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भारत में मधुमेह की व्यापकता

November 9, 2017
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भारत में मधुमेह की व्यापकता

मधुमेह (डायबिटीज) का स्पष्टीकरण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मधुमेह वर्तमान में दुनिया भर के लोगों में होने वाली सबसे बड़ी स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मधुमेह को “एक बहुत ही पुरानी बीमारी के रूप में परिभाषित किया है और बताया है कि जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है या जब शरीर प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है” तो यह बीमारी होती है। इंसुलिन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाला एक हार्मोन है। हाइपरग्लेसेमिया या रक्त शर्करा में वृद्धि मधुमेह का एक सामान्य प्रभाव है। मधुमेह के कारण दृष्टि हीनता, गुर्दे (किडनी) का खराब होना, हृदय आघात और हृदय रोग सहित कुछ अन्य गंभीर स्वास्थ्य रोग हो जाते हैं।

टाइप 1 मधुमेह तब होता है, जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। यह आमतौर पर बच्चों में अधिक होता है। टाइप 2 मधुमेह तब होता है, जब शरीर उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। शारीरिक गतिविधि, मोटापे या उचित आहार न लेने की आदतों की वजह से टाइप 2 मधुमेह होता है। आज-कल गर्भवती महिलाएं भी मधुमेह की गिरफ्त में हैं। लगभग 90 प्रतिशत लोगों में टाइप 2 मधुमेह होता है। टाइप 2 मधुमेह या मधुमेह मेलिटस को स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोका जा सकता है या उससे निजात पाई जा सकती है।

मधुमेह के रोगी को – बार-बार पेशाब लगना, असामान्य प्यास लगना, अत्यधिक थकान महसूस होना और ज्यादा भूख लगना, वजन घटना और लंबे समय में घाव का भरना आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है। हालाँकि, टाइप 2 मधुमेह का जल्द पता नहीं चल पाता है क्योंकि रोगी में सालों तक इस बीमारी के लक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं।

भारत में मधुमेह का प्रकोप-

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के आँकड़ों के अनुसार, दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। वर्तमान आंकलन से पता चला है कि, देश में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 1 करोड़ की वृद्धि के साथ करीब 6 करोड़ 20 लाख हो गई है, क्योंकि यह संख्या वर्ष 2011 में करीब 5 करोड़ 8 लाख थी। यदि आपको ऐसा लगता है कि देश में बहुत पहले से 6 करोड़ 20 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, तो जरा इस पर विचार करें। शोधकर्ताओं ने कहा है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो, वर्ष 2030 तक, भारत के करीब 10 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से ग्रस्त हो जाएंगें।

भारतीय, मधुमेह के प्रति अतिसंवेदनशील क्यों हैं?

भारतीयों को मधुमेह के प्रति अतिसंवेदनशील बनाने वाले निम्नकारक हैं-

  1. आनुवंशिक कारक इस बीमारी का तेजी से प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यूरोपवासियों के मुकाबले भारतीयों में मधुमेह की बीमारी होने की चार गुना अधिक संभावना होती है, जो पूरी तरह आनुवंशिक दृष्टिकोण पर आधारित है।
  2. इस बीमारी में सांस्कृतिक और सामाजिक कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट और संतृप्त वसा का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते हैं। भारतीय आहार में आवश्यकता से अधिक कैलोरी और चीनी होती है। यह मोटापे का मुख्य कारण है और मोटापे से ग्रसित लोगों में मधुमेह की संभावना काफी अधिक होती है।
  3. शहरी स्थानांतरण और जीवन शैली में परिवर्तन एक अन्य कारक है, जो भारत के लोगों में मधुमेह को बढ़ावा देता है। आज के युग के युवा आसीन जीवन शैली को अपनाना पसंद कर रहे हैं।

इस परिदृश्य को सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं है कि भारतीय लोग क्यों मधुमेह का शिकार हो रहे हैं। सभी राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जो साधारण (गरीब) लोगों को स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा कंगाल भी कर देती है। समाचार रिपोर्टों का कहना है कि “एक व्यक्ति अपनी आय का चौथाई हिस्सा मधुमेह और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण करने में खर्च कर देता है।”

भारत में मधुमेह के प्रति जागरूकता और शोध-

मधुमेह की जाँच और पहचान एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है, जिसमें रोगी के शरीर के एक भाग पर न्यूनतम प्रयास की आवश्यकता होती हैं। शहरों और उपनगरीय क्षेत्रों में बहुतायत संख्या में जाँच और पहचान केंद्र खुले हैं। हालाँकि, भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग अब भी मधुमेह की जाँच करवाने में सक्षम नहीं हैं। आंकलन के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 प्रतिशत लोग मधुमेह की जाँच और पहचान केंद्रों की स्थिति से अवगत नहीं हैं। हालाँकि, पोलियो, टीबी, मलेरिया और चेचक आदि के उन्मूलन के लिए कुछ मशहूर हस्तियों को शामिल किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा ऐसा कोई भी जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया है, जिससे लोग मधुमेह से अवगत हो सकें।

मधुमेह के कारण हर साल लगभग दस लाख भारतीयों की मृत्यु हो जाती है। वास्तव में 40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में मधुमेह का खतरा सबसे ज्यादा होता है, लेकिन इस देश में मधुमेह के लिए कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय भी पिछले दशकों में मधुमेह का प्रचार और इलाज के लिए एक राष्ट्रव्यापी शोध करने में विफल रहा है। भारत में मधुमेह जैसे रोगों के इलाज के लिए कुछ निजी संस्थान ‘मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन’ और ‘इंडियन डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन’ में शोध किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ शोध कार्यक्रम स्वतंत्र रूप से आरंभ किए जा रहे हैं, जबकि कुछ अन्य डब्ल्यूएचओ, इंटरनेशनल डायबटीज फाउंडेशन आदि के सहयोग से आरंभ किये जाते हैं। अन्य शोध परियोजनाएं शैक्षिक संस्थानों जैसे विश्वविद्यालयों और दवा कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं। अफसोस की बात है, मधुमेह के प्रसार के कारण खतरनाक स्वास्थ्य परिदृश्य को देखने के बावजूद भी सरकार अपनी आँखें बंद किए हुए है।

इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन (आईडीएफ) वर्ष 2007 से आशा के साथ अभियान चला रहा है। यह अभियान अनुगामी समूह और मधुमेह के बारे में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को शिक्षित करता है।

वर्तमान में उपचार के विकल्प –

आमतौर पर देखा जाये तो मधुमेह रोग प्रतिवर्ती नहीं होता है। इंसुलिन थेरेपी से भी इसका इलाज किया जाता है। प्रारंभ में मधुमेह को साधारण दवाओं द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन रक्त में ग्लूकोज का उच्च स्तर होने पर इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता होती है। देश-भर के सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण चिकित्सा केंद्रों में मधुमेह की दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं।

मधुमेह के कारण होने वाले अन्य बीमारियों का उपचार जैसे मधुमेह रेटिनोपैथी और जब गुर्दे खराब हो जाते हैं, तो उसका उपचार दवा और सर्जरी द्वारा किया जा सकता है। ये सुविधाएं भारत के ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में उपलब्ध हैं।

टाइप-2 या मधुमेह मेलिटस की रोकथाम –

टाइप 2 मधुमेह या मधुमेह मेलिटस के लक्षण जल्द पता नहीं चल पाते हैं, लेकिन इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित आहार का चयन मधुमेह की रोकथाम की कुंजी है। नियमित रूप से व्यायाम करना और शरीर के उचित वजन को बनाए रखना, मधुमेह की रोकथाम का एक बेहतर तरीका है। मोटापे से ग्रस्त लोगों में मधुमेह का खतरा अधिक होता है। शराब और तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग, इनका उपयोग कम करके मधुमेह की संभावनाओं से निजात पा सकते हैं। 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को, मधुमेह से बचने के लिए नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जाँच करवानी चाहिए।

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