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शकुंतला देवी की जीवनी

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शकुंतला देवी भारत की एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थीं और संख्यात्मक गणना करने के लिए जानी जाती थीं। किसी भी यांत्रिक सहायता के बिना जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने वाली उनकी असाधारण प्रतिभा और कौशल के कारण इन्हें ‘मानव कम्प्यूटर’ नाम दिया गया था। शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर, 1939 को बैंगलोर, कर्नाटक (भारत) में हुआ था।

शकुंतला के पिता एक सर्कस कलाकार थे, जिन्होंने शकुंतला को ताश (कार्ड) के दाँव-पेंच के माध्यम से गणित की दुनिया से परिचित करवाया। शकुंतला देवी को अपनी अद्भुत स्मरण शक्ति का उपयोग करते हुए तीन साल की कम उम्र में ही संख्यात्मक गणनाओं के प्रति अपनी असाधारण रुचि को विकसित करने का मौका मिला।

धीरे-धीरे, कुछ वर्षों में शकुंतला की स्मरण शक्ति और गणनात्मक कौशल मजबूत हो गए और कुछ ही समय में वह जटिल मानसिक अंकगणित की विशेषज्ञ बन गईं। शकुंतला की असाधारण क्षमताओं और प्रतिभाओं का सार्वजनिक प्रदर्शन मैसूर विश्वविद्यालय और अन्नामलाई विश्वविद्यालय से शुरू हुआ और देखते ही देखते यह छात्रों और प्रोफेसरों की एकत्रित भीड़ को हक्का-बक्का करते हुए दुनिया भर के संस्थानों में फैल गया। उनके समय में, ट्रूमैन हेनरी सेफर्ड जैसा गणना करने वाला असाधारण व्यक्तित्व भी मौजूद था, फिर भी शकुंतला देवी ने बहुत ही कम उम्र से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

अपनी कुशाग्र बुद्धि के कारण शकुंतला देवी गणितीय समस्याओं को सुलझाने में निपुण थीं। उनकी प्रतिभाओं में जटिल एल्गोरिद्म (लॉजिक) और वैदिक गणित के साथ, जोड़, गुणा, भाग, वर्गमूल और घनमूल की गणनाएं शामिल थीं। वे पिछली शताब्दी से पूछी गई तारीख के दिन और सप्ताह को बताने के लिए एक पल भी नहीं लेती थीं। शकुंतला देवी उस समय के कुछ सबसे तीव्र गति वाले कंप्यूटरों को भी हरा सकती थीं। शकुंतला की अनेक उपलब्धियों के बीच, 1995 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम होना उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है, जो इस प्रकार है-

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