ओडिशा में देखने लायक स्थान

ओडिशा पर्यटन
ओडिशा बंगाल की खाड़ी से सटा भारत के पूर्वी कोने में स्थित एक शांतिपूर्ण राज्य है। भारत का प्राचीन इतिहास अभी भी उसके मंदिरों, चैत्य और स्तूपों से ही प्रकट होती है। दो हजार साल पुरानी समृद्ध विरासत, राज्य मौर्य साम्राज्य से लेकर अब तक के सुनहरे इतिहास की झांकी पेश करता है ओडिशा। तब से अब तक इस राज्य ने भारत के इतिहास में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। आज ओडिशा भारतीय संघ का सबसे तेज विकासशील राज्य है। प्राचीन स्मारकों, अनदेखे समुद्री तटों, सर्पिल नदियों, बड़े-बड़े झरनों के साथ ओडिशा राज्य आपको एक खूबसूरत और विविधतापूर्ण पर्यटन का न्योता देता है।

ओडिशा की यात्रा आपको एक ऐसी धरती पर ले जाएगी, जहां भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी और भयंकर लड़ाइयां (कलिंग युद्ध) लड़ी गई। जिसकी वजह से अशोक एक सम्राट से बौद्ध के मार्ग पर चलने वाले सबसे बड़े संत में तब्दील हुए।

ओडिशा में कोणार्क जाइए, जहां खूबसूरत स्वर्ण मंदिर के तौर पर प्राचीन भारतीय वास्तुकला देखने को मिलेगी। भुवनेश्वर और पुरी में कई मंदिर हैं, जो आपको प्राचीन वास्तु और शिल्प कला का दीवाना बना देंगे। आप चांदीपुर और गोपालपुर के समुद्र तट पर बाल सुखाने का चुनाव कर सकते हैं, या नंदनकानन में सफेद बाघ देख सकते हैं। ओडिशा की यात्रा आपको यह सब अवसर देने को तैयार है।

डेमोग्राफिक्स
स्थिति पूर्वी भारत में बंगाल की खाड़ी का तटीय इलाका
उत्तर-पश्चिम में झारखंड
उत्तर-पूर्व में बंगाल
पूर्व में बंगाल की खाड़ी
दक्षिण में आंध्र प्रदेश
पश्चिम में छत्तीसगढ़
अक्षांश 17°49' और 22°34' के बीच में उत्तर
देशांतर 81°27' और 87°29' के बीच में पूर्व
क्षेत्रफल 155,707 वर्ग किमी
जलवायु गर्मियां- गरम
सर्दियां- ठंडी
अधिकतम तापमान 40° सेल्सियस
न्यूनतम तापमान 12° सेल्सियस
औसत सालाना बारिश 150 सेंमी
राजधानी भुवनेश्वर
आबादी 31512070
भाषाएं ओडिया, बंगाली, हिंदी, अंग्रेजी आदि
धर्म हिंदू, बौद्ध, सिख, क्रिश्चियनिटी
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च
कपड़े गर्मियां- सूती
सर्दियां- सूती या हल्का ऊनी
ओडिशा कैसे पहुंचें
ओडिशा हर साल कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते हैं। ओडिशा कैसे पहुंचे, यह एक सामान्य प्रश्न है, जो कई लोग पूछते हैं। हालांकि, ओडिशा की स्थिति ऐसी है कि यहां पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं है। ओडिशा कैसे पहुंचे से जुड़े आपके प्रश्नों का जवाब भी आपको आसानी से मिल जाएगा। ओडिशा जाने के लिए हवाई, रेल और सड़क, तीनों मार्ग उपलब्ध है।

वह पर्यटक, जो समय बचाना चाहते हैं और सोच रहे हैं कि कम से कम वक्त में ओडिशा कैसे पहुंचे, वे ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर की सीधी फ्लाइट पकड़ सकते हैं। भुवनेश्वर हवाई अड्डा भारत के सभी अन्य राज्यों से जुड़ा हुआ है। सरकारी और निजी एयरलाइंस की कई फ्लाइट्स हैं जो भुवनेश्वर को कोलकाता, दिल्ली, रायपुर, हैदराबाद, वाराणसी, मुंबई और चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण भारतीय शहरों से जोड़ती हैं।

ओडिशा की रेल यात्रा आरामदेह और खूबसूरत मनोरम दृश्यों से परिपूर्ण भी है। राजधानी में स्थित भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन ओडिशा का सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। राजधानी, कोणार्क एक्सप्रेस, कोरोमोंडल एक्सप्रेस आदि कई महत्वपूर्ण ट्रेनों की सेवाएं ओडिशा कैसे पहुंचे, यह भ्रम दूर कर सकती है। ओडिशा के अन्य जिलों गंजम, खुर्दा, कोरापुट, रायगढ़, नौपाड़ा-गुनुपुर में भी रेलवे स्टेशन हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर ओडिशा की स्थिति ओडिशा कैसे पहुंचें, इस सवाल का खुद-ब-खुद जवाब दे देगी। ओडिशा के ज्यादातर हिस्से सड़क के विस्तृत नेटवर्क से जुड़े हैं। इससे ओडिशा में सड़क यात्रा आसान बनती है। यह एक अच्छा विकल्प है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 5, 6, 23, 42 और 43 ओडिशा से गुजरते हैं। इन मार्गों पर नियमित बस सेवा चलती है।

हवाई मार्ग से
हवाई मार्ग से ओडिशा पहुंचना हो तो राजधानी भुवनेश्वर में हवाई अड्डा है। जो इसे हकीकत बनाता है। यह हवाई अड्डा कोलकाता, हैदराबाद, नागपुर, मुंबई, दिल्ली, रायपुर आदि भारतीय शहरों से सीधी नियमित फ्लाइट्स जुड़ी हैं। कई एयरलाइंस ने भुवनेश्वर हवाई अड्डे को डिपार्चर और टर्मिनल पॉइंट्स बना रखा है।

इस वजह से, ओडिशा की यात्रा पर निकलने से पहले पर्यटकों के पास यह विकल्प होता है कि वे किस एयरलाइंस से वहां जाना चाहते हैं। ओडिशा की यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण है- पुरी। जो भुवनेश्वर हवाई अड्डे से महज 56 किलोमीटर दूर है। बसों और ट्रेनों से यह दोनों जगह बहुत-अच्छे से जुड़ी है।

रेल मार्ग से
ओडिशा की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाने का सबसे अच्छा तरीका है रेल यात्रा। यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी रेलवे ज़ोन में आता है। रेल से ओडिशा की यात्रा सुविधाजनक भी है और आरामदेह भी। कई ट्रेनें भारत के अन्य कोनों को ओडिशा से जोड़ती हैं।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर और भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन सबसे महत्वपूर्ण है। ओडिशा में राजधानी, कोणार्क एक्सप्रेस, कोरोमोंडल एक्सप्रेस जैसी कई ट्रेनें इसी स्टेशन से चलती हैं। यह ट्रेनें रेल मार्ग से ओडिशा की यात्रा को आरामदेह बनाती हैं।

सड़क मार्ग से
ओडिशा में सड़कों का व्यापक नेटवर्क है। इससे ओडिशा के कोने-कोने तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। राज्य से कई एक्सप्रेस-वे और रोड-वे गुजरते हैं, जिनकी मदद से ओडिशा की यात्रा की जा सकती है। हकीकत तो यह है कि सड़क मार्ग ही सबसे अच्छा विकल्प है। कई राष्ट्रीय राजमार्गों की मौजूदगी से ओडिशा में सड़कों से यात्रा करना और भी आकर्षक रास्ता बन जाता है।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आता है, जो चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों को जोड़ता है। इस वजह से जिन्हें सड़क पर लंबी यात्राएं करने का शौक है, उनके लिए ओडिशा पहुंचना ज्यादा आरामदेह और आसान है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 5, 6, 23, 42 और 43 राज्य से होकर गुजरते हैं। इससे सड़क से यात्रा आसान हो जाती है।

ओडिशा में खरीदारी
ओडिशा में खरीदारी करना है तो उसमें हस्तशिल्प और हैंडलूम को जरूर शामिल करें। ओडिशा की परंपरा में सौंदर्य बोध और कलाकारी की गहरी पैठ है। यह उनके हस्तशिल्प और हैंडलूम में भी नजर आता है।

अब तक के पूरे इतिहास में, ओडिशा ने कई धर्मों की विरासत को आगे बढ़ाया। उनमें से सभी ने ओडिशा की कलाकारी पर गहरी छाप छोड़ी है। साथ-साथ मजबूत आदिवासी तत्व भी आगे बढ़ता गया।

ओडिशा में खरीदारी के लिए सबसे अच्छी वस्तु है- विविधता लिए हैंडलूम उत्पाद। आप समुद्री तटों पर यात्रा करेंगे तो वहां सीपों की पारंपरिक कलाकृतियां आपका ध्यान खींचेंगी। आदिवासी इलाकों में, खरीदारी के लिए धातु की कलाकृतियां सबसे महत्वपूर्ण वस्तुएं हैं।

