वर्ष 1987 में भारत के हैदराबाद शहर में सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड की स्थापना करने के बाद रामलिंग राजू बिरजू, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के अग्रणी के रूप में भारतीय व्यापार परिदृश्य में उभरे। उन्होंने इस कंपनी को अपने ब्रदर-इन-ला (साले) डीवीएस राजू के सहयोग से शुरू किया था।

सत्यम घोटाले से पहले रामलिंग राजू और उनका जीवन

रामलिंग का जन्म 16 सितंबर 1954 को हैदराबाद के एक छोटे से शहर भीमवाराम में, सत्यनारायण राजू के घर में हुआ था। उन्होंने अपने पिता के नाम पर कंपनी का नाम ‘सत्यम’ रखा था। उनका विवाह नन्दिनी से हुआ और उनके दो बेटे तेजा और रामू हैं।

रामलिंग ने 1975 में विजयवाड़ा के आंध्र लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया। उसके बाद वह ओहियो विश्वविद्यालय से एमबीए करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गए थे।

वर्ष 1977 में राजू भारत लौट आए और कपड़े का व्यवसाय शुरू किया। श्री सत्यम उनकी कंपनी का नाम था। इसके बाद उन्होंने सत्यम कंस्ट्रक्शन शुरू करने के साथ रियल एस्टेट सेक्टर में काम किया। अपनी तेज बुद्धि और क्षमताओं के कारण वह आगे बढ़ते गए और फिर एक अन्य उद्यम आईटी क्षेत्र में आने के लिए स्वयं को सक्षम बनाया। उन्होंने सत्यम इन्फोवे और सिफी को प्रारंभ किया। वर्ष 1992 में स्थापित, इस उद्यम ने जल्द ही भारतीय आईटी बाजार को आश्चर्यचकित कर दिया।

दर्शन, विज्ञान और प्रबंधन से संबंधित पुस्तकों के इच्छुक और अनुरागी, रामलिंग राजू भी प्रतिष्ठित पुरस्कारों की एक सारणी के हकदार हैं;

  • वर्ष 1999 में, अर्नस्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर सर्विसेज अवार्ड
  • वर्ष 2000 में, डाटाक्वेस्ट आईटी मैन ऑफ द ईयर अवॉर्ड
  • सीएनबीसी के एशियाई व्यापार नेता – वर्ष 2002 में कॉर्पोरेट नागरिक का वर्ष पुरस्कार
  • वर्ष 2005 में, हैदराबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (एचएमए) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

सत्यम घोटाले पर लघु वर्णन

रामलिंग राजू को वर्ष 2007 में अर्नस्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर पुरस्कार और  2008 में एर्न्स्ट एंड यंग उद्यमी और कॉर्पोरट गवर्नेंस के लिए गोल्डन पीकॉक अवार्ड से सम्मानित किया गया था, जो कि बाद में सत्यम घोटाले में उनकी भागीदारी होने पर रद्द कर दिए गए थे। राजू ने जनवरी 2009 में कंपनी के चेयरमैन के पद से इस्तीफा देकर स्वीकार किया कि उन्होंने कई सालों से खातों के आंकड़े में हेरा-फेरी की और लाभ में बढ़ोत्तरी की। उन्होंने तिमाही के दौरान कंपनी के खराब प्रदर्शन की स्थिति को छिपाने के लिए 7000 करोड़ रुपये का घोटाला किया और समय के साथ धोखाधड़ी की राशि 14000 करोड़ तक बढ़ गई।

सत्यम घोटाले के बाद रामलिंग राजू का जीवन  

सत्यम की धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आने के बाद भारतीय बाजार को झटका लगा, श्री राजू ने स्वीकार किया कि वह इस घोटाले में शामिल थे और “यह शेर पर सवारी करने की तरह था, यह नहीं पता था कि इसको खाये बिना कैसे छुटकारा पाया जाए।”

उन्होंने बोर्ड के सदस्यों को एक पत्र लिखा और कहा, “अब मैं अपने आप को देश के कानूनों के अधीन कर रहा हूँ और इसके परिणामों को भुगतने के लिए तैयार हूँ।”

इसके बाद, रामलिंग राजू को चंचलगुडा से केंद्रीय जेल भेज दिया गया, शुरूआत में उन्हें एक साधारण कैदी के रूप में रखा गया था। लेकिन अदालत के आदेश आने के बाद, उन्हें विशेष कैदी की तरह रखा गया। वर्तमान में, वह बहु अनुशासनात्मक जाँच दल द्वारा होने वाली एक जाँच प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। इस दल का नेतृत्व केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने किया है।

 

 

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