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आवासीय क्षेत्रों में सेल्यूलर टावर्स जीवन के लिए एक बड़ा खतरा

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cellular-towers-in-residential-areas-665x397आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों और अस्पतालों के पास खड़े सेल्यूलर टावर्स के बारे में एक बड़ा विवाद चल रहा है। मोबाइल कंपनियों के खिलाफ कुछ भी नहीं है और हमें इस क्षेत्र के विकास की सराहना करनी चाहिए। लेकिन असली चिंता यह है कि मोबाइल फोन मे कामकाज के लिए सेल्यूलर टावर्स की आवश्यकता होती है। दिल्ली में करीब 5,656 मोबाइल टावर हैं, जिनमें से 2,656 गैरकानूनी हैं। पूर्वी दिल्ली में 1,470 सेलफोन टावर हैं, जिनमें से 588 गैरकानूनी हैं दक्षिणी दिल्ली निगम में 2,834 मोबाइल टावर हैं, जिनमें से 1,543 गैरकानूनी हैं। कुछ मामलों में अनधिकृत इमारतों पर टावरों का निर्माण किया गया है। किसी भी इलाके में एक सेल्यूलर टॉवर की स्थापना के लिए कुछ नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए। बड़ा सवाल यह है कि क्या मोबाइल कंपनियां मानदंडों का पालन कर रही हैं या नहीं?

दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर स्थापित करने के नियम

मोबाइल टावरों से जुड़े खतरे

वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने घर या कार्यालय के पास 50 मीटर के भीतर स्थित एक मोबाइल टॉवर के निरंतर संपर्क में रहना पूरे दिन के लिए माइक्रोवेव ओवन में होने जैसा है। डीडीटी, क्लोरोफॉर्म, लेड और पेट्रोल निकाले जाने वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को कैंसर होने जैसा खतरा हेता है वैसा ही खतरा मोबाइल टॉवरों के आस-पास रहने वाले लोगों को भी होता है। कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल टॉवरों से 1,300 फिट की परिधि में रहने वाले लोगों को सामान्य से तीन गुना कैंसर का जोखिम रहता है।

एक और अध्ययन से पता चला है कि कैंसर रोग अत्यन्त खतरनाक हैं, मोबाइल टॉवर्स के पास रहने वाले लोगों को अत्यधिक थकान, सिरदर्द होना, नींद ना आना, स्मृति हानि, अवसाद, सुनने की दिक्कत, जोड़ों में दर्द, त्वचा की समस्याएं, हृदय संबंधी रोग जैसी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। कैंसर पर अनुसंधान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी (आईएआरसी) ने यह कहा है कि मोबइल हैण्डसेट और टावर ‘विकिरण संभवत: मनुष्य के लिए कैंसर पैदा करने वाला एक पदार्थ हैं। मस्तिष्क कैंसर या ग्लियोमा हो सकता है। मोबाइल टॉवर्स मोबाइल हैंडसेट की तुलना में अधिक खतरनाक हैं क्योंकि वे अधिक तीव्रता वाले विकिरण 24 घंटे उत्पन्न करते हैं।

सरकार की भूमिका

दिल्ली में सेल टॉवर के सीलिंग और डी-सीलिंग ऑपरेशन

2011 के बाद से दिल्ली में सेल टावरों की सीलिंग और डी-सीलिंग का एक सतत चरण चल रहा है। एमसीडी ने ऐसे सभी सेल टावरों की सीलिंग का सख्त आदेश जारी किया है जो मानदंडों का पालन नहीं करते हैं। गैरकानूनी सेल टॉवर्स को चेक करने के लिए निगमों द्वारा विशेष अभियान चलाया गया है।

एमसीडी ने बताया कि एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में स्थापित 5,459 मोबाइल फोन टॉवरों में से 2717 टॉवरों को अनुमति के बिना स्थापित किया गया है। नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने बताया है कि एनडीएमसी के क्षेत्र में कोई गैरकानूनी टावर नहीं है। अक्टूबर 2014 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निगमों को उन मोबाइल टावरों को डी-सील करने का निर्देश दिया था जिसके लिए ऑपरेटरों ने मान्य लाइसेंस प्राप्त किए हैं।

और क्या किया जा सकता है?

कठोर मानदंडों और बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दिल्ली में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ आवासीय क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर अभी भी मौजूद हैं, कुछ बेहतरीन स्थानों में आर्दश नगर के विकासपुरी, जनकपुरी एवं अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं। जबकि सेल टावर का निर्माण का कार्य जारी रहेगा, कुछ कदम नागरिकों के भविष्य के लिए उठाए जा सकते हैं:

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