पुडुचेरी में देखने लायक स्थानो का नक्शा

पुडुच्चेरी पर्यटन
भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी हिस्से में स्थित छोटा-सा केंद्रशासित प्रदेश है पुडुच्चेरी। इस धरती का एक समृद्ध इतिहास है। दंतकथा है कि प्राचीन काल में ऋषि अगस्त पुडुच्चेरी में ही रहा करते थे। इन मिथकों के अलावा प्राचीन किले और चोला सिक्कों की खोज इस इलाके की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा को साबित करते हैं।

आधुनिक पुडुच्चेरी का इतिहास 1673 में फ्रेंच लोगों के आने से शुरू हुआ। 1954 में यह भारतीय संघ का हिस्सा बना। आप पुडुच्चेरी की यात्रा करते हैं तो जमीन आपको स्मारकों की यादें दिलाने का वादा नहीं करता। भले ही यह समुद्र किनारे बसी जगह है, यह आम समुद्री रिजॉर्ट्स से अलग है।

यह एक ऐसी जगह है, जहां की इमारतों और रास्तों में अभी भी उसका इतिहास झलकता है। फ्रेंच विरासत अभी भी इस शहर और इसके चर्चों में दिखाई देती है। लोग इसके खास वातावरण को महसूस करने ही पुडुच्चेरी जाते हैं।

डेमोग्राफिक्स
स्थिति बंगाल की खाड़ी में कोरोमंडल तट पर भारत का दक्षिणी हिस्सा उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में तमिलनाडु से घिरा हुआ
अक्षांश 11°46' और 12°30' के बीच में उत्तर
देशांतर 79°36' और 79°52' के बीच में पूर्व
क्षेत्रफल 492 वर्ग किमी
जलवायु सालभर गरम जलवायु
अधिकतम तापमान 31.5°सेल्सियस
न्यूनतम तापमान 23.9°सेल्सियस
औसत सालाना बारिश 130 सेंमी
राजधानी पुडुच्चेरी
आबादी 9,,
भाषा तमिल, अंग्रेजी, फ्रेंच, तेलुगू और मलयालम
धर्म हिंदू, क्रिश्चियन, मुस्लिम और बहुत कम जैन, सिख और बौद्ध
यात्रा के लिए श्रेष्ठ समय अक्टूबर से मार्च
परिधान सालभर सूती
पुडुच्चेरी तक कैसे पहुंचें
पुडुच्चेरी को पॉन्डिचेरी भी कहा जाता है। भारत के दक्षिण-पूर्वी तटीय इलाके में स्थित यह एक कोरोमंडल तट है। जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा केंद्रशासित प्रदेश है। एक जमाने में फ्रेंच साम्राज्य का हिस्सा रहे पुडुच्चेरी का एक समृद्ध इतिहास है। लेकिन आज का पुडुच्चेरी ऑरोविले आश्रम की वजह से ज्यादा पहचाना जाता है, जिसकी स्थापना ऋषि अरविंदो ने की थी। अध्यात्मिक आकर्षण हिलोरे मारते बंगाल की खाड़ी के पानी और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ मिलकर पुडुच्चेरी को एक मोहित कर देने वाला पर्यटन स्थल बनाता है।

हवाई मार्ग से
पुडुच्चेरी का अपना एयरपोर्ट है, जो लॉसपेट में स्थित है। हवाई यात्रियों की बढ़ती मांग के मद्देनजर 17 जनवरी 2013 को नए टर्मिनल की शुरुआत हुई है। इस नए टर्मिनल से बेंगलुरू और अन्य बड़े शहरो के लिए सीधी फ्लाइट्स हैं। इस समय स्पाइसजेट इकलौती एयरलाइन है जो पुडुच्चेरी से बेंगलुरू के लिए फ्लाइट्स संचालित कर रही है।

रेल मार्ग से
पुडुच्चेरी का अपना रेलवे स्टेशन है; जो ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के जरिए विलापुरम और चेन्नई में फाइव-वे जंक्शन से जुड़ा है। एक्सप्रेस ट्रेनें पुडुच्चेरी को अन्य पड़ोसी शहरों और राज्यों से जोड़ती हैं।

