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दिल्ली में शीश गंज साहिब गुरुद्वारा

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दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब

चांदनी चौक की हलचल के बीच – गुरुद्वारा शीश गंज साहिब, दिल्ली

“जब तक एक धार्मिक व्यक्ति अपने सिर को ब्राह्मण के आगे नहीं झुकाता है, तब तक वह राज्य-संबधी उत्पीड़न से मुक्त नहीं होता है।”

यह कथन एक प्रतिष्ठित धार्मिक व्यक्ति का था, जिसने हिंदुओं के लिए मुगलों के अत्याचारों का जमकर विरोध किया था। वह और कोई नहीं सिक्खों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब थे। गुरु तेग बहादुर साहिब को वीरता और दृढ़ विश्वास का प्रतीक माना जाता था। भारत के हिंदुओं की धार्मिक आस्था की रक्षा करने के कारण मुगल शासक औरंगजेब ने उनका सिर काट दिया था। शीश गंज साहिब गुरुद्वारा, इस बहादुर गुरु की शहादत का प्रतीक चिन्ह है।

यह शीश गंज गुरुद्वारा, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक नामक स्थान पर स्थित है और गुरु तेग बहादुर जी के शहादत स्थल के रूप में पहली बार इस गुरुद्वारे की स्थापना वर्ष 1783 में की गई थी। शीश गंज गुरुद्वारा दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक है। इस धार्मिक स्थान की वर्तमान संरचना वर्ष 1930 में निर्मित कराई गई थी। इसमें एक एक विशाल हॉल भी समायोजित है, जिसके ठीक केन्द्र में एक पीतल का मंडप बना है, जिसमें सिक्खों की पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब रखी हुई है। रात में रुकने के इच्छुक आगंतुकों के लिए इस गुरुद्वारे के विशाल कॉम्प्लेक्स में 250 कमरे और 200 लॉकर हैं। इस गुरुद्वारे में दुनिया भर से आने वाले अनेक पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

शीश गंज साहिब गुरुद्वारा पूरे देश के सिखों के लिए बहुत महत्व रखता है। गुरु तेग बहादुर जी को जिस वृक्ष के नीचे शहादत दी गई थी, उस वृक्ष का तना अभी भी गुरुद्वारा के अंदर संरक्षित है और कारावास के समय तेग बहादुर नहाने के लिए जिस कुएं का उपयोग करते थे, वह अभी भी इस गुरुद्वारा के अंदर अच्छी तरह से संरक्षित है। इस गुरुद्वारा के निकट एक कोतवाली या पुलिस स्टेशन भी मौजूद है, जहाँ गुरु तेग बहादुर जी व उनके वफादार शिष्यों को कैद करके उन पर अत्याचार किया गया था। सिख धर्म के लगभग 15,000 धार्मिक भक्त रोजाना इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे में माथा टेकने के लिए आते हैं। इस गुरुद्वारे में हर रोज “लंगर” (सामुदायिक रसोई) की प्रतीक्षा करते हुए पर्यटकों और भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं।

गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने ही भारत में सिख धर्म के बेहतरीन भविष्य की नींव रखी है। इस शीश गंज साहिब गुरुद्वारे में दुनिया भर के लोग आशीर्वाद लेने, शांति प्राप्त करने और आत्मा की शुद्धता के लिए आते हैं।

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