भारत के इतिहास और विरासत में रुचि रखने वालों के लिए जयपुर में घूमना अपने आप में मज़ेदार है। भारत का पहला योजनाबद्ध शहर जयपुर राजा सवाई जय सिंह की राजधानी था और इसे विद्याधर भट््टाचार्य ने योजनाबद्ध किया था। विद्याधर की वास्तुकला की प्रतिभा के सम्मान में इस बाग का निर्माण किया गया था। यह बाग भारत की राजधानी दिल्ली से 260 किलोमीटर दूर, आगरा से 240 किलोमीटर दूर और दिल्ली, आगरा और जयपुर के गोल्डन त्रिकोण के मध्य में स्थित है।
जयपुर में प्राचीन शिल्प शास्त्र के नियमों के आधार पर विकसित देखने लायक स्थानों की कोई कमी नहीं है। इतिहास और लोककथाओं में डूबे जयपुर की भव्यता ना सिर्फ शानदार महलों, किलों और स्मारकों में है बल्कि हरेभरे बागों और अभयारण्यों में भी बसी है।
जयपुर के प्रमुख बागों में से एक सिसोदिया के पास विद्याधर बाग स्थित है जो कि समकालीन भारतीय और मुगल वास्तुकला का मेल है। इस बाग को गुलाबी शहर की शानदार योजना बनाने वाले विद्याधर भट््टाचार्य की सेवाओं के सम्मान में बनाया गया था। यहां का बाग सचमुच बहुत सुंदर है जिसमें खूबसूरत नक्काशीदार फव्वारे, गैलरी, मंडप, शांत झीलें और भगवान कृष्ण की कहानियां बताते विभिन्न भित्ति चित्र यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। विशाल खूबसूरत बाग का लैंडस्केप बहुत अदभुत है और इसमें अंगूरों का सुंदर बाग भी है।
विद्याधर बाग जयपुर के सबसे अच्छी तरह से संरक्षित बागों में से एक है जो सौंदर्य के मामले में देखने वाले को बहुत अपील करता है। एक मनोरम घाटी की गोद में बसा ये बाग शानदार नज़ारे देता है। डूबते सुनहरे सूरज की रोशनी के रंगों से सजे आसमान के नीचे इसका पानी रत्नों की तरह जगमग करता है और इसे देख कर सैलानी आनंदित हो उठते हैं।
एक और खूबसूरत नज़ारा होता है जब गहरे नीले आकाश से बादल झूमकर बरसते हैं और इसे देख भारत का गौरव सुंदर मोर अपने पंख फैलाकर नाचते हुए बरसात का स्वागत करता है।
विद्याधर बाग एक ऐसा प्राकृतिक खज़ाना है जो जयपुर घूमने आने वाले सैलानियों के लिए जरुर देखने योग्य है।
अंतिम संशोधन : नवम्बर 16, 2016