सड़क मार्ग से
पुडुच्चेरी का सड़क नेटवर्क बहुत अच्छा है। बुनियादी सुविधाएं भी बेहतरीन हैं। केंद्रशासित प्रदेश में 2,552 किलोमीटर लंबी सड़के हैं। राज्य राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों से अच्छे-से जुड़ा हुआ है। पुडुच्चेरी के लिए सबसे सुविधाजनक रास्ता चेन्नई (150 किमी) और बेंगलुरू (309 किमी) से है।

पुडुच्चेरी में खरीदारी
पुडुच्चेरी में चुंगी कर नहीं लगता, इसलिए यहां खरीदारी का अपना आनंद है। इससे यहां कीमतें काफी कम हैं। फिर चाहे आप कुछ भी खरीदें। पुडुच्चेरी के पास हस्तशिल्पों की अपनी कोई स्थानीय विरासत नहीं है। आजकल पुडुच्चेरी में स्थित ऑरबिंदो आश्रम फैक्टरी कई वस्तुएं बनाती हैं, जैसेः मोमबत्तियां, अगरबत्तियां, कागज आदि। अब यह स्थानीय विशेषता बन गई है। पर्यटकों में यह खासा लोकप्रिय है। इससे पुडुच्चेरी में खरीदारी भी आकर्षक बन जाती है।

पुडुच्चेरी में गतिविधियां
यदि आपको बाहर घूमना पसंद है, तो यहां आपके लिए काफी कुछ है। ज्यादातर गतिविधियां समुद्री तट के आसपास ही मिल सकती है। आप रेत पर पैदल चल सकते हैं, समुद्र में तैर सकते हैं, सूर्यास्त होते देख सकते हैं या कुछ नहीं तो रिवर क्रूज में ही बैठ सकते हैं। आप चुनांबर नदी में बोटिंग कर सकते हैं और वहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। समुद्र में डॉल्फिन खेलती दिख जाएंगी, जिन्हें देखना अपने आप में आनंददायक है।

फ्रेंच क्वार्टर्स और चौड़ी सड़कों पर पुरानी इमारतों के ईर्द-गिर्द पैदल घूम सकते हैं। समुद्र के नजारे देखते हुए फ्रेंच उच्चायोग के आसपास के दृश्यों को निहारिए। दक्षिण में जाइए और पुराने पुडुच्चेरी में आपको गुजरा हुआ जमाना दिख जाएगा।

पॉन्डिचेरी में घूमने लायक जगहें
  • पॉन्डिचेरी में म्युजियम
  • पॉन्डिचेरी में समुद्री तट
  • पॉन्डिचेरी में मंदिर
  • फ्रेंच फोर्ट लुइस
  • आयी मंडपम
  • ऑरबिंदो आश्रम
  • बैक वाटर लेक्स और गार्डन
  • 19वीं सदी का लाइट हाउस
  • गवर्नमेंट पार्क
  • डुप्लीक्स की प्रतिमा
  • फ्रेंच वार मेमोरियल

पुडुच्चेरी में होटल
यहां होटलों की कोई कमी नहीं है। आपके बजट के मुताबिक आपके पास विकल्पों की विस्तृत रेंज है। डीलक्स होटल्स, मध्यम-श्रेणी होटल्स, बजट होटल्स आदि आवास के लिए यहां उपलब्ध है। आप ऑरबिंदो आश्रम में भी ठहर सकते हैं। यहां रहना भी आरामदेह और कम खर्चीला है।

भले ही यहां कई होटल्स हैं, फिर भी अपने रूम एडवांस में बुक कर लीजिए। यह बहुत ही गर्म और नमी वाला पर्यटन केंद्र है। लेकिन अच्छी बात यह है कि आपको सभी होटलों में एसी वाले रूम मिल जाएंगे।

