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गणेश चतुर्थी 2018: विघ्नहर्ता गणेश जी का आगमन

September 11, 2018
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गणेश चतुर्थी 2018

ॐ गं गणपतये नमो नम:

श्री सिध्धीविनायक नमो नम:

अष्टविनायक नमो नम:

गणपती बप्पा मोरया

गणेश जी के इस मंत्र का जप करने से हमारा मन और आत्मा भाव विभोर होकर सकारात्मकता और धार्मिकता से परिपूर्ण हो जाता है। चारों तरफ गणेश जी के भक्तों द्वारा  गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गई हैं। यह शानदार त्यौहार सबके प्रिय भगवान गणेश जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जो अपनी शक्तियों से भक्तों के कष्टों को हरने और सुख समृद्धि लाने के लिए जाने जाते हैं। दुनिया भर में इस त्यौहार (गणेश चतुर्थी) को भक्तों द्वारा बहुत ही श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया जाता है। प्रत्येक भारतीय हिंदू परिवार में इस धार्मिक त्यौहार को लेकर तैयारियां पहले से ही शुरू होने लगती हैं। 11 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार की शुरुआत, पारंपरिक समारोहों जैसे भक्ति गीतों को गाकर, सड़कों पर उत्साहपूर्वक नृत्य करके, ढोल-नगाड़ो के साथ शोभायात्रा निकालकर, पटाखे फोड़कर, जोरदार उत्साह के साथ ‘गणपति बप्पा मोरया’ का जयकारे लगाकर की जाती है।

भारत में इस साल गणेश चतुर्थी कब मनाई जाएगी?

भारत में इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्यौहार 13 सितंबर को मनाया जा रहा है। यह त्यौहार भाद्रपद माह में चंद्र मास के चौथे दिन शुक्लपक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है और 14वें दिन को पूर्ण चंद्र अवधि की समाप्ति को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी 2018- पूजा का शुभ मुहूर्त

तिथि: 13 सितंबर 2018

गणेश चतुर्थी पूजा का समय: सुबह 10:50 से दोपहर 1:16 बजे तक

गणपति बप्पा को घर लाने का समय: सुबह 11:00 बजे से पहले

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने का समय:  दोपहर 1:16 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त (गणेश चतुर्थी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय): सुबह 11:58 से दोपहर 12:47 बजे

गणेश चतुर्थी का महत्व

हिंदू चंद्र पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी का त्यौहार (भगवान गणेश का आगमन) भाद्रपद महीने में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश जी को गणपति, विनायक और विघ्नहर्ता, सिद्धि विनायक, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड, गजानन, संकट मोचन और कई अन्य नामों से जाना जाता है। सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके हम अपने कार्य का शुभारम्भ करते हैं। गणेश जी हिंदुओं के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। चाहे किसी के जीवन में बाधाएं हो, नए घर का गृह प्रवेश हो, या फिर एक नया व्यवसाय शुरू करना हो सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। हमारे गणपति बप्पा हमें सभी कठिनाइयों और कष्टों को दूर करते हैं और बुराइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश जी के जन्म से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं। भगवान गणेश जी का जन्म असामान्य परिस्थितियों में भगवान शिव और देवी पार्वती के दूसरे पुत्र के रूप में हुआ था। किवदंतियों के अनुसार देवी पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक बालक के रूप में भगवान गणेश को अवतरित किया था। जब देवी पार्वती स्नान कर रही थी तब उन्होंने स्नान स्थल पर कोई आ न सके इसके लिए गणेश को प्रवेश द्वार पर पहरा देने का आदेश दिया था उस समय भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे, भगवान शिव तपस्या करने के बाद लौटे और उन्होंने गणेश को प्रवेश द्वार पर रक्षा करते हुए देखा। जब गणेश जी ने भगवान शिव को उस स्नान स्थल पर प्रवेश रोक दिया, तो भगवान शिवजी ने क्रोधित होकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। आवाज सुनते ही देवी पार्वती, उस स्थान पर पहुँची और देखा कि उनके बेटे का सिर धड़ से अलग हो गया है। भगवान शिव अपनी पत्नी को परेशानी में देखकर, पश्चाताप करने लगते हैं और उनके पुत्र को पुनः जीवित करने का वादा करते हैं वह अपने पुत्र के लिए एक नया सिर (हाथी का) लाने का आदेश देते हैं। उसके बाद एक हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर गणेश जी को पुन:जीवित कर देते हैं। एक नया सिर प्राप्त करने पर, गणेश जी सभी हिंदू देवताओं में सबसे अद्वितीय बन गए। गणेश चतुर्थी का त्यौहार हिंदूओं के देवता गणेशजी के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इन दस दिनों तक अपने भक्तों के साथ रहने की खातिर कैलाश पर्वत को छोड़ दिया था।

क्या अनुष्ठान कि जाते हैं?

