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भारतीय ध्वज संहिता

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भारतीय ध्वज संहिता- आप सभी को पता होना चाहिए

तिरंगा – हमारा गौरव

26 जनवरी को हमारा तिरंगा हवा में फहराया जाता है और देशभक्ति के गीत हर गली तथा हर स्कूल में बज रहे होते हैं। इसके बाद जब हम देशभक्ति के इन गानों जैसे “…ये शुभ दिन है  हम सब का, लहरालो तिरंगा प्यारा …..” को सुनते हैं, तो शायद ही कोई ऐसा हो जिसकी आँखें देशभक्ति के इन जोशीले गानों को सुनकर भर न आएं।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वजया तिरंगा, भारत के बेशकीमती राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है। संविधान कहता है, कि  “भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। “भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान इस झंडे के प्रतिनिधित्व में भारतीयों ने अपनी शक्तियों को एकत्र करके इसके सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए हजारों लोगों ने (सशस्त्र बलों के सदस्यों सहित) अपने जीवन का बलिदान कर दिया था।

ध्वज संहिता को समझना

गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस जैसे विशेष दिन परहर भारतीय, घर, स्कूल, या कार्यस्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहतें हैं। वर्ष 2004 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सम्मान और गर्व के साथ स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय झंडे को फहराने का अधिकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अनुसार एक नागरिक का मौलिक अधिकार है, वह राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और भावनाओं की अभिव्यक्ति गर्व से कर सकता है।”

इसलिए, इससे पहले कि हम आगे बढ़ें और इस मौलिक अधिकार का प्रयोग करें, आइए ध्वज संहिता पर एक नजर डालें, जोकि तिरंगा फहराने के नियमों को परिभाषित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि झंडे की गरिमा एवं सम्मान को बनाए रखा जाए।

भारत की ध्वज संहिता अलग-अलग संदर्भों में भारतीय झंडे के उपयोग के नियमों का एक समूह है और इसे 1968 में बनाया गया था। बाद में वर्ष 2002 और वर्ष 2008 में इसका अद्यतन किया गया था। वर्ष 2002 में भारत का ध्वज संहिता राज्य-चिह्न के प्रावधान के साथ प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के साथ और राष्ट्रीय सम्मान (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लिए अपमान की रोकथाम का विलय कर दिया गया था।

ध्वज संहिता का प्रथम भाग

ध्वज संहिता का प्रथम भाग मानक ध्वज के विवरण और आयाम के साथ संबंधित है।

                   मानक ध्वज परिमाण
ध्वज आकार संख्या परिमाण मिलीमीटर में
1 6300× 4200
2 3600 × 2400
3 2700 × 1800
4 1800 × 1200
5 1350 × 900
6 900 × 600
7 450 × 300
8 225 × 150
9 150 × 100

ध्वज संहिता का द्वितीय भाग

भारतीय ध्वज संहिता का अगला भाग संशोधन प्रदर्शन संहिता के साथ संबंधित है और इसमें एक नागरिक के लिए ध्वज के संचयन/निपटान के लिए दिशा-निर्देश हैं।

झंडे के अपमान पर नेशनल ऑनर एक्ट 1971 (2003 में संशोधित) में झंडे को जमीन पर रखने जैसे कई अनादरों पर सजा का प्रावधान है। पहले अपराध पर 3 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना देना पड़ेगा। इसके बाद अपराधों में कम से कम एक वर्ष के लिए जेल कारावास से दंडित किया जाएगा।

राष्ट्रीय ध्वज के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा-

“मैं राष्ट्रीय झंडे और लोकतंत्रात्मक संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी पंथ-निरपेक्ष गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ लेता/लेती हूं, जिसका प्रतीक झंडा है।“

भारतीय ध्वज संहिता का तृतीय भाग

भारतीय ध्वज संहिता की तृतीय धारा, रक्षा प्रतिष्ठानों को छोड़कर ध्वज को सही स्थान पर फहराने, रखने और निपटान करने जैसे दिशा-निर्देशों के साथ संबंधित है, जो अपने स्वयं के झंडा प्रदर्शन संहिता द्वारा शासित होते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अधिकांश खंड द्वितीय के प्रदर्शन के दिशा-निर्देशों के समान हैं।

राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जानने योग्य बातें

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