पुडुच्चेरी का खानपान
आप यहां आनंद और सुकून देने वाले पकवानों की उम्मीद कर सकते हैं। यह एक अनूठा स्थान है, जहां आप फ्रेंच और तमिल पकवानों का मिश्रण पा सकते हैं। यहां बहुत ही कम मसालों का इस्तेमाल होता है। आप कह सकते हैं कि नाजुकता से इस्तेमाल होता है, जो आपकी भूख बढ़ा देगा। अलग-अलग संस्कृतियों के मेल की वजह से खान-पान की इंडो-फ्रेंच स्टाइल ने कई अनोखे और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों को जन्म दिया है। यहां की खासियतों में सब्जियों की करी, कोकोनट करी, सोया डोसा, इटालियन बेक्ड बीन, अस्साद, तंदूरी पोटेटो, स्टफ्ड कैबेज, पोडनलांगकल, और भी काफी कुछ है। इसके अलावा यहां के कुछ स्थानीय और मूल पकवान भी हैं, जो स्थानीय रेस्त्रां में आपको दीवाना बना देंगे। इस जगह पर आप मुंह में पानी ला देने वाले फ्रेंच स्टाइल में बैगेट्स, बीबियोच्स, केक्स, ब्रेड्स और पैस्ट्री भी मिल जाएंगे।

पॉन्डिचेरी में घूमने लायक जगहें
पर्यटकों और यात्रियों की पहली पसंद है पॉन्डिचेरी। हमेशा से इसकी पहचान देश के अन्य पर्यटन केंद्रों से अलग ही रही है। तीन सौ साल से ज्यादा समय तक फ्रेंच शासन में रहे पॉन्डिचेरी पर फ्रांस का प्रभाव आज भी दिखता है। फ्रेंच लोगों की बनाई इमारतें अपनी खूबसूरती की वजह से फ्रांस की वास्तुकला के बेहतरीन नमूना पेश करती हैं। इस सुरम्य शहर में फ्रांस और भारत की संस्कृतियों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। जिससे एक स्वीकार्य सामाजिक ढांचा तैयार हुआ है। यह तथ्य और मनोरम प्राकृतिक दृश्य मिलकर पॉन्डिचेरी को यहां आने वाले यात्रियों के लिए रोमांचित और मोहित करने वाली जगह बनाते हैं।

पॉन्डिचेरी में देखने लायक जगहें

फ्रेंच फोर्ट लुइस
पॉन्डिचेरी के महत्वपूर्ण स्मारकों और यहां के कई आकर्षणों में से एक, फ्रेंच फोर्ट लुइस इतिहास में रुचि रखने वालों और शहर आने वाले पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है। पॉन्डिचेरी का फ्रेंच फोर्ट लुइस फ्रेंच शासन में बने शुरुआती दफ्तरों में से एक था।

ऐतिहासिक सूत्रों के मुताबिक, पॉन्डिचेरी में फ्रेंच फोर्ट लुइस का निर्माण वर्ष 1709 के आसपास हुआ था। यह फ्रेंच फोर्ट के मॉडल के आधार पर बना था, जिसे फ्रेंच बोलने वाले बेल्जियम में टूर्नाई के वौबन ने बनाया था। भव्य फ्रेंच फोर्ट लुइस का निर्माण पंचकोण आकार में किया गया है। इसमें पांच छावनियां और कुछ दरवाजे हैं। पॉन्डिचेरी के फ्रेंच फोर्ट लुइस का रोमांचित कर देने वाला हिस्सा उसमें बने अंडरग्राउंड चैम्बर हैं। यह चैम्बर हथियार, गोला-बारूद और अन्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए थे।

पॉन्डिचेरी में फ्रेंच फोर्ट लुइस की सीमा पर खाई बनी है। पॉन्डिचेरी में फ्रेंच फोर्ट लुइस ने 50 साल से ज्यादा वक्त तक शहर के गढ़ के तौर पर काम किया है। कई हमलों और आपदाओं का सामना भी किया है।

आयी मंडपम
पॉन्डिचेरी का हमेशा से लोकप्रिय रहा गवर्नमेंट पार्क शहर के बड़े पर्यटन केंद्रों में से एक है। खूबसूरत बगीचे के दिल में स्थित है आयी मंडपम। यह शहर के आकर्षक स्मारकों में से एक और आकर्षणों में से एक भी है।