त्यौहार के दौरान चार मुख्य अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। जो इस प्रकार हैं-

 प्राणप्रतिष्ठा – इसमे सर्वप्रथम गणेश जी की मूर्ति को स्थापित किया जाता है इसके बाद मूर्ति को मंत्रों द्नारा प्राणप्रतिष्ठित करके गणेश देवता का आह्वान किया जाता है।

षोडशोपचार पूजन – इस अनुष्ठान में गणेश जी को 16 प्रकार से भेटें अर्पित की जाती हैं। जिसमें गणेश जी को मिठाई, गुड़, सिक्के, नारियल, फूल और चावल चढ़ाये जाते हैं। लाल चंदन लगाकर मूर्ति की पूजा की जाती है।

उत्तरपूजन – गणपति विसर्जन से पहले भक्तों द्वारा की जाने वाली यह अंतिम पूजा होती हैं।

गणपति विसर्जन – पूजा करके अन्त में मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।

भारत में गणेश चतुर्थी कैसे मनाया जाता है?

11 दिनों की दीर्घावधि वाला गणेश चतुर्थी का यह त्योहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, कर्नाटक और कई अन्य राज्यों में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। घरों में या सार्वजनिक रूप से विस्तृत पांडलों में इस त्यौहार को गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करके मनाया जाता है। भक्तगण इस त्यौहार में तैयारी करने के लिए अपने घरों की सफाई करते हैं, घरों को सजाते है और गर्मजोशी एवं भक्ति के साथ अपने घरों में भगवान गणेश जी का स्वागत करते हैं। भक्त गण अपने घरों में भगवान को एक विशेष स्थान देते हैं और फूलों से सजाकर, स्वादिष्ट मिठाई चढ़ाकर उनकी पूजा करते हैं। मोदक, चावल के आटे से बनी पारंपरिक मिठाई पकवान सूखे मेवे के साथ भरी हुई नारियल और गुड़ की मिठाई इस त्यौहार में प्रसाद के रूप में चढ़ायी जाती है। प्लेट में 21 मोदक रखकर गणेश जी को चढ़ाये जाते हैं।

महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में विशाल गणेश पांडाल लगाया जाता है, जिसमें मिट्टी के बने भगवान गणेश जी की खूबसूरत मूर्तियों को बहुत ही सुंदरता से सजाकर इस त्यौहार का जश्न मनाया जाता है।

पूरे देश के शिल्पकार और मूर्तिकार इस प्रमुख त्यौहार के लिए पहले से ही भगवान गणेश की मूर्तियों को बनाने लगते हैं। भक्तगण गाते हैं, नृत्य करते हैं और लोक धुनो का आनंद लेते हैं। गणेश चतुर्थी समारोह के ग्यारहवें दिन इन मूर्तियों को भक्तों द्वारा जल में विसर्जित करने के लिए आस-पास की नदियों के घाटों या विशाल समुद्र के बीच प्रवाहित कर दिया जाता है। विसर्जन के दौरान लोग एक-दूसरे पर रंग भी फेंकते हैं। भगवान गणेश जी के स्वागत और विदाई के दोनों ही कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं।

यद्यपि गणेश चतुर्थी पूरे भारत में बड़े ही हर्षोउल्लास उत्साह और खुशी की भावना के साथ मनाया जाता है, लेकिन यह त्यौहार खासतौर से महाराष्ट्र, अहमदाबाद, कर्नाटक और राजस्थान राज्यों में सबसे महत्वपूर्ण और विशेष तरीके से मनाया जाता है। भारत विविधताओं का देश है और साथ ही भारतीय अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जो इन्हें एकता के सूत्र में बांधता हैं।   

