उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में, अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से ऊपर रहा। रविवार को दिल्ली का तापमान अपने सामान्य तापमान से 4 डिग्री बढ़कर 47 डिग्री के उच्चतम स्तर पर रिकॉर्ड किया गया। उत्तर प्रदेश में भी अधिकांश क्षेत्रों में इस मौसम में सर्वोच्च तापमान दर्ज किया गया। राजस्थान भी एक ऐसा राज्य है जो गर्म हवाओं की चपेट में है, जिसमें जयपुर, बीकानेर, सवाई माधोपुर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे शहर शामिल हैं।
यहाँ तक कि उत्तर भारत के पहाड़ी पर्यटक स्थलों को भी गर्म हवाओं ने नही बख्शा। हिमाचल प्रदेश के शिमला और ऊना तथा जम्मू में मौसम का उच्चतम तापमान दर्ज किया। शिमला में अधिकतम तापमान 30.1 डिग्री सेल्सियस और ऊना में 44.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि जम्मू में 43.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
4 जून को उत्तर भारत में बुरी तरह गर्मी से प्रभावित क्षेत्र निम्नानुसार हैं:
- चंडीगढ़: 46 डिग्री सेल्सियस
- पालम: 47 डिग्री सेल्सियस
- भटिंडा: 48 डिग्री सेल्सियस
- गुरुग्राम: 44 डिग्री सेल्सियस
- फरीदाबाद: 44 डिग्री सेल्सियस
- दिल्ली: 47 डिग्री सेल्सियस
- बाँदा: 48 डिग्री सेल्सियस
- इलाहाबाद: 48 डिग्री सेल्सियस
- झाँसी: 46.6 डिग्री सेल्सियस
- वाराणसी: 46.5 डिग्री सेल्सियस
- उरई: 46 डिग्री सेल्सियस
- सुल्तानपुर: 45.8 डिग्री सेल्सियस
- आगरा: 45.7 डिग्री सेल्सियस
- मिर्जापुर: 45.8 डिग्री सेल्सियस
- लखनऊ: 45.3 डिग्री सेल्सियस
- हमीरपुर: 45.2 डिग्री सेल्सियस
- रायबरेली: 45 डिग्री सेल्सियस
- अमृतसर: 47.5 डिग्री सेल्सियस
- गंगानगर: 47.1 डिग्री सेल्सियस
- गया: 46.1 डिग्री सेल्सियस
अगले कुछ दिनों में बारिश की संभावना
हालांकि मौसम विभाग ने भी हवाओं के स्वरूप में बदलाव की भविष्यवाणी की है जिसके चलते आने वाले एक या दो दिनों में बारिश और गर्जना के साथ बादल छाए रह सकते हैं। इससे उत्तर भारत के गर्म हवाओं से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में गर्मी से राहत मिलेगी। लेकिन तापमान में ज्यादा बदलाव नहीं होगा क्योंकि अधिकांश क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहेगा।
गर्म हवाओं के खतरनाक प्रभाव
मौसम विभाग के मुताबिक अचानक गर्म हवाओं की लहर के प्रमुख कारणों में से एक, राजस्थान से आने वाली सूखी गर्म उत्तर पश्चिमी हवाएं हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि देश में गर्म हवाओं की लहर दिखाई दे रही है। वास्तव में पिछले कुछ सालों में गर्म हवाओं की अचानक शुरुआत ने भारत को बुरी तरह प्रभावित किया गया है, जिससे मृत्यु, भोजन और पानी की कमी, भूजल स्तर में गिरावट और कई स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं। 1998 में भारत में लगभग 3000 लोगों की गर्मी के कारण मृत्यु हुई थी। वर्ष 2002 में ओडिशा में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2015 में गर्मी के कारण 2400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। 2016 में भारत में गर्मी ने पिछले 100 वर्षों की गर्मी का रिकार्ड तोड़ा, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं। गर्म हवाओं की स्थिति पश्चिमी राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे कई स्थानों पर असर करेगी।
निष्कर्ष
यह सही समय है कि सरकारी एजेंसियां और लोग, सामान्य जनता और प्रकृति को गर्मी से बचाने के लिये इसकी रोकथाम, इससे बचने की तैयारी करने और इसमें कार्यरत संगठनों को आगे लाने के लिये आवश्यक कदम उठायें। पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग की ओर इशारा करते हुए तापमान में वृद्धि वास्तव में हमारे लिए और साथ ही सरकार के लिए एक चिंता की बात होगी। गर्म हवाएं एक प्राकृतिक आपदा नहीं है। पछतावे के साथ, हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते हैं कि यह मानव निर्मित आपदा है। हम वनों की कटाई, शहरीकरण, कारखानों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। इन सभी से, आर्द्रता में कमी, कम मानसून, मौसम के पैटर्न में बदलाव, औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि ने तापमान की तरह गर्म हवाओं को पैदा कर दिया है। अगर उचित उपाय समय पर नहीं किये जाते हैं, तो बहुत जल्द हम आधुनिक समाज की वजह से अधिक से अधिक विनाश देखेंगे।