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इबोला वायरस का प्रकोप – क्या भारत तैयार है?

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ebolaडब्लूएचओ के मुताबिक इबोला दुनिया की सबसे गंभीर और घातक बीमारियों में से एक है। वर्तमान में इसका प्रकोप सबसे बुरा है। ज्यादातर मामलों में इससे संक्रमित लोग मर जाते हैं। यह घातक वायरस वर्ष 1976 में पहली बार कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के नजरा, सूडान और यम्बुकू में पाया गया था। अभी तक यह मुख्य रुप से उप-सहारा अफ्रीका के उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों तक ही सीमित है। अन्य देशों में इस वायरस से बहुत कम लोग ग्रसित हैं। इबोला बुखार का छः देशों गिनिया, सिएरा लिओन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, अमेरिका और माली में सबसे अधिक प्रकोप हुआ है, 11 नवम्बर 2014 तक 5177 मौतों सहित 14000 से अधिक मामले रिकार्ड किये गये।

दिल्ली हवाई अडडे पर इबोला का परीक्षण

भारत ने वायरस के मामले में सख्त होकर एक भारतीय निवासी के वीर्य नमूने के बाद इबोला वायरस के निशान दिखाकर एक नये मामले का पता लगाया है। लाइबेरिया में काम कर रहे 26 वर्षीय भारतीय का पहले इलाज किया गया था और वह घातक वायरस से ठीक हो गया था, उसे दिल्ली के एयरपोर्ट के स्वास्थ्य संगठन कुरानटाइन सेंटर में रखा गया था।

इबोला क्या है?

इबोला वायरल बीमारी को इबोला रक्तस्रावी बुखार के रुप में भी जाना जाता है। मानवों, बंदरों, गोरिल्ला और चिंपाजियों में यह संक्रामक वायरल रक्तस्रावी बुखार के कारण होता है। यह वायरस फिलोविराइड परिवार के जीनस इबोलावायरस वंश का है। यह एक घातक वायरस है, जिससे संक्रमित 90% लोगों की मृत्यु हो जाती है।

इबोला वायरस के लक्षणः

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इबोला वायरस से संक्रमित व्यक्ति शुरुआत में इन लक्षणों का सामना करता हैः

कुछ दिन (8-10 दिन) के बाद लक्षण बढ़ने लगते हैं जैसेः

इबोला वायरस के लक्षणः

यह वायरस अधिकांशतः जानवरों से मनुष्यों तक फैलता है। मनुष्यों में यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त संपर्क, मूत्र, लार और पसीने जैसे दूषित तरल पदार्थ तथा दूषित इंजेक्शन के संपर्क के माध्यम से भी फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने के बावजूद संभोग की स्थिति में वीर्य के माध्यम से वायरस फैल सकता है। डब्लूएचओ के अनुसार, स्वस्थ कर्मचारी और संक्रमित व्यक्ति के परिवार के सदस्य इबोला बुखार के अधिक खतरे में होते हैं।

वायरस के उपचारः   

इबोला वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आयी है। कुछ टीकों का परीक्षण हो चुका है तथा कुछ प्रक्रिया में हैं, लेकिन अभी तक चिकित्सा के लिए उपयोग नहीं किये गये हैं। इस वायरस से बचने के लिये नीचे दिये गये उपचार ही “सहायक चिकित्सा” हैं-

वायरस के निवारणः   

क्या इबोला के लिये तैयार है भारत?

चल रहे ईबोला को एक अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया है और इसलिए हर देश को घातक वायरस पर सतर्कता के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है। भारत को भी सतर्क होना चाहिए क्योंकि इबोला-प्रभावित अफ्रीकी देशों में 45000 भारतीयों के यात्रा करने से यह खतरनाक वायरस भारत में आ सकता है। भारत में

इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उठाये गये कदम-

हवाई अड्डों पर किए गए कुछ उपाय

अब तक सब ठीक है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए आश्वासन और निवारक उपायों के साथ, हम आशा करते हैं कि अगर देश में सभी बीमारियों का पता चल जाएगा तो बीमारियों को नियंत्रण में लाया जा सकता है। हालांकि, स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी अन्य बीमारियों से निपटने के बारे में भारत के पिछले रिकॉर्ड पर विचार करते हुए स्थिति इतनी आशाजनक नहीं दिखती। क्या भारत वास्तव में खतरनाक  बीमारियों के प्रकोप से निपटने में सक्षम हो सकता है, जब कि देश में इसकी अरबों की आबादी के साथ अलग होने की स्थिति, रोकथाम और उपचार की सुविधा पूरी तरह से सुसज्ति नहीं है? इस बीच  हमें वायरस के सभी लक्षणों का पता लगते ही स्वच्छता की तरह हर समय सावधानी बनाये रखते हुए डाक्टर के पास जाना चाहिए और इस रोग के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढानी चाहिए।

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