृष्ण को समर्पित है।
  • कनियूर का संन्यासी मठ। यह भगवान नरसिंह को समर्पित है।
  • पुतिग का संन्यासी मठ। यह भगवान विट्ठल को समर्पित है।
  • पेजावर का संन्यासी मठ। यह भगवान विट्ठल को समर्पित है।
  • सिरूर का संन्यासी मठ। यह भगवान विट्ठल समर्पित है।

गोकर्णः
गोकर्ण हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां के समुद्री तट भी कम लुभावने नहीं हैं। लोग यहां अक्सर छुट्टियां मनाने आते हैं। स्पष्ट है कि इस कस्बे का नाम गाय के कान पर पड़ा है।

माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान शिव का जन्म गाय के कान से हुआ था। वे लंबी तपस्या के बाद गाय के कान से अवतरित हुए थे। एक धारणा यह भी है कि दो नदियों के संगम पर बसे इस गांव का आकार भी कान जैसा है। इसीलिए इसे गोकर्ण कहा गया।

गोकर्ण में चार समुद्री तट हैं। ये सभी बेहद शांत हैं क्योंकि इनकी सुंदरता के बारे में बाहर के लोग बहुत कम जानते हैं। रेत साफ-सुथरी और समुद्र एकदम नीला है। समुद्र मंे बड़ी संख्या में समुद्री पक्षी हैं जो पानी में अठखेलियां करते रहते हैं। खजूर और नारियल के पेड़ बीच की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं। इससे यहां समय बिताना बेहद यादगार हो जाता है। यहां सबसे लोकप्रिय गोकर्ण बीच है। फिर ओम बीच का नंबर आता है। इस बीच का आकार कुदरती तौर पर ओम अक्षर के जैसा है। पैराडाइज और हाफ मून बीच भी बेहद शांत और रमणीक हैं।

काटिल
यदि आप धार्मिक व्यक्ति हैं तो जब भी कर्नाटक जाएं, एक बार काटिल जाने का समय जरूर निकालें। यह बेंगलुरू से 387 किमी. और मैंगल¨र से 30 किमी. की दूरी पर है।

काटिल एक धार्मिक स्थान है। यहां मां दुर्गा परमेश्वरी का भव्य मंदिर है। कहते हैं कि यही मां दुर्गा परमेश्वरी का निवास है। यह मंदिर नंदिनी नदी के किनारे स्थित है। लोग यहां दूर-दूर से पूरे विश्वास के साथ शांति और समृद्धि की कामना लिए आते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि मां परमेश्वरी उन्हें हर दुख-दर्द से बचाएंगी और उनके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देंगी।

जब भी आप काटिल जाएंगे तो आपको पहले ध्वजास्तंभ मंडप मंदिर जाना होगा। यहां चांदी से जडि़त ध्वज की पूजा करनी होती है। इसके बाद देवी दुर्गा परमेश्वरी का मंदिर आता है और आप वहां पूजा करते हैं। यहां भगवान स्वयंभू लिंग की पूजा भी होती है जो हमेशा सोने से ढंके रहते हैं।

कुक्के सुब्रमण्याः
कुक्के सुब्रमण्या कर्नाटक की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह श्रद्धा का भी बड़ा केंद्र है। यह पश्चिमी घाट पर पहाडि़यों से घिरा गांव है। यहां भगवान सुब्रमण्या को सभी नागों क¢ स्वामी के रूप में पूजा जाता है। कुक्के सुब्रमण्या दक्षिण कन्नड़ जिले के सुल्लिया तहसील में है। यह बेंगलुरू से 386 किमी. दूरी पर धारा नदी के किनारे बसा है। पौराणिक ग्रंथों मंे उल्लेख है कि भगवान कुमारस्वामी यहां ताड़का, शूरपद्मासुर और अन्य कई राक्षसांे का वध कर आए थे। यहां आकर उन्होंने अपने शस्त्र धारा नदी में धोए थे। यह भी कहा जाता है कि गरूड़ द्वारा डराने पर नागराज व सभी सर्प भगवान सुब्रमण्या से खुद क¨ सुरक्षित महसूस करते हैं।

मूदबिदरीः
मूदबिदरी कर्नाटक के उन ख्यात स्थानों में से एक है, जो जैन शिक्षा के लिए जाने जाते हैं। यह दक्षिण कन्नड़ जिले का छोटा सा कस्बा है। यह जिला मुख्यालय से 37 किमी. दूर है। समुद्र तल से इसकी उंचाई 147 मीटर या 482 फीट है। 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच यह जैन धर्म, संस्कृति और स्थापत्य कला का मुख्य केंद्र रहा। इन सालों में मूदबिदरी मंे 18 जैन मंदिरों का निर्माण हुआ। जैन मठों का प्रमुख भट्टारका है। इनमें प्रमुख मठ ये हैंः
  • गुरू बसदी
  • त्रिभुवन तिलक चूड़ामणि बसदी
  • अम्मानवारा बसदी

