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इजराइल की यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री मोदी

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pm-modi's-israel-visit-hindiभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल देश की ऐतिहासिक यात्रा पर हैं। वह इजराइल की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री है। उनका तीन दिवसीय दौरा सोमवार, 3 जुलाई 2017 से शुरू हुआ है। वह इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात कर चुके हैं और अब वह राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन से मिलेंगे। दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने भारत-इजराइल संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है जिसमें सुरक्षा, कृषि, जल, ऊर्जा, रक्षा और प्रौद्योगिकी शामिल हैं। दोनों देशों के प्रधानमंत्री आतंकवाद से निपटने के उपायों और इंटेलीजेंस को साझा करने पर चर्चा करेंगे। इस यात्रा के दौरान शामिल किए जाने वाले अन्य पहलुओं में आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों का संबंध शामिल हैं। भारत और इजराइल कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए भी तैयार हैं।

भारत-इजराअल द्विपक्षीय संबंध

भारत और इजराइल ने हमेशा एक व्यापक आर्थिक, सैन्य और रणनीति संबंधों का लाभ उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इजराइल देश के साथ भारत के संबंध विस्तारित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों में भारत ने इजराइल के खिलाफ मतदान में भाग नहीं लिया। हालांकि, यह सब कुछ पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव के व्यावहारिक स्वभाव के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने 1992 में शीत युद्ध के समापन के बाद इजरायल के साथ संबंधों में सुधार करने का फैसला किया था।

इजरायल के लिए दांव

मोदी का यह दौरा भारत और इजराइल के बीच 25 साल के राजनयिक संबंधों का प्रतीक है, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसको यादगार बनाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी है। वास्तव में, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मोदी की यात्रा के दौरान हर जगह उनके साथ रहने की योजना बना रहे हैं। इजराइल में मीडिया यह जानने के लिए उत्सुक है कि क्या भारत तेल अवीव के प्रमुख सहयोगी के रूप में अमेरिका की जगह ले लेगा और यह भी जानने के लिए उत्सुक है कि क्या ‘मोचन’ नई दिल्ली के माध्यम से यरूशलेम आएगा? वास्तव में यह काफी बड़ा दांव है क्योंकि इसराइल ने भारत के साथ अपने इतिहास में सबसे बड़ा सौदा किया है, 2 बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते में मिसाइल विरोधी प्रणाली और इजराइल में निर्मित की जाने वाली वस्तुओं की बिक्री शामिल है।

मोदी का प्रभाव

प्रधानमंत्री मोदी जानते है उनसे काफी उम्मीदें हैं। इसमें निम्नलिखित की पुष्टि की जा रही है :

भारत के इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध हो सकते हैं, लेकिन भारत को फिलिस्तीन या खाड़ी देशों को नजरअंदाज करना किसी कीमत पर सही नहीं है। हालांकि वास्तव में, मोदी फिलिस्तीन के दौरे पर नहीं जा रहे हैं, भारत ने मई में राष्ट्रपति महमूद अब्बास को दिल्ली में आमंत्रित किया था। फिलिस्तीन राज्य के लिए दिल्ली का समर्थन अपरिवर्तित रहता है। मोदी ने सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के सत्तारूढ़ परिवारों के साथ एक बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए भी इन देशों में से प्रत्येक देश का दौरा किया है।

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