इतिहासकारों के मुताबिक, इसका निर्माण 16वीं सदी में हुआ था। इसका नाम महिला गणिका आयी पर रखा गया था। आयी ने शहर में पानी की आपूर्ति के लिए जलाशय बनवाने के लिए अपना घर तक तुड़वा दिया था। उस समय नेपोलियन तृतीय फ्रांस के शासक थे। बाद में, फ्रेंच सरकार ने शहर के विकास में दिए योगदान की याद में इस जगह को आयी के नाम से जोड़ दिया।

पॉन्डिचेरी में बना भव्य आयी मंडपम गवर्नमेंट पार्क या भारती पार्क की लोकप्रियता के कई कारणों में से एक है। यह टावर अपनी भव्यता के साथ पार्क के बीचोंबीच खड़ा है। उसकी सुंदरता को भी बढ़ा रहा है। आयी मंडपम स्मारक को वास्तुकला की ग्रीको-रोमन शैली के मुताबिक बनवाया गया था। वास्तु कला के इस अनुपम और खूबसूरत नमूने की मौजूदगी से पार्क आने वाले पर्यटक उत्साहित हो जाते हैं। खासकर शाम के वक्त, आयी मंडपम जगमगाहट की वजह से और भी खूबसूरत नजर आता है।

गवर्नमेंट पार्क में जगमगाता आयी मंडपम रात के समय शहर के आसमान में अपनी मौजूदगी गर्व के साथ दर्ज कराता है।

आनंद रंगा पिल्लई संग्रहालय
पॉन्डिचेरी एक खूबसूरत समुद्र तटीय स्वर्ग ही तो है। जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता की वजह से पहचाना जाता है। सूर्य की धूप से नहाई रेत से टकराते पन्ने-से हरे समुद्री पानी के अलावा पॉन्डिचेरी किसी जमाने में फ्रेंच बस्ती हुआ करती थी। जो अब इतिहास में दफन हो गई है। इस केंद्रशासित प्रदेश के सुंदर नजारों में शामिल प्रसिद्ध ऐतिहासिक भवन है पॉन्डिचेरी का आनंद रंगा पिल्लई संग्रहालय।

आनंद रंगा पिल्लई म्युजियम की प्रसिद्धी की एक बड़ी वजह भारतीय उपमहाद्वीप में फ्रांस के अधिपत्य वाले इलाकों के पूर्व गवर्नर जनरल फ्रेंकोइज डुप्लीक्स का प्रसिद्ध दुबाश है। पूर्व गवर्नर के स्वर्णिम दिनों में पॉन्डिचेरी के पश्चिमी हिस्से में बना यह स्मारक “नैटिव क्वार्टर्स” के नाम से पहचाना जाता था। यह समकालीन फ्रेंच और भारतीय वास्तुशिल्प का बेहतरीन मिश्रण पेश करता है। आज भी इसके जरिए यहां आने वाले पर्यटक बीते इतिहास की सैर पर निकल पड़ते हैं।

यह जगह पॉन्डिचेरी में स्थित है। फ्रेंच शासन में जब पॉन्डिचेरी के गवर्नर, डुप्लीक्स की तूती बोलती थी, तब से यह दुबाश प्रसिद्धी पा रहा है। ‘नैटिव क्वार्टर्स’ के नाम से भी इसे पहचाना जाता है, जो पॉन्डिचेरी के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस भवन में डायरियों का एक बहुत बड़ा कलेक्शन है, जो 18वीं सदी के फ्रेंच भारत से जुड़ी सूचनाएं देती हैं। आनंद रंगा पिल्लई भवन की वास्तुकला में फ्रेंच और भारतीय शैली का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है।

आनंद रंगा पिल्लई म्यूजियम फ्रेंच शासन के स्वर्णिम दिनों में पॉन्डिचेरी के गवर्नर डुप्लीक्स का आनंदित करने वाला दुबाश था। 18वीं सदी के फ्रेंच भारत के बारे में सूचनाएं हासिल करने का बहुत बड़ा स्रोत है पिल्लई की डायरियां।

उनके भवन का निर्माण, 1738 के आसपास हुआ था। यह पश्चिमी हिस्से पर स्थित सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। उस समय इसे “नैटिव क्वार्टर्स” के तौर पर जाना जाता था। इसकी वास्तुकला भारतीय और फ्रेंच शैली का बेहतरीन मिश्रण है।

अरबिंदो आश्रम
महान देशभक्त, राष्ट्रवादी, दार्शनिक, अध्यात्मिक नेता और गुरु- श्री अरबिंदो घोष ने ज्ञान हासिल करने के लिए कई वर्ष पॉन्डिचेरी में बिताए। महान विचारक दुनिया के इस हिस्से में इतने लोकप्रिय हैं कि आज भी उन्हें उसी अंदाज में पूजा और सम्मानित किया जाता है।

पॉन्डिचेरी में अरबिंदो आश्रम का निर्माण अरबिंदो ने ही करवाया था। यहां हर साल लाखों की संख्या में उनके भक्त और अनुयायी आते हैं। आश्रम ने एक तीर्थस्थल का दर्जा हासिल कर लिया है। यह आज पॉन्डिचेरी के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

अरबिंदो आश्रम पॉन्डिचेरी के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित हुआ है। पॉन्डिचेरी में “मां” और श्री अरबिंदो का यह घर 1926 में बनाया गया था। अरबिंदो आश्रम की देखरेख रजिस्टर्ड ट्रस्ट करता है। आश्रम का यह विस्तारित परिसर आज एक हजार और पांच सौ सदस्यों का घर है। देश के कोने-कोने और दुनियाभर के कई हिस्सों से लोगों ने श्री अरबिंदो सोसायटी की सदस्यता ली है।

आश्रम की मुख्य इमारत हरे पेड़ों की कोटरी में बने आंगन के बगल में है। खूबसूरत फूलों का बगीचा इस जगह की खूबसूरती और बढ़ा देता है। इसके बीच में ही समाधि स्थल है। आम तौर पर शांत रहने वाला पॉन्डिचेरी का अरबिंदो आश्रम त्योहारों के दौरान सजीव हो उठता है। हजारों की संख्या में पर्यटक, अनुयायी और यात्री इसे देखने पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में लोगों के आने के बाद भी इस परिसर में अनुशासन और शांतिपूर्ण माहौल बनाने की जिम्मेदारी सदस्यों की ही रहती है।

झील और बगीचे
जहां तक पर्यटन की बात है, पॉन्डिचेरी में खुशनुमा अहसास देने वाले पिकनिक स्पॉट्स की कमी नहीं है। शांतिपूर्ण होने के बाद भी उत्तेजित करने वाले समुद्री तट, फ्रेंच शासन की याद दिलाने वाले स्मारकों के साथ ही पॉन्डिचेरी की झीलें व बगीचे भी यहां के प्रमुख आकर्षण हैं।

पॉन्डिचेरी की झीलों और बगीचों की बात होती है तो कुछ जगहों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। वह जगहें हैं-
  • बॉटेनीकल गार्डन
  • गवर्नमेंट पार्क या भारती पार्क
  • चूनांबर बैकवाटर
  • कीजूर

नए बस स्टैंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित, बॉटेनीकल गार्डन प्रकृति प्रेमियों और हरियाली समर्थकों की भीड़ खिंचने में कामयाब रहा है। यह अपने रंगबिरंगी फूलों, पत्थरों और बजरी के साथ ही अनदेखे पेड़ों की वजह से सामान्य पर्यटकों को आकर्षित करता है। संगीतमय फव्वारा बच्चों और युवाओं की पहली पसंद है। भारती पार्क हरियाली के अपने लंबे पैच की वजह से पॉन्डिचेरी शहर के लिए फेफड़ों के तौर पर काम करता है। इस बगीचे की देखरेख बहुत अच्छे से होती है। कृत्रिम पहाड़, कई सारे पेड़, तालाब और ग्रेनाइट की बेंच से सजा यह बगीचा इसी वजह से पर्यटकों को आकर्षित करता है।

कीजूर एक गांव है, जहां चार सौ साल पुराना बरगद का पेड़ है। केंद्रशासित प्रदेश पॉन्डिचेरी के सबसे लोकप्रिय क्षेत्रों में से एक चूनांबर बैकवाटर, मुख्य शहर से काफी करीब है। चूनांबर बैकवाटर में नौका-विहार और धूप का आनंद आदि गतिविधियों में भाग लिया जा सकता है। खेलप्रेमियों के लिए यहां बीच वॉलीबॉल, समुद्री तट पर घुड़सवारी और कई अन्य खेल हैं। वे इनका आनंद उठा सकते हैं। आप यहां अपने हैरतअंगेज करतबों से मंत्रमुग्ध करने वाली डॉल्फिन मछलियों को भी देख सकते हैं। एक शब्द में कहें तो मजा लूटना है तो यह जगह आपके लिए ही है।

19वीं सदी का लाइट हाउस
पॉन्डिचेरी में 19वीं सदी में बना एक लाइटहाउस है। गोरिमेडू के रेड हिल्स पर बना यह लाइट हाउस आज भी खूबसूरती के साथ खड़ा है। पर्यटक यहां बार-बार जाना पसंद करते हैं। शहर की पश्चिमी सीमा से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित 19वीं सदी का यह लाइटहाउस पॉन्डिचेरी के प्रमुख आकर्षणों का एक केंद्र है।

अरियानकुप्पम आर्कियोलॉजिकल साइट
पॉन्डिचेरी एक उष्णकटिबंधीय स्वर्ग है जो उन लोगों के सपने भी पूरे करता है जो विद्वता हासिल करने और अपनी बौद्धिक क्षुधा मिटाने के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। इस केंद्रशासित प्रदेश पर एक जमाने में फ्रांस का शासन था। इस जगह का अपना एक समृद्ध इतिहास है। पॉन्डिचेरी के इतिहास को देखते हुए अरियानकुप्पम आर्कियोलॉजिकल साइट इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण ठिकाना है। महान खगोलविद गुइलुमे ली गेंटिल इस तटीय केंद्रशासित प्रदेश पॉन्डिचेरी अक्सर आते थे। खासकर 1768 से 1771 की अवधि में। अपनी यात्राओं में उन्हें अरियानकुप्पम में जीर्ण-शीर्ण दीवारें, ईटों के सांचे और टूटी-फूटी जर्जर स्थिति में प्राचीन कुएं मिले। यह जगह पॉन्डिचेरी से महज चार किलोमीटर दूर है। खगोलविद ने यह देखा तो दिमाग में अजीब-सा अनुभव हुआ। उनका संदेह सही साबित हुआ और पुरातत्व के अभियानों से यह साबित हो गया कि यहां प्राचीन जमाने में एक गांव हुआ करता था। जो पुरा अवशेष उन्हें मिले, वह उसी सभ्यता के खंडहर हैं।

अरियानकुप्पम पुरातत्व स्थल पर खुदाई का काम 1940 में हुआ था। इस पुरातत्व स्थल के उत्तरी हिस्से की खुदाई से ईटों से बने गोदाम के खंडहर मिले थे, जबकि दक्षिणी हिस्से से कुछ प्राचीन आंगन। जिनमें बड़े टैंक और पानी की निकासी की माकूल व्यवस्था थी। मिट्टी के बर्तन और अन्य कृतियां भारतीय दिख रही हैं, जबकि उनमें से कुछ भूमध्यसागरीय संस्कृति के सूचक हैं। बार-बार की गई खुदाई से यही साबित हुआ। मोती, कम कीमती नग और प्राचीन रोमन कलाकृतियां भी बरामद हुई। इनमें शराब और चटनियों के जार, जो एक खास जमाने की चुगली करते दिखते हैं। यह निशान किसी जमाने में सुंदरता के लिए इस्तेमाल होते थे। यह बड़ी संख्या में मिले हैं।

पॉन्डिचेरी में गवर्नमेंट पार्क
फ्रेंच शासन की कॉलोनी होने की वजह से पॉन्डिचेरी में फ्रेंच फ्लेवर के अंश मिल ही जाएंगे। इसे फ्रेंच-शैली के भवनों के तौर पर देखा जा सकता है। जो इस खूबसूरत भारतीय केंद्रशासित प्रदेश में यहां-वहां दिख जाते हैं। पॉन्डिचेरी का गवर्नमेंट पार्क भी फ्रेंच वास्तुकला की खूबसूरती को दिखाता है।

पॉन्डिचेरी का विकास बहुत ही सुनियोजित तरीके से हुआ। इसे शानदार बगीचों से सजाया गया था। आपने अब तक जो भी बगीचे देखे होंगे, उनमें सबसे आकर्षक और खूबसूरत यहां पर देखने को मिलेंगे। पॉन्डिचेरी का गवर्नमेंट पार्क अद्भुत और सुंदर मनोरंजन पार्क का एक बेहतरीन उदाहरण है। यहां आराम की तलाश में सैकड़ों पर्यटक पहुंचते हैं और अपनी शांति की तलाश पूरी करते हैं।

पॉन्डिचेरी का गवर्नमेंट पार्क पुराने शहर के मध्य क्षेत्र में स्थित है। इस अनूठे बगीचे की खासियत यह है कि इसके आसपास सबसे प्रतिष्ठित सरकारी भवन हैं। इनमें लेफ्टिनेंट गवर्नर का पैलेस, विधानसभा, सरकारी अस्पताल, आश्रम का डाइनिंग रूम, सर्कल डी पॉन्डिचेरी प्राइवेट क्लब और पुराना होटल क्वालाइट है।

पॉन्डिचेरी का गवर्नमेंट पार्क सिर्फ हरा-भरा बगीचा और फूलों से लदी प्राकृतिक सुंदरता ही पेश नहीं करता, बल्कि इसका माहौल कुछ ऐसा है कि यह जगह सुस्ताने और सुकून की तलाश करने वालों के लिए बेहतरीन बन जाती है। इसे पॉन्डिचेरी के भारती पार्क के तौर पर भी जाना जाता है। यदि आप केंद्रशासित प्रदेश आते हैं, तो गवर्नमेंट पार्क आपकी सूची में जरूर होना चाहिए।

फ्रेंच युद्ध स्मारक
पॉन्डिचेरी का फ्रांस से गहरा रिश्ता रहा है। इस बात का सबूत है पॉन्डिचेरी में फ्रेंच युद्ध स्मारक समेत अन्य फ्रेंच स्मारक ।

इस तटीय केंद्रशासित प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाने में यहां कई स्मारकों, स्मृति केंद्रों और अन्य ऐतिहासिक भवनों की मौजूदगी की अहम भूमिका है। इनमें, सुंदर और राजसी फ्रेंच युद्ध स्मारक पॉन्डिचेरी के स्थापत्य आश्चर्यों में से एक में अपना अहम महत्व रखताहै। प्रथम विश्वयुद्ध में फ्रांस के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों की याद में गोबर्ट एवेन्यू स्थित फ्रेंच युद्ध स्मारक बनाया गया था।

फ्रेंच युद्ध स्मारक और पॉन्डिचेरी पर्यटन की सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 14 जुलाई को बैस्टाइल डे मनायाजाता है। इस दिन स्मारक सबसे ज्यादा सजा-धजा और खूबसूरत दिखाई देता है। समारोह की धूमधाम और भव्यता पर्यटकों में देशभक्ति की भावना जगाती है। साथ ही उन्हें पुरानी यादों की सैर भी कराती है।

इस समय पॉन्डिचेरी भारत सबसे प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों में से एक है। समुद्र का विलक्षण किनारे पर बसा यह केंद्रशासित प्रदेश सदियों पुराने इतिहास में डूबा होने के साथ-साथ फ्रांसीसी सांस्कृतिक विरासत के निशानों के साथ सजा है।

पॉन्डिचेरी में बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देता फ्रेंच युद्ध स्मारक केंद्रशासित प्रदेश की विरासत पर चर्चा की एक महत्वपूर्ण वजह है।

डुप्लीक्स की प्रतिमा
केंद्रशासित प्रदेश पॉन्डिचेरी किसी जमाने में फ्रेंच बस्ती हुआ करता था। उसका उपनिवेशी इतिहास हमेशा उसके साथ रहेगा। पॉन्डिचेरी में डुप्लीक्स की प्रतिमा केंद्रशासित प्रदेश के फ्रेंच कनेक्शन को स्थापित करती है।

महान फ्रेंकोइज डुप्लीक्स की प्रसिद्धी की कोई एक वजह नहीं है, बल्कि कई है। भारत में फ्रेंच बस्तियों के पूर्व गवर्नर जनरल रॉबर्ट क्लाइव के घोर विरोधी थे। जिन्होंने बंगाल के विभाजन में मुख्य भूमिका निभाई थी। डुप्लीक्स एक योग्य प्रशासक थे, जिन्होंने 1754 तक अपना काम बखूबी किया। विडंबना यह है कि सफलता और प्रसिद्धी के चरम पर वह अपना करियर खत्म करने के काफी वर्ष बाद 1780 में पहुंचे। उस समय उनकी अथक सेवाओं के लिए फ्रांस और पॉन्डिचेरी में दो प्रतिमाओं को स्थापित किया गया।

यह प्रतिमा आज भी गर्व के साथ ऊंचाई पर खड़ी है। इसकी ऊंचाई करीब 2.88 मीटर है। वह भी करीब आधा दर्जन, बड़े, भव्य और सुसज्जित पिलर पर खड़ी है। शुरुआत में डुप्लीक्स की प्रतिमा पॉन्डिचेरी में प्लेस ड्यू रिपब्लिक नामक जगह पर लगी थी। वहां से इसे मौजूदा स्थान पर लाया गया है। आज यह जहां है, वह बेहद खूबसूरत जगह है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण। पृष्ठभूमि में एक खूबसूरत और रंगबिरंगी बगीचा है, जहां बच्चे खेलते हैं। यह पार्क लंबे और सलीके से बनाए गए मुख्य मार्ग दक्षिणी छोर पर स्थित है। इसे गोबर्ट एवेन्यू के नाम से जाना जाता है।

पॉन्डिचेरी की यात्रा पर्यटकों को फ्रेंच कनेक्शन और सांस्कृतिक विरासत के अंशों वाली इतिहास की गलियों से होकर ले जाती है।

जोन ऑफ आर्क की प्रतिमा
केंद्रशासित प्रदेश पॉन्डिचेरी को प्राकृतिक मनोरम दृश्यों की नेमत मिली हुई है। कभी फ्रांसीसी उपनिवेश रही इस जगह पर जोन आर्क की मूर्ति की ही तरह कई ऐतिहासिक मूर्तियों का महत्व है। जोन आर्क की मूर्ति केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी पॉन्डिचेरी के शहर में है। इसमें महान फ्रेंच महिला जीन आर्क को प्रदर्शित किया गया है। वह इस मनोरम शहर की निगरानी करती प्रतीत होती है। आज वह खूबसूरती से सजे प्रिस्टिन मार्बल पर खड़ी है। आर्क जोन 15वीं सदी में अपनी दिखाई जबरदस्त वीरता और साहस के लिए याद की जाती हैं। क्रिश्चियनिटी में भरोसा रखने वाले इस शख्स को सर्वशक्तिमान ईश्वर ने बार-बार प्रेरित किया। अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने पूरी ताकत से जवाब दिया। लीक से हटकर चलने वाली क्रांतिकारी आर्क जोन के साहस और आत्मविश्वास ने उस समय भी उनका साथ नहीं छोड़ा था, जब वह युद्ध क्षेत्र में लड़ते-लड़ते गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। कॉम्पीन में युद्ध के बाद उन्हें आत्मसमर्पण करना पड़ा था। साजिश और षडयंत्रों से भरे मुकदमे में आर्क जोन को अपवित्रता और विरोधी मत का दोषी ठहराया गया।

तत्कालीन पोप ने बाद में यह अनुचित फैसला पलटा। उनकी बेगुनाही और नेकनीयती साबित हो गई। 24 साल बाद वह शहीद होकर कई लोगों के लिए लीक से हटकर चलने की प्रेरणा बन गई। आखिरकार 1909 में उन्हें धन्य घोषित किया गया। संत का दर्जा दिया गया।