मिजोरम पर्यटन मिजोरम भारत की पूर्वोत्तर सीमा के सिरे पर गांवों का राज्य है।
दंतकथा यह है कि मिजो की उत्पत्ति एक बड़ी चट्टान से हुई, जिसे छिनलंग के नाम से पहचाने जाते हैं। बाहर आते वक्त दो राल्ते कुलों ने खूब शोर मचाया। इससे मिजो भगवान “पथायन” को गुस्सा आ गया। उन्हें लगा कि बहुत सारे लोगों को कदम बाहर निकालने की अनुमति दे दी है। इस वजह से उन्होंने एक बड़ी सी चट्टान से दरवाजा बंद कर दिया।
इस तरह मिजोरम की समस्त धरती मिथक और रहस्यों से भरी हुई है। मानव विज्ञान के हिसाब से मिजोरम के मंगोलाइड लोगों के पूर्वज चीन और म्यांमार में रहते थे। 1986 में यह क्षेत्र भारतीय संघ का एक पूर्ण राज्य बन गया।
आप मिजोरम की यात्रा में अखंड शांति और अकेलापन पाएंगे। धुंध से ढंकी चोटियां, हरी-हरी घाटियां, बहती धाराएं और अजीब तरह के आदिवासी गांव मिलकर मिजोरम बनता है। जो आपको छुट्टियों में तरोताजा करने की ताकत रखता है।
डेमोग्राफिक्स |
स्थिति |
पूर्वोत्तर भारत की दक्षिणी सीमा म्यांमार, बांग्लादेश और त्रिपुरा, असम और मणिपुर से घिरा हुआ राज्य |
अक्षांश |
21° 58' और 24° 35' के बीच उत्तर |
देशांतर |
92°15' और 93° 29' के बीच पूर्व |
क्षेत्रफल |
21,087 वर्ग किमी |
जलवायु |
|
अधिकतम तापमान |
30° सेल्सियस |
न्यूनतम तापमान |
10° सेल्सियस |
औसत सालाना बारिश |
250 सेंमी |
राजधानी |
आइजोल |
आबादी |
8,91,058 |
भाषाएं |
अंग्रेजी,लुशई, जहाओ, लखेर, हमार, पैते, लई और राल्ते और अन्य आदिवासी भाषाएं |
धर्म |
क्रिश्चियन |
यात्रा के लिए श्रेष्ठ समय |
सितंबर से मई |
कपड़े |
सालभर सूती कपड़े पहन सकते हैं |
मिजोरम कैसे पहुंचें मिजोरम की स्थिति कुछ इस तरह है कि वह म्यांमार, बांग्लादेश के अलावा भारतीय राज्यों त्रिपुरा, असम और मणिपुर के बीच सैंडविच बन गया है। सीधी खड़ी पहाड़ियों, हरी-भरी घाटियों, खूबसूरतझरनों, सौम्य झीलों और अनगिनत वन्य जीवन के साथ मिजोरम जैसी शांति आपको कहीं और नहीं मिलेगी। मिजोरम का आमंत्रण की अनदेखी करना मुश्किल है। भले ही मिजोरम उत्तर-पूर्वी भारत के सिरे पर स्थित है, वहां पहुंचने की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
हवाई मार्ग से मिजोरम की राजधानी आइजोल में अपना एयरपोर्ट है। कई विमानन कंपनियां यहां से विमानों का परिचालन करती हैं। कोलकाता, इम्फाल जैसे देश के महत्वपूर्ण शहर आइजोल से हवाई मार्ग से जुड़े हुए हैं।
सड़क मार्ग से मिजोरम में रोड नेटवर्क आरामदेह है। राष्ट्रीय राजमार्ग 54 आइजोल को सिलचर के रास्ते पूरे भारत से जोड़ता है। आइजोल तक भारत के पूर्वोत्तर के प्रमुख शहरों से भी पहुंचा जा सकता है। शिलांग (450 किमी) और गुवाहाटी (506 किमी) से इसकी कनेक्टिविटी अच्छी है।
रेल मार्ग से मिजोरम की सीमा में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। सबसे आरामदेह रेलवे स्टेशन सिलचर पड़ता है। वहां से 6-8 घंटे की यात्रा कर आइजोल पहुंचा जा सकता है। सिलचर देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है। वहां तक यात्रा करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी।
मिजोरम में खरीदारी भारत के पूर्वोत्तर के समूचे क्षेत्र की ही तरह, मिजोरम की भी अपनी हस्तशिल्पों की समृद्ध परंपरा रही है। जो मिजोरम में खरीदारी को बेजोड़ बनाते हैं। मिजोरम के हस्तशिल्पों में एक अलग ही बात है। आप उन्हें देखे बिना उनकी कल्पना नहीं कर सकते। आप देखेंगे तो शॉपिंग भी जरूर करेंगे।
मिजो लोग बेहतरीन बुनकर होते हैं। आदिवासी चेतना में यह परंपरा गहराई तक पैठ बना चुकी है। वे डिजाइन और रूपांकन के लिए एक खास पैटर्न पर भरोसा करते हैं, जो उनकी विरासत का हिस्सा बन चुका है।
इसके अलावा, मिजोरम में बांस का उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में है। प्राकृतिक रूप से मिजो कलाकार बांस से वस्तुएं बनाने में माहिर हैं। उन्हें यह कला विरासत में मिली है। बास्केट्स, बर्तन, हैट्स, फूलदान और फर्नीचर यहां की खासियत है। मिजोरम में खरीदारी में बांस की एक-दो वस्तुओं को जरूर शामिल करें, फिर चाहे वह कोई वस्तु हो, बर्तन हो या कुछ और।
मिजोरम में खरीदारी के दौरान कृपया इन पर नजर रखें:
- हाथ से बुने कपड़े
- बांस के बने उत्पाद
- बेंत के बने उत्पाद
मिजोरम में खरीदारी के स्थानों की कमी नहीं है। कुछ सरकार चलाती है और कुछ निजी हाथों में है, लेकिन ज्यादातर राजधानी आइजोल में स्थित है। शहर में बड़ा बाजार खरीदारी का प्रमुख स्थान है। रित्ज मार्केट, बर्मा लेन, बाजारा बंगकान, थैकथिंग बाजार, न्यू मार्केट और सोलोमन केव मिजोरम में खरीदारी के लिए अच्छी जगहें हैं।
मिजोरम में घूमने लायक जगहें
- तुआलचांग
- सिबुता लुंग
- वोनहिमाइलयन की कब्र
- फॉनगुई
- मांगकहिया लुंग
- लुंगवानडॉट
- टाडमिल
- वांतवांग फॉल्स
- डम्पा सेंचुरी