करकला
करकला कर्नाटक क¢ दक्षिण में स्थित एक छ¨टा सा कस्बा है। यहां आपक¨ हजार¨ं साल पहले बने प्रसिद्ध जैन मंदिर मिलेंगे। पत्थर¨ं की संरचनाअ¨ं पर बनी जटिल डिजाइन, पत्थर की शानदार मूर्तियां अ©र खूबसूरत नक्काशी इस बात का प्रमाण हैं कि करकला क¢ मंदिर प्रतिभाशाली मूर्तिकार¨ं, वास्तुविज्ञ¨ं अ©र कलाकार¨ं क¢ मिलकर किए प्रयास¨ं का नतीजा हैं।

कर्नाटक में करकला पहाड़¨ं क¢ बीच म©जूद है अ©र यहां एक खाई भी है। इसे इनक¢ लिए भी पहचाना जाता हैः

  • महान करकला मंदिर
  • जैन स्तूप
  • जैन भगवान गंधर्व की विशालकाय मूर्ति

कर्नाटक में करकला क¢ मंदिर पहाड़ की च¨टी पर स्थित हैं। पहुंचने क¢ लिए पत्थर की सीढि़य¨ं का इस्तेमाल करना ह¨ता है। इन मंदिर¨ं की खासियत है यहां की बेहतरीन वास्तुकला, ह¨यसला जैसी मूर्तियां अ©र साथ ही अनूठी स्थापत्य कला।

करकला क¢ जैन मंदिर क¢ प्रवेश स्थल पर आपक¨ चट्टान में उक¢रे गए पदचिह्न मिलेंगे। यह गंधर्व क¨ समर्पित हैं। यह अनूठे हैं क्य¨ंकि बताया जाता है कि यह पवित्र संत क¢ मूल पदचिह्न हैं।

मेलक¨ट
कर्नाटक में मैसूर क¢ पास है मेलक¨ट। यह भगवान विष्णु क¢ प्राचीन मंदिर क¢ लिए प्रसिद्ध है। यहां उनकी पूजा तिरुनारायण क¢ त©र पर ह¨ती है। इस मंदिर का अध्यात्मिक गुरु रामानुजाचार्य से बहुत पुराना नाता रहा है। मेलक¨ट क¢ अन्य नाम हैंः
  • यादवगिरि
  • यतिस्थलम
  • वेदाद्री
  • नारायणाद्री

मेलक¨ट क¢ प्रमुख भगवान तिरुनारायण हैं। हालांकि, जुलूस में विष्णु की छवि क¨ सेल्वापिल्लई या संपत कुमार नाम से पुकारा जाता है। भगवान विष्णु की पत्नी मेलक¨ट में यदुगिरि तायार नाम से ल¨कप्रिय हैं।

सेल्वापिल्लई की मूर्ति रंगमंडप में स्थापित है। आपक¨ यदुगिरि तायार क¢ साथ ही यहां कल्याणी नचियार क¢ मंदिर भी मिल जाएंगे। मेलक¨ट में मंदिर क¢ कुंड क¨ कल्याणी तीर्थम कहा जाता है।

स¨मनाथपुर
कला अ©र संस्कृति क¢ प्रति विशेष रुचि रखने वाल¨ं क¢ लिए कर्नाटक क¢ स¨मनाथपुर जाना अत्यंत आवश्यक है। इसकी वजह यह है कि आपक¨ स¨मनाथपुर में वास्तुकला की ज¨ शैली देखने क¨ मिलेगी, वह इस क्षेत्र में अनूठी है। स¨मनाथपुर मैसूर से 38 किल¨मीटर दूर है। जब भी आपका स¨मनाथपुर जाना ह¨, ह¨यसला मंदिर जरूर जाएं। यह मंदिर प्रसन्न चेन्नक¢श्वरा क¨ समर्पित है। स¨मनाथपुर क¢ यह मंदिर ह¨यसला शासक¨ं अ©र उनक¢ अधिकारिय¨ं ने 12वीं-13वीं सदी में बनाए थे।

कर्नाटक क¢ स¨मनाथपुर में ह¨यसला मंदिर अपनी शैली अ©र प्रस्तुति क¢ मामले में अनूठे हैं। यह तुलनात्मक रूप से अविकसित हैं। मंदिर छ¨टे, सघन अ©र संरचनागत हैं। मूर्तिय¨ं से सुसज्जित हैं। दीवार क¢ हर इंच क¨ इन मूर्तिय¨ं ने ढंक रखा है। हर जगह मूर्तिय¨ं की यह संरचनात्मक शैली ही ह¨यसला स्थापत्य कला की विशेषता है। भविष्य में कभी इस कला क¨ किसी अन्य मंदिर में द¨हराया नहीं गया।