ओडिशा में खरीदारी के कई विकल्प है। मुख्य शहरों भुवनेश्वर और पुरी में खरीदारी की जा सकती है। सरकारी एम्पोरियम पूरे राज्य में है। वहीं निजी दुकानें भी कहीं भी दिख जाएंगी। सड़क किनारे खड़ी कई दुकानों में स्थानीय लोगों ने आपके लिए खरीदारी के कई सामान जुटाए हैं। आप यहां मोल-भाव भी कर सकते हैं।

ओडिशा में देखने लायक जगहें
ओडिशा में कई ऐसे महत्वपूर्ण आकर्षण हैं, जो अन्य राज्यों और देशों से आने वाले पर्यटकों को वहां खींच लाते हैं। ओडिशा के महत्वपूर्ण रुचिकर स्थानों में चिलका, भीतरकनिका, उदयगिरि की गुफाएं और महेंद्रगिरि प्रमुख हैं।

जगन्नाथ मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
पुरी का जगन्नाथ मंदिर देखने देश-विदेश से हर साल लाखों लोग पहुंचते हैं। पुरी में सिर्फ यह एक मंदिर ही नहीं है, बल्कि कई और मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। जगन्नाथ मंदिर इस जगह के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। पुरी में हर साल निकलने वाली जगन्नाथ यात्रा को लेकर देश-दुनिया के लोगों में रोमांच रहता है। इसका हिस्सा बनने लाखों की संख्या में पुरी पहुंचते हैं।

कोणार्क मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर भारतीय राज्य ओडिशा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। चूंकि कोणार्क ओडिशा में स्थित है; यह तथा-कथित “पर्यटन के सुनहरे त्रिभुज” के तीन बिंदुओं में से एक है। इस त्रिभुज के दो अन्य बिंदु हैं- मंदिरों का शहर भुवनेश्वर और पुरी का भगवान जगन्नाथ मंदिर।

गुंदिचा घर मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
पुरी का गुंदिचा घर मंदिर पुरी के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षणों में से एक है। शहर में कई मंदिर है और यह मंदिर इस जगह के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में गिना जाता है। पुरी के इस मंदिर जाने के लिए, इस शहर जाना जरूरी है। पुरी के सबसे पास का हवाई अड्डा भुवनेश्वर शहर में है।

लोकनाथ मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
पुरी के सबसे ज्यादा रुचिकर स्थानों में से एक है- लोकनाथ मंदिर। पुरी में कई मंदिर हैं, जो इस जगह आने वाले पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय है। पुरी का लोकनाथ मंदिर भगवान शिव की आराधना का स्थान है। इस वजह से, पुरी का यह मंदिर इस क्षेत्र में शिव मंदिर के तौर पर जाना जाता है।

दरिया हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
पुरी आने वाले पर्यटक अक्सर छुट्टियां बिताने दरिया हनुमान और सोनार गौरांग मंदिर जाना पसंद करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के इस हिस्से में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। उनमें से ही एक है दरिया हनुमानऔर सोनार गौरांग मंदिर।

अर्द्धशनि मंदिर
श्रेणीः धार्मिक
पुरी आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है अर्द्धशनि मंदिर। इस मंदिर की मुख्य संरचना बहुत बड़ी नहीं है। यह मंदिर पूरी तरह से सफेद है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यह इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।

चिलका
ओडिशा के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है चिलका। जो भी पर्यटक छुट्टियां बिताने राज्य में आते हैं, उनके लिए यह पसंदीदा स्थान है। ओडिशा में चिलका झील के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। इस वजह से ही ओडिशा आने वाले पर्यटक यहां जाए बिना नहीं रह सकते।

हकीकत तो यह है कि ओडिशा की चिलका झील पूरे भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह पुरी के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। ओडिशा की चिलका झील छिछली है। झील की लंबाई 70 किमी है, जबकि इसकी चौड़ाई 15 किलोमीटर।

चिलका झील के मुख्य आकर्षण में से एक है, यहां सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षी। प्रवासी पक्षियों में ज्यादातर साइबेरिया के होते हैं। इस दौरान यहां कई प्रजातियों के पक्षी देखने को मिल जाते हैं।

भीतरकनिका
ओडिशा राज्य में स्थित महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों में से एक है भीतरकनिका। प्रकृति प्रेमियों को इस जगह जरूर जाना चाहिए। यहां पौधों और वन्य जीवों की एक विस्तृत शृंखला है।

चिलका झील प्रवासी पक्षियों की करीब 170 प्रजातियों का घर है। यहां आने वाले कुछ पक्षी बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें किंगफिशर, समुद्री चील, ओपन बिल स्टॉर्क, सैंड पाइपर्स, पतंगे, सीटी बजाने वाली टील्स, डार्टर्स और सी गल्स शामिल है।

भीतरकनिका कई प्रजातियों के वन्य प्राणियों का घर है। यहां बहुतायत में पाए जाने वाले वन्य प्राणियों में मगरमच्छ, अजगर, किंग कोबरा, रेसूस (नकचपटा बंदर), जंगली सुअर, चित्तेदार हिरण और सांभर शामिल हैं। भीतरकनिका में मगरमच्छों का प्रजनन केंद्र भी है। सफेद मगरमच्छों की दुर्लभ प्रजाति शंखुआ, यहां पाई जाती है।

महेंद्रगिरि
ओडिशा के प्रमुख आकर्षणों में एक है- महेंद्रगिरि। गजपति जिले के पार्लाखेमुंडी इलाके में स्थित है महेंद्रगिरि। समुद्र की सतह से 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह जगह। यहां से आसपास के मनोरम और हैरतअंगेज कर देने वाले नजारे दिखते हैं।

आकर्षक पर्वत शृंखला, हरे-भरे जंगल, शांति के साथ बहती छोटी नदी महेंद्र तनया और यहां का खुशनुमा मौसम मिलकर महेंद्रगिरि को एक खूबसूरत जगह बनाते हैं। महेंद्रगिरि ने इस क्षेत्र के समृद्ध धार्मिक और पौराणिक इतिहास के अवशेष भी संजोकर रखे हैं। राधानाथ रे और कालिदास जैसे महान कवियों ने महेंद्रगिरि पर्वत की ऊंची चोटियों की खूबसूरती पर कई कविताओं की रचना की है।

महेंद्रगिरि एक प्राचीन स्थल है, जो इस खूबसूरत जगह के पुरातत्विक अवशेषों को प्रदर्शित करने का दावा करता है। शहरों की अस्त-व्यस्त भीड़-भाड़ से दूर महेंद्रगिरी पर्वत पर्यटकों को रोजमर्रा के सांसारिक जीवन के तनावों से मुक्त करता है।

खंडगिरि गुफाएं
ओडिशा में स्थित खंडगिरि गुफाएं प्राचीन काल से अपने समृद्ध धार्मिक इतिहास को पेश कर रही हैं। यह जगह भुवनेश्वर से महज 6 किमी की दूरी पर है। खंडगिरि की गुफाएं ओडिशा का अहम आकर्षण है, जो पर्यटकों को गुजरे वक्त में ले जाती हैं।

खंडगिरि की इन 15 गुफाओं में प्राचीन काल में जैन विद्वान और तपस्वी रहा करते थे। पहाड़ों की चट्टानों को काटकर खंडगिरि गुफाओं की दीवारें बनाई गई हैं। इन पर सुंदर चित्र और रूपांकन आकर्षक हैं। कुछ दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र साहित्य के अंश भी अंकित हैं।

उदयगिरि गुफाएं
उदयगिरि की गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई 18 गुफाएं हैं। यह प्राचीन काल की धार्मिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं। 135 फीट की ऊंचाई पर स्थित उदयगिरि पर्वत को प्राचीन काल में कुमारी पर्वत कहा जाता है।

उदयगिरि की गुफाओं का निर्माण जैन तपस्वियों और विद्वानों के रहने के लिए किया गया था। जो सच और शांति की तलाश में दुनियावी खुशी को छोड़कर निकले हैं। उदयगिरि की गुफाओं की दीवारें मनुष्यों और जानवरों की खूबसूरत पेंटिंग्स से सजी हुई हैं। गुफाओं की कुछ दीवारों पर जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों के साहित्य को अंकित किया गया है।

उदयगिरि की हर गुफा का अपना एक अलग नाम है। दो-मंजिला रानी गुफा सबसे प्रभावशाली गुफा है। रानी गुफा की दीवारों और दरवाजे को खास तौर पर सजाया गया है। यहां आकर्षक नक्काशी की गई है। ज्यादातर नक्काशी दुश्मनों पर यहां के राजाओं की जीत को प्रदर्शित करती है।


अंतिम संशोधन : जुलाई 24, 2018