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जीएसटी क्या है: यह भारत को कैसे बदल रहा है।

May 19, 2017


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भारत में जीएसटी विधेयक को, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा माल और सेवाओं पर लगाए गए सभी अप्रत्यक्ष करों को बदलने के लिए लागू किया गया है। जीएसटी सभी राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। विधेयक को आधिकारिक हरी झंडी मिलने के बाद यह भारत में सबसे बड़े सुधारों में से एक होगा। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को मजबूत और शक्तिशाली बनाने के भारतीय बाजार को एकल, सहकारी और अविभाजित बनाना है। जीएसटी देश में सभी समावेशी अप्रत्यक्ष कर के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता का मार्ग बना देगा।

वर्ष 2000 में, पहली बार जीएसटी की शुरुआत करने का विचार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा किया गया था। इसके लिए असिमदास गुप्ता (पश्चिम बंगाल सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई गई थी। यह कमेटी जीएसटी मॉडल को डिजाइन करने के लिए बनाई गई थी, साथ ही इसने आईटी विभाग रोलआउट की तैयारी का निरीक्षण भी किया था। 2011 में, पिछले संयुक्त उन्नतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने जीएसटी की शुरूआत के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था, लेकिन कई राज्यों ने इसे खारिज कर दिया था।

जीएसटी क्या है?

जीएसटी मूल रूप से एक अप्रत्यक्ष कर है जो राष्ट्रीय स्तर पर एकल डोमेन के तहत माल और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग के लिये लगाया गया कर है। वर्तमान समय में, माल और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स वसूल किए जाते हैं, जीएसटी माल और सेवाओं पर तय की गयी समान दर पर आधारित एक सम्मिलित टैक्स है जो उपभोग के अंतिम बिंदु पर देय है। टैक्स क्रेडिट तंत्र के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में बिक्री या खरीद के प्रत्येक चरण में, मूल्य-वर्धित वस्तुओं और सेवाओं पर कर इकट्ठा किया जाता है।

जीएसटी का प्रस्तावित मॉडल और दर

दोहरी जीएसटी प्रणाली को भारत में लागू करने की योजना है, जो समिति द्वारा प्रस्तावित है जिसके तहत जीएसटी को दो भागों में विभाजित किया जाएगा:

  1. राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी)
  2. केंद्रीय माल और सेवा कर (सीजीएसटी)

लेनदेन किये जाने योग्य मूल्य पर एसजीएसटी और सीजीएसटी दोनों कर लगाए जाएंगे। कुछ वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर, बाकी सभी वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी में लाया जायेगा, इसमें माल और सेवाओं के बीच कोई अंतर नहीं होगा। केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर और राज्य मनोरंजन कर को जीएसटी के अंतर्गत माना जायेगा। जीएसटी की दर 14-16 फीसदी के आसपास होने की उम्मीद है। जीएसटी दर तय हो जाने के बाद केंद्र और राज्य सरकारें जीएसटी दर तय करने के लिये एसजीएसटी और सीजीएसटी दरों पर फैसला करेंगी। वर्तमान समय में कुछ सेवाओं पर 10 प्रतिशत तथा अधिकांश सामानों पर 20 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर लगाया जाता है।

जीएसटी विधेयक के फायदे

भारतीय अर्थव्यवस्था के उभरते हुए माहौल में जीएसटी का परिचय बहुत जरूरी है।

  • इसमें कोई संदेह नहीं है कि माल के उत्पादन और वितरण में, सेवाओं का इस्तेमाल तेजी से किया जाता है। इसके विपरीतवर्तमान में कराधान प्रणाली के तहत माल और सेवाओं के लिए अलग-अलग टैक्स हैं, लेन-देन के मूल्यों को कराधान के लिये माल और सेवाओं के मूल्य में विभाजित करने की आवश्यकता होती है। जिसमें प्रशासन की लागत भी शामिल है। जीएसटी प्रणाली में, जब सभी कर एकीकृत हो जाऐंगे, तब माल और सेवाओं के बीच कराधान का बोझ समान रूप से विभाजित किया जाऐगा।
  • वैट सिद्धांत पर आधारित जीएसटी कर, खपत के अंतिम स्थान पर लगाया जाएगा, न कि विभिन्न बिंदुओं पर (विनिर्माण से खुदरा दुकानों में)। यह सामान्यराष्ट्रीय बाजार के विकास में और आर्थिक विकृतियों को दूर करने में मदद करेगा।
  • इससे पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त देश का निर्माण होगा। वर्तमान समय में, एक उत्पाद तैयार हो जाने को बाद टैक्स लगाया जाता है, जिसे फैक्ट्री से निकल कर निर्माता द्वारा भुगतान किया जाता है, और फिर इसे बेचा जाने पर रिटेल आउटलेट पर लगाया जाता है।

जीएसटी विधेयक के लाभ

केंद्र और राज्यों के लिए

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में जीएसटी लागू करने की वजह से सालाना 15 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ मिलेगा। इसका कारण यह है कि अधिक निर्यात, रोजगार के अवसरों और विकास के लिए बढ़ावा देगा। यह माल और सेवाओं के बीच टैक्स के बोझ को विभाजित करेगा।

व्यक्तियों और कंपनियों के लिए

जीएसटी सिस्टम में, बिक्री के समय केंद्र और राज्य दोनों के लिए टैक्स को एकत्र किया जायेगा फिर उत्पादक लागत पर दोनों से शुल्क लिया जायेगा। व्यक्तियों को इससे लाभ मिल सकेगा क्योंकि कीमतों में गिरावट आने की संभावना है और अधिक खपत का मतलब कम कीमत है तथा अधिक उपभोग का मतलब अधिक उत्पादन होगा, जिससे कंपनियों के विकास में मदद मिलेगी।

जीएसटी के अन्तर्गत नहीं हैं-

शराब, तम्बाकू, पेट्रोलियम उत्पाद

जीएसटी के कार्यान्वयन में बाधाऐं

हालांकि, सरकार जीएसटी विधेयक को अप्रैल 2016 तक कार्यान्वित करना चाहती है, फिर भी कुछ बाधाएं हैं जिनकी जानकारी होना जरूरी है।

  • जीएसटी को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को किस स्तर की तैयारी की जरूरत है?
  • क्या इस तरह के एक विशाल बदलाव के लिए सरकारी तंत्र पर्याप्त है?
  • क्या करदाता इस तरह के बदलाव के लिए तैयार हैं?
  • सरकार के राजस्व पर क्या असर होगा?
  • निर्माताओं, व्यापारियों और अंतिम उपभोक्ताओं को यह किस प्रकार प्रभावित करेगा?
  • क्या जीएसटी से छोटे उद्यमियों और व्यापारियों को मदद मिलेगी?

जीएसटी के कार्यान्वयन की स्थिति

जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों में कानून द्वारा पूरी तरह से लागू करने के लिए, संसद के दोनों सदनों और 29 राज्यों के आधे विधायकों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होगा। दिसम्बर 2014 में, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के संवैधानिक संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया। उन्होंने घोषणा की कि 1947 के बाद से भारत में जीएसटी द्वारा कराधान प्रणाली में एक प्रमुख सुधार होगा, जो व्यापार के लिए लेन-देन लागत को कम कर करेगा और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।

इससे पहले, कुछ राज्यों ने यह विधेयक खारिज कर दिया था उनका कहना था कि इसमें मुआवजे, प्रवेश कर और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स शामिल नहीं है। जेटली ने इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि जीएसटी के कार्यान्वयन से राज्यों को राजस्व का कोई भी नुकसान न उठाना पड़े इसके लिए सभी प्रयास किए गए हैं। इस वर्ष राज्यों को 11,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे जिससे वे केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) के नुकसान की भरपाई कर सकेगें और बाद में पाँच साल की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।

कुछ लोगों ने कहा था कि जीएसटी विधेयक को वर्ष 2000 में लागू किया गया था लेकिन अभी तक इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा। यदि सब कुछ ठीक हो जाता है, तो संभवतः यह विधेयक अप्रैल 2016 तक लागू हो सकता हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के मुताबिक, जीएसटी के पूर्ण कार्यान्वयन से भारत का कुल घरेलू उत्पाद 0.9-1.7 प्रतिशत बढ़ सकता है। जीएसटी कराधान और फाइलिंग लागत को कम करने और व्यापार लाभ को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे निवेशक को आकर्षित एंव जीडीपी के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। टैक्स मानदंडों के सरलीकरण से टैक्स के अनुपालन में सुधार और राजस्व से प्राप्त टैक्स में वृद्धि होगी।

क्या इस सत्र में जीएसटी सफल हो पायेगा?

नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, जीएसटी विधेयक को संसद के चालू सत्र में पारित होने की संभावना है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस प्रस्तावित जीएसटी विधेयक पर पाँच घंटे की लंबी चर्चा करने के लिए सहमत हो गई है। जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ हद तक सफलता मिल सकती है। कर सुधार बिल के दोनो खंडों पर भाजपा की एनडीए सरकार और विपक्षी पार्टी कांग्रेस में आम सहमति बन गई है। संसदीय बहस में जीएसटी की सीमा दर निर्धारित करने की तकनीक पर अधिक ध्यान दिया जायेगा। कांग्रेस द्वारा सत्तारूढ़ सरकार से मांग की गई है कि वह एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स माफ करने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार विवाद के प्रस्ताव तंत्र को स्थापित करने के लिए प्रस्तावित विधेयक में एक प्रस्ताव जोड़ सकती है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्तमंत्री करेंगे।

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