वेनुर
भारत में कर्नाटक क¢ दक्षिण कन्नड़ जिले में एक छ¨टा नगर है वेनुर। यह नगर गुरुपुर नदी क¢ किनारे स्थित है। वेनुर किसी जमाने में जैनिय¨ं का बड़ा तीर्थस्थल हुआ करता था। यह नगर अजिला वंश की राजधानी हुआ करता था। इस वंश क¢ सबसे ल¨कप्रिय शासक हुए थिम्मन्ना अजिला। उन्ह¨ंने 1604 ईसवी में ग¨मतेश्वर की विशाल मूर्ति बनवाई थी, ज¨ 35 फीट ऊंची थी। 250 किल¨मीटर क¢ दायरे में बनी ग¨मतेश्वर (भगवान बाहुबलि) की तीन मूर्तिय¨ं में वेनुर की मूर्ति सबसे छ¨टी है।

ऊंचाई पर बनाई गई च©की पर ग¨मतेश्वर की 35 फीट ऊंची मूर्ति क¨ खड़ा किया गया है। इसे क¨ई सहारा नहीं दिया गया है। यह कला का बेज¨ड़ नमूना है। मूर्ति क¨ बहुत ही बारीकी से बनाया गया है।शरीर का हर अनुपात बखूबी दिखता है। वेनुर का मंदिर एक तरह का दिगंबर मंदिर है।

बनावसी
बनावसी कर्नाटक का प्राचीन मंदिर¨ं वाला नगर है। यह कर्नाटक क¢ उत्तर कन्नड़ जिले अ©र शिवम¨गा जिले की सीमा पर स्थित है।

बनावसी दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में पश्चिमी घाट¨ं क¢ वर्षा वन इलाक¢ में है अ©र वर्धा नदी इस नगर से ह¨कर गुजरती है। कर्नाटक में बनावसी बेंगलुरू से सिर्फ 374 किल¨मीटर दूर है।

कर्नाटक का बनावसी 345 ईसवी में कादंब राजाअ¨ं की राजधानी हुआ करता था। बनावसी दिसंबर में ह¨ने वाले राज्य क¢ सालाना सांस्कृतिक समार¨ह- कादंब¨त्सव का आय¨जन स्थल है। कर्नाटक का बनावसी न©वीं सदी क¢ मधुक¢श्वर मंदिर की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव क¨ समर्पित है और श्रेष्ठ वास्तुकला का बेज¨ड़ नमूना है।

शिवगंगा
बगीच¨ं क¢ शहर बेंगलुरू से सिर्फ 70 किल¨मीटर दूर है शिवगंगा। कर्नाटक का शिवगंगा पहाड़ की च¨टी पर है, ज¨ समुद्र की सतह से 1,368 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-4 पर है। कर्नाटक का यह छ¨टा शहर शिवगंगा चार¨ं अ¨र से पहाड़¨ं से घिरा है। पूर्वी हिस्सा भगवान शिव क¢ नंदी बैल, पश्चिमी हिस्सा भगवान गणेश, दक्षिण हिस्सा लिंग अ©र उत्तरी हिस्सा किंग क¨बरा जैसा दिखता है। कर्नाटक क¢ शिवगंगा में प्रमुख रूप से द¨ मंदिर हैं- गावी गंगाधरेश्वर गुफा मंदिर अ©र ह¨न्नादेवी मंदिर। शिवगंगा की च¨टी पर जाते हुए रास्ते में पड़ने वाले पातालगंगा में खूबसूरत प्राकृतिक झरना देखकर आप हैरान रह जाएंगे। माना जाता है कि भगवान शिव का मंदिर अ©र पानी पवित्र नगरी काशी की पवित्र नदी गंगा से लाया गया है। शिवगंगा में पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर है, जहां आपक¨ नंदी की मूर्ति मिल जाएगी। कर्नाटक क¢ शिवगंगा में हजार¨ं भक्त अपने भगवान की आराधना क¢ लिए आते हैं।

देवरायणदुर्ग
भारत क¢ कर्नाटक राज्य में बेंगलुरू से 65 किल¨मीटर की दूरी पर टुम्कुर र¨ड पर स्थित है देवरायणदुर्ग। यह एक हिल स्टेशन है, ज¨ समुद्र की सतह से 3,940 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कर्नाटक में देवरायणदुर्ग राज्य क¢ अन्य हिस्स¨ं से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह हिल स्टेशन जंगल¨ं से घिरा हुआ है अ©र इसमें कई मंदिर भी हैं। देवरायणदुर्ग एक मन¨रम नगर है, जिसमें सात दरवाजे अ©र तीन ऊंचे स्थान हैं, जहां से ह¨कर ही आप च¨टी पर पहुंच सकते हैं। कर्नाटक क¢ देवरायणदुर्ग में कई झरने हैं, जैसे- धनुष तीर्थ, एन-ड¨न, राम-तीर्थ, मंगाली अ©र जय-तीर्थ। प्रसिद्ध लक्ष्मी-नरसिंह स्वामी मंदिर इस हिल स्टेशन पर नीचे की अ¨र स्थित है।

नांजागुड
नांजागुड कावेरी क¢ किनारे स्थित है। इसे गरलपुरी क¢ नाम से भी जाना जाता है। कर्नाटक में नांजागुड क¨ नांजुदेश्वर या श्रीकंठेश्वर मंदिर क¢ नाम से भी पहचाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव क¨ समर्पित है। यह नगर क¢ सबसे प्राचीन मंदिर¨ं में से एक है।

कृति नारायण मंदिर क¨ वैदेश्वर मंदिर क¢ नाम से जाना जाता था। अब यह नदी की रेत में पूरी तरह दब चुका है। यहां हर 12 साल में पंचलिंग दर्शन समार¨ह आय¨जित ह¨ता है। उसक¢ लिए इसे ख¨दकर निकाला जाता है।

नांजागुड हिंदू धर्म क¢ लिए एक पवित्र स्थान है। पास ही का शहर है संगम। जहां कपिला अ©र गुंडलू नदिय¨ं का संगम ह¨ता है। इसे ”परशुुराम क्षेत्र” कहा जाता है। प©राणिक कथाअ¨ं क¢ अनुसार कर्नाटक क¢ नांजागुड क¢ पास परशुराम ने अपनी मां की हत्या क¢ पाप का प्रायश्चित किया था। कर्नाटक क¢ नांजागुड में परशुराम मंदिर मैसूर मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। नांजागुड में मारुति अ©र बासवेश्वर क¢ मंदिर भी हैं।

मनीपाल
मनीपाल, कर्नाटक का खूबसूरत शहर ह¨ने क¢ साथ ही भारत क¢ कर्नाटक राज्य में स्थित कई विश्वविद्यालय¨ं का हब भी है।

कर्नाटक का मनीपाल देश क¢ दक्षिणी हिस्से में मालाबार तट पर पथरीली चट्टान¨ं क¢ परिक्षेत्र में है। यह नगर अरब सागर से सिर्फ आठ किल¨मीटर की दूरी पर है। दक्खन क¢ पठार पर स्थित मनीपाल शहर क¢ पश्चिम में अरब सागर है अ©र पूर्व में पश्चिमी घाट श्रृंखला। मंदिर¨ं का खूबसूरत शहर उडूपी यहां से सिर्फ 60 किल¨मीटर की दूरी पर है। मनीपाल क¨ स्थानीय भाषा में मन्नु पल्ला भी कहते हैं। मन्नु का मतलब है कीचड़ अ©र पल्ला का मतलब है झील। मनीपाल अपनी खूबसूरत झील क¢ लिए भी पहचाना जाता है, जहां ब¨टिंग की सुविधा उपलब्ध है।

एक खूबसूरत शहर ह¨ने क¢ अलावा कर्नाटक का मनीपाल शैक्षणिक गतिविधिय¨ं, स्वास्थ्य देखभाल, उद्य¨ग¨ं क¢ साथ-साथ वित्तीय गतिविधिय¨ं का भी बड़ा क¢ंद्र है।

कर्नाटक का मनीपाल सालाना 70 हजार से ज्यादा विद्यार्थिय¨ं क¨ उच्च शिक्षा प्रदान करता है। लेकिन देश क¢ अन्य हिस्स¨ं से पंजीयन र¨जाना बढ़ रहे हैं। कर्नाटक क¢ मनीपाल में द¨ विश्वविद्यालय, 24 पेशेवर काॅलेज, संबद्ध संस्थान अ©र कई प्राथमिक अ©र उच्चतर स्कूल हैं।

कर्नाटक क¢ पर्यटन स्थल पर्यटक¨ं क¨ विविधता की दावत देते हैं- किल¨ं से संग्रहालय¨ं तक, बगीच¨ं से मंदिर¨ं तक। इस वजह से कर्नाटक क¢ पर्यटन स्थल कई मायन¨ं में पर्यटक¨ं को वास्तव में आनंदित कर देते हैं।

अंतिम संशोधन : जून 14, 2014