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दवा उद्योग पर जीएसटी का प्रभाव – कैंसर की दवाएं सस्ती

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drugs-for-cancer-diabetes-rare-diseases-to-get-affordable-after-GST-hindiवस्तु और सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 से पूर्णतयः लागू होने के लिए तैयार है। 12% कर दर के साथ जीएसटी एकल कर प्रणाली है जो अप्रत्यक्ष करों की संख्या को कम करेगी, दवा उद्योग में दवा के दामों में कम से कम 80 प्रतिशत की वृद्धि का भय था।

हालांकि, राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने इसके लिये कदम उठाए हैं और यह सुनिश्चित करके सभी आशंकाओं को दूर कर दिया है कि 1 जुलाई से पूरे देश में जीएसटी की शुरूआत के बाद भी दवाएं सस्ती रहेंगी। एनपीपीए के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा, “कंपनियों के लिए जीएसटी के सुचारू रूप से कार्यान्वयन की सुविधा के लिए, हमने 761 दवाओं के अस्थायी बिक्री मूल्यों का हल निकाल लिया है।”

एनपीपीए ने एक अधिसूचना जारी की है, इसके अनुसार 761 दवाओं का बिक्री मूल्य संशोधित किया गया है जो दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 की अनुसूची 1 का हिस्सा है।

सभी दवा कंपनियों को सूची के माध्यम से कार्य करने के लिए निर्देश दिए गए हैं और यदि कोई सुधार किया जाता है तो 29 जून तक एनपीपीए को सूचित करने के निर्देश दिये गये हैं।

इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) के अध्यक्ष दीपनाथ रॉय चौधरी के अनुसार, “अनुसूचित दवाओं के अधिकतम शुल्कों में गिरावट आई है और अब यह उम्मीद की रेखा पर हैं।”

एनपीपीए ने जीएसटी को शामिल किए बिना दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन किया है –

हालांकि, दवा कंपनियां चिंतित हैं कि इन दवाओं की अधिकतम कीमतों में गिरावट आ गयी है, जबकि जीएसटी को दवाओं के नये अधिकतम मूल्यों में जोड़ने से उसके मौजूदा मूल्य दरों में और बढ़ोतरी हो जायेगी।

जिन दवाओं की आधार कीमतों में कमी हो गई है, जीएसटी के आने से उनकी कीमतों में मामूली वृद्धि हो जायेगी, जो दवा उद्योग की सांत्वना के रूप में आ जाएगी। वास्तव में, एनपीपीए की अधिसूचना के अनुसार, इन दवाओं की कीमतें कुछ सौ रुपये तक कम हो जाएंगी –

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