भारत में सामान्य रूपों में किया जाने वाला भ्रष्टाचार बहुत ही कायदे और कानून के साथ लागू किया जा रहा है। ऐसा तब होता है जब कोई सरकारी कर्मचारी लाइसेंस और किसी भी प्रकार के अनुमति पत्र को जारी करने के लिए अपने अधिकार का उपयोग गलत तरीके से करता है। आमतौर पर, जब भ्रष्टाचार का एक ऐसा स्वरूप होता है तब सरकारी कर्मचारियों के निहित अधिकार को गैर-कानूनी घोषित किया जाता है, जबकि नियम लागू होते हैं। इस तरह के भ्रष्टाचार का एक उदाहरण यह है कि कारोबारी फर्मों से पर्यावरण मंजूरी देने के बदले उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। अक्सर आम नागरिक जैसे हम लोग भी ऐसे भुगतान करते हैं ताकि हमारे घर की योजना को अनुमति मिल सके। यह सब काम गोपनीय तरीके से नहीं किए जाते हैं क्योंकि बहुत से लोग इसमें किसी न किसी रुप से शामिल होते हैं।
खरीदारी की समृद्धि
जहाँ तक देखा जाए तो खरीदारी में समृद्धि भारत में भ्रष्टाचार का दूसरा सबसे प्रमुख प्रकार है। यह भ्रष्टाचार सरकारी संस्थाओं द्वारा किए गए खरीद के संबंध में है। खरीदी गई वस्तुओं में हथियार और गोