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जम्मू-कश्मीर में हिंसा के कारण पर्यटन उद्योग को नुकसान

July 6, 2018


जम्मू-कश्मीर में हिंसा के कारण पर्यटन उद्योग को नुकसान

आतंकवाद, घातीय हमले, हिंसा और सुरक्षा जेखिम नागरिकों को चैन की साँस नहीं लेने दे रहे हैं। यहाँ पर ऐसी अन्य समस्याएं जुड़ी हुई हैं जिसके कारण इस क्षेत्र के नागरिक आतंकवाद का सामना कर रहे हैं।

जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को बहुत बुरे समय का सामना करना पड़ रहा है। हजारों लोग अपनी नौकरी और मजदूरी को खो चुके हैं क्योंकि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था ने पर्यटन उद्योग को प्रभावित किया है। आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद से घाटी में हिंसा की एक लंबी श्रृंखला उभरी, जिससे यहाँ निर्जन परिदृश्य विकसित हुआ है।

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। पर्यटन राज्य के जीडीपी (सकल देशी उत्पाद) में 8% योगदान देता है। राज्य में पर्यटन उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 100,000 (एक लाख) से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है, सुरक्षा व्यवस्था (कर्फ़्यू) के कारण इस क्षेत्र को काफी नुकसान पहुँचता है, राज्य में कार्यरत सभी लोग प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।

जम्मू और कश्मीर में पर्यटन का ग्रॉफ

  • कश्मीर हमेशा रोमांटिक जगह का प्रतीक रहा है, यह वर्ष 1988 से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच एक पसंदीदा स्थान रहा है, जिसमें 7,00,000 (सात लाख) से अधिक पर्यटकों का आगमन हुआ हैं। हालांकि, निम्नलिखित कारणों से परिदृश्य काफी प्रभावित हुआ है:
  • वर्ष 1989 से कश्मीर में सशस्त्र हिंसा की शुरुआत हुई जिसमें 1,500 हिंसक घटनाएं हुई थी और इनमें बम विस्फोट और गोलीबारी शामिल थी। इस हिंसा ने पर्यटन उद्योग को स्वाभाविक रूप से प्रभावित किया है और आने वाले पर्यटकों की संख्या 7,00,000 में से 2,00,000 तक कम हो गई।
  • कश्मीर में वर्ष 1989 के बाद से हिंसा बढ़ी, 1990 में 4,211 और 1991 में 3,780 हिंसक घटनाएं हुईं। इससे नादिर में पर्यटन उद्योग में पर्यटकों का आना भी 6,287 कम हो गया। यह पर्यटन उद्योग में 98% की कमी है।
  • 1996 की शुरुआत में घाटी (कश्मीर) में हिंसा कम हुई जिससे पर्यटन को राहत मिली और राज्यपाल शासन के आठ साल बाद विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए।
  • वर्ष 1998 में 100,000 से अधिक पर्यटक कश्मीर पहुँचे।
  • हालांकि, राहत अल्पकालिक ही थी और वर्ष 2001 में संसद पर हमले ने भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। जिसने पर्यटन उद्योग को फिर से प्रभावित किया और पर्यटकों की संख्या तेजी से 27,356 तक कम हो गई।
  • भारत-पाकिस्तान की 2003 में शांति वार्ता हुई जिससे मामला सुधरा और पर्यटन में लगातार 1.3 मिलियन तक बोढ़तरी हुई। लेकिन, इस बार प्रकृति के प्रकोप ने कहर खड़ा कर दिया और 2015 में आई बाढ़ ने पर्यटन उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया जिसने पर्यटकों के आवागमन के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे को भी प्रभावित किया।
  • 2016 में आतंकवादी बुरहन वानी की हत्या ने, अब राज्य भर में हिंसात्मक घटनाओं ने जम्मू कश्मीर को पर्यटन के लिए बदतर बना दिया है।

कारण

  • पर्यटन उद्योग कानून और व्यवस्था के मुद्दों को लेकर अत्यधिक संवेदनशील है। जब कानून और व्यवस्था काम नहीं कर रही है, तो पर्यटन का प्रभावित होना निश्चित है।
  • हाल ही के महीनों में राष्ट्रीय मीडिया ने हिंसा की कहानियों से लोगों को उकसाया, जो पर्यटन के लिए प्रतिकूल है।
  • हालांकि उग्रवाद दरों में गिरावट हुई है, वहाँ सड़कों पर हिंसा में बढ़ोतरी आई है जिसमें ज्यादातर पत्थरबाजी की घटनायें बढ़ी हैं।
  • हालांकि पर्यटन संचालनकर्ताओं और पर्यटन अधिकारियों का तर्क है कि इस तरह की सड़क हिंसा यात्रियों को प्रभावित करने के लिए बहुत ही छिटपुट और स्थानीय है, तथ्य यह है यह पर्यटन का बेहतर स्थल है और इस तरह से पर्यटक जम्मू और कश्मीर से दूर रहने का विकल्प चुन रहे हैं।
  • जिन पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा की योजना रद्द कर दी है उनमें से ज्यादातर एक ही कारण हैं, वे सीमित छुट्टीयों को बर्बाद नहीं करना चाहते हैं जैसा कि वह एक साल से सब कुछ देख रहे हैं।

विपरीत प्रभाव

  • जम्मू-कश्मीर में होटल अधिवास 25% तक कम हो गया है।
  • स्थानीय लोगों का मानना है कि मीडिया पर्यटकों को निरन्तर डरा रही है।
  • प्रसिद्ध शकीरा के मालिक जो प्रतिदिन 1000-1500 रुपये कमा रहे थे, बुरहान वानी की हत्या के चलते वह अब प्रतिदिन 400 रुपये ही कमा पाते हैं। जिससे वो खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
  • गोदामों में लाखों रुपए के बिना बिके हुए कीमती गलीचे और शालें इकठ्ठा हो रही हैं क्योंकि उन्हें खरीदने के लिए कोई भी पर्यटक नहीं हैं।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने कश्मीर के खिलाफ यात्रा सलाह जारी करके पर्यटन क्षेत्र को नुकसान पहुँचाया है।

राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम

राज्य सरकार पर्यटन उद्योग में आई गिरावट के बारे में भी चिंतित है और निम्नलिखित तरीकों से स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही है:

  • जम्मू और कश्मीर पर्यटन विकास निगम (जेकेटीडीसी) अपने यात्रा पैकेजों में लगभग 50 प्रतिशत की छूट दे रहा है।
  • जम्मू और कश्मीर के निजी यात्रा प्रचालक पर्यटकों को 30% तक छूट दे रहे हैं।
  • होटल के मालिकों, परिवहन ऑपरेटरों और प्रशासन द्वारा पर्यटकों को बचाव और सुरक्षा प्रदान की जाएगी।