महाराष्ट्र: गणेश चतुर्थी सार्वजनिक त्यौहार है यह महाराष्ट्र के प्रत्येक भारतीय परिवार में पूरी भक्ति और निष्ठा के साथ मनाया जाता है। पूरे राज्य में यह त्यौहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। राज्य में सड़कों पर भक्तों जमावड़ा इकट्ठा होता है। प्रत्येक घर में गणेश भगवान की छोटे आकार की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं जिनकी इन दस दिनों तक परम भक्ति के साथ पूजा की जाती है। इस अवसर पर पूरे महाराष्ट्र में बहुत बड़े-बड़े पांडाल लगाए जाते हैं, पांडाल में एक चबूतरानुमे आकार में भगवान गणेश की मूर्ति को साज-श्रंगार के साथ स्थापित किया जाता है। कुछ स्थानों पर, मेले और प्रदर्शनियों द्वारा समारोहों का आयोजन उत्कृष्ट स्तर पर किया जाता है। लोक नृत्य और संगीत प्रदर्शन, कविता प्रतियोगिताएं, नाटककला और फिल्मोत्सव भी इस त्यौहार का एक अविस्मरणीय हिस्सा हैं। ग्यारहवां दिन गणपति विसर्जन का अंतिम दिन है जिसमें मूर्तियों को उनके विसर्जन के लिए समीप की नदी में भक्तों के एक विशाल जुलूस द्वारा ले जाया जाता है। जिस समय, भक्तगण भक्ति गीत गाते हैं, एक दूसरे पर गुलाल डालते हैं, “गणपति बप्पा मोरिया” का जोर-जोर से जयकारा लगाते हैं।

कर्नाटक: कर्नाटक विभिन्न कर्मकांडी प्रकारों में गणेश चतुर्थी का जश्न मनाता है। भक्त इस त्यौहार पर भगवान गणेश की मां गौरी की प्रार्थना करते हैं। विवाहित महिलाएं सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माँ गौरी की प्रार्थना करती हैं। यह त्यौहार कर्नाटक के विभिन्न मंदिरों में मनाया जाता है, जहां भगवान गणेश और उनकी मां गौरी की एक साथ पूजा की जाती है।

अहमदाबाद: अहमदाबाद भी पूरे उत्साह और जोश के साथ गणेश चतुर्थी का जश्न मनाता है। सभी ग्यारह दिनों तक भक्तों द्वारा ज्ञान के देवता की उपासना की जाती है। इनकी पूजा हर जगह की जाती है फिर चाहे वह छोटे मंदिर हों या बड़े पांडाल। विसर्जन के दिन, साबरमती नदी और कंकड़िया झील में मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है। इस समारोह में भक्ति गीतों के साथ आतिशबाजी का प्रदर्शन किया जाता है।

राजस्थान: गणेश चतुर्थी का त्यौहार राजस्थान के हर घर में मनाया जाता है। भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को लाल फूलों की माला के साथ सजाकर और लाल कुमकुम लगाकर विसर्जित किया जाता है। उसी समय मूर्तियों को हर घर के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया जाता है। आने वाले मेहमानों के लिए मूर्ति के सामने प्रवेश द्वार पर एक छोटे से थाल में कुमकुम और हल्दी भी रखी जाती है। वे इस पूजा थाल से कुमकुम को चुटकी में लेकर अपने माथे पर या फिर गर्दन पर लगा सकते हैं, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। लड्डुओं को रिश्तेदारों और दोस्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। थाईलैंड, इंडोनेशिया, कंबोडिया, अफगानिस्तान, नेपाल और चीन जैसे अन्य देशों में भी भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

समारोह के अंत में गणेश मूर्तियों को जल में क्यों विसर्जित किया जाता है?

हम अपने देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं क्योंकि वे हमारी धार्मिक मान्यताओं को एक प्राकृतिक रूप देते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं और विचारधारा के अनुसार, शरीर नश्वर है पर आत्मा अमर है। नदियों या सागरों में हमारे देवी-देवताओं की मूर्तियों का विसर्जन इस बात का जीता-जागता उदाहरण है।

 

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गणेश चतुर्थी 2018: विघ्नहर्ता गणेश जी का आगमन   
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चारों तरफ गणेश जी के भक्तों द्वारा  गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गई हैं। यह शानदार त्यौहार सबके प्रिय भगवान गणेश जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जो अपनी शक्तियों से भक्तों के कष्टों को हरने और सुख समृद्धि लाने के लिए जाने जाते हैं।
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