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क्या आप अपनी बेटी के लिए सुकन्या समृद्धि के माध्यम से निवेश करना चाहेंगे?

June 28, 2018


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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी लड़की को ट्वीट कर कहा कि “……क्योंकि बेटियाँ तो सबकी प्यारी होती हैं”, इस लड़की ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत द्वारा की गई सेवा के लिये प्रशंसा की थी। यह एक ऐसी भावना है जिसके लिये एनडीए सरकार बार-बार आवाज उठा रही है।

अक्टूबर 2014 में लड़कियों की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिये शुरू होने वाली योजना ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ काफी सुर्खियों में रही है। जनवरी 2015 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के अन्तर्गत सुकन्या समृद्धि खाता योजना शुरू की। यह योजना वित्तीय पहलू से निपटकर, घरेलू स्तर पर छोटी बचत को बढ़ावा देने के द्वारा बेटी के कल्याण की मूल बातों पर केन्द्रित है।

सुकन्या समृद्धि खाता क्या है?

सुकन्या समृद्धि का शाब्दिक अर्थ बालिका की समृद्धि से है। यह बचत योजना माता-पिता और अभिभावकों(कानूनी) को एक नियमित रूप से छोटी धनराशि को कम उम्र से ही बालिकाओं की समृद्धि के लिये जमा करने को प्रेरित करती है। इस संचयी राशि का उपयोग बेटी की शिक्षा, विवाह और उद्यमी सपनों को पूरा करने के लिये किया जा सकता है।

सुकन्या योजना समृद्धि खाते का विवरण, लाभ और विशेषताएं

इस योजना के तहत बेटियों के माता-पिता या अभिभावकों(कानूनी) को भारतीय स्टेट बैंक, पीएनबी, यूको, केनरा बैंक, बीओबी, आंध्र बैंक, इलाहाबाद बैंक या किसी भी डाक घर या अधिकृत बैंको की शाखा में बचत खाते खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस योजना से नवजात शिशु से लेकर 10 वर्ष तक की बच्चियों को लाभान्वित किया जा सकता है। माता-पिता या अभिभावक को सालाना 10,000 रुपये से सालाना 1,50,000 रुपये के बीच निवेश करना होता है। यह राशि लड़की की 18 साल की उम्र तक जमा की जा सकती है। 18 साल की उम्र पूर्ण होने पर वह ब्याज के साथ 50 प्रतिशत धनराशि को वापस ले सकती है और 21 साल की परिपक्वता होने पर पूरी धनराशि वापस ले सकती है। यदि खाताधारक 18 साल में शादी कर लेती है तो वह अंतिम परिपक्वता से पहले खाता बंद कर सकती है और धनराशि को वापस ले सकती है।

नियमित बचत खाते से सुकन्या समृद्धी खाते में भिन्नता

इन दिनों ज्यादातर बैंक छोटे खाते खोलने की मांग करते हैं, आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि सुकन्या समृद्धी खाता नियमित रूप से छोटी बचत करने वाले खातों से कैसे अलग है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं –

  • ज्यादातर बैंक माता-पिता या अभिभावक को केवल छोटे खाते खोलने की अनुमति देते हैं, वह भी तब जब माता-पिता या अभिभावक का उसी बैंक में खाता हो। उदाहरण के लिए एचडीएफसी बैंक किड्स एडवांटेज अकाउंट केवल तभी खोलने की अनुमति देता है जब उस बैंक में बच्चे के माता-पिता का पहले से ही खाता हो या वे उसके साथ में ही अपना खाता खोलें। सुकन्या समृद्धि खाते में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं किया गया है। एसबीआई जैसे कुछ बैंको में, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का खाता खोलने के लिये माता-पिता को भी संयुक्त रूप से खाता खोलना होगा।
  • कई बैंको में अपने खाते को जारी रखने के लिये एक न्यूनतम शेष राशि बनाये रखना जरूरी होता है। लेकिन सुकन्या समृद्धी खाते में ऐसी कोई शर्त नहीं है। क्योंकि यह कम आय वाले परिवारों को समायोजित करता है। और उन्हें बचत करने के लिये प्रेरित करता है। उदाहरण के तौर पर, आईसीआईसीआई बैंक यंग स्टार और स्मार्ट स्टार खातों को जारी रखने के लिये न्यूनतम 2500 रूपये मासिक औसत शेष राशि की आवश्यकता होती है ऐसा न करने पर 100 रुपये मासिक जुर्माना लगाया जाता है। सुकन्या समृद्धी योजना (एसएसवाई) में यदि कोई न्यूनतम 1000 रुपये वार्षिक जमा नहीं करता है तो बैंक या डाकघर द्वारा 50 रुपये वार्षिक जुर्माना लगाया जायेगा।
  • इन खातों में सबसे महत्वपूर्ण बात ब्याज दर की है। एसबीआई जैसी ज्यादातर बैंको की मामूली खाता ब्याज दरें 4 प्रतिशत हैं। कुछ बैंके जैसे कोटक महिंद्रा बैंक जूनियर सेविंग्स अकाउंट की ब्याज दर 6 प्रतिशत है। एसएसवाई खाते का मुख्य लाभ भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित उच्च ब्याज दर है। 2015-16 की शुरूआत में इसकी प्रस्तावित ब्याज दर 9.1 प्रतिशत थी। इसे बाद में इसे 9.2 प्रतिशत कर दिया गया। 2016-17 के लिए ब्याज दर 8.5 प्रतिशत अनुमानित है। यह ब्याज सालाना बढ़ता जायेगा और खाते में जोड़ा जायेगा, इस प्रकार हर साल निवेश के योग में वृद्धि होती रहेगी। यह भारतीयों को इस योजना के जरिए अपनी बेटियों के भविष्य को उज्वल करने के लिये एक महान प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • अधिकांश अन्य नाबालिगों के खाते वाले बैंक नाबालिगों को अपने खाते में निकासी, स्थानान्तरण और जमा करने की अनुमति प्रदान करते हैं। एसएसवाई खातों में निकासी केवल तभी संभव है जब खाताधारक (लड़की) 18 वर्ष की हो जाती है।

सुकन्या समृद्धि योजना या पब्लिक प्रोविडेन्ट फंड (पीपीएफ)?

पीपीएफ या पब्लिक प्रोविडेन्ट फंड भारत में बचत और निवेश को आकर्षित करने के लिये एक लोकप्रिय साधन के रूप में उभर रहा है।

इस योजना के तहत माता-पिता और अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों के लिये खाता खोल सकते हैं, इसलिये यह योजना (उच्च ब्याज दर और बचत अवसरों की वजह से भी) भी माता-पिता के लिये लोकप्रिय रही है। यहाँ पीपीएफ और एसएसवाई के माध्यम से निवेश करने में कुछ भिन्नताऐं हैं जिनकी आपको भली प्रकार जानकारी होनी चाहिए। एसएसवाई में खाता खोलने के लिये आपकी बेटी की उम्र 10 वर्ष से कम होनी चाहिए जबकि पीपीएफ में छोटे या वयस्क, बेटा या बेटी कोई भी खाता खोल सकते हैं। पीपीएफ खाता भी, चुनिंदा पोस्ट ऑफिस, कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की शाखाओं और कुछ निजी बैंकों में भी खोला जा सकता है। पीपीएफ की ओर से किए जाने वाला न्यूनतम अंशदान सालाना 500 रुपये है।

एसएसवाई की शुरूआती ब्याज दर पीपीएफ की अपेक्षा अधिक (9.2 प्रतिशत बनाम 8.7 प्रतिशत) थी।

इस साल एसएसवाई 8.5 प्रतिशत जबकि पीपीएफ 8.1 प्रतिशत ब्याज दर प्रदान करती है।

यदि आप अभी भी अपने बच्चे के लिए एक बेहतर निवेश के विकल्प को लेकर अनिश्चित हैं तो निम्नलिखित पर विचार करें –

यदि आपकी संतान बेटी है? तो एसएसवाई आपकी बेटी के लिये एक बेहतर बचत योजना है। बेटों के माता-पिता पीपीएफ में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।

आप नकदी के किस स्तर को देख रहे हैं? यदि आपका लक्ष्य पूंजी वापस लेना है तो एसएसवाई 18 या 21 वर्ष की आयु में रिटर्न देने वाला एक बेहतर विकल्प है। पीपीएफ नकदी ने मामले में एक अच्छी योजना है यह निर्दिष्ट अवधि 7 साल बाद वापसी की अनुमति देता है।

निवेश की शर्तें?

निवेश की शर्तें क्या है? अगर माता-पिता लंबे समय तक किसी निवेश विकल्प की तलाश में हैं और यह आशा कर रहे हैं कि उनका बच्चा 21 साल की उम्र में भी बचत करना जारी रखे, तो पीपीएफ, एसएसवाई की अपेक्षा एक बेहतर विकल्प है।

एक संतुलित निवेश सूची

एसएसवाई और पीपीएफ दोनों खाते 10 साल की सरकारी बॉन्ड की तुलना में बेहतर विकल्प हैं। यह विचार करने पर कि एसएसवाई में निवेश 10 साल से अधिक की अवधि के लिए है तो आने वाले समय में संभवतः ब्याज दरों में कमी आ सकती है। निवेश विशेषज्ञों का कहना है कि एसएसवाई के साथ में ही म्यूचुअल फंड में निवेश करने से आपकी बेटी को अधिक संतुलित निवेश सूची और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिल सकता है।