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आधार कार्ड पर महत्वपूर्ण फैसला

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आधार कार्ड पर महत्वपूर्ण फैसला

आधार पहचान से जुड़े गोपनीयता के मुद्दों पर महीनों से चल रही बहसबाजी पर विराम लगाते हुए आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया। भारतीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय खंडपीठ ने आधार पहचान को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुए, दस्तावेज के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 33 (2), 47 और 57 को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय 10 मई को याचिका दाखिल करने के बाद 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद सामने आया। दायर की गई याचिका में तीन पहलुओं पर चर्चा की गई, पहला – आधार अधिनियम 2016 की वैधता, दूसरा – क्या सरकार भारत के हर निवासी से जनसांख्यिकीय जानकारी और बॉयोमेट्रिक विवरण मांगने के लिए अधिकृत है और तीसरा – नागरिक की गोपनीयता उसका मौलिक अधिकार है या नहीं।

दायर की गई याचिका में इन तर्कों के जवाब में, न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने कहा कि समानता- गोपनीयता, गरिमा और सार्वजनिक हित जैसे मानदंडों के आधार पर तय की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आधार समाज के गरीब तबके को ताकत देता है इसलिए आधार की अनिवार्यता बेहद जरूरी है। आधार द्वारा एकत्रित आंकड़े न्यूनतम होते हैं, यह सार्वजनिक हित के लिए बेहद जरूरी है।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य विशेषताएं-

 

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आधार पहचान से जुड़े गोपनीयता के मुद्दों पर महीनों से चल रही बहस के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया। भारतीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय खंडपीठ ने आधार पहचान को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुए, दस्तावेज के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 33 (2), 47 और 57 को रद्द कर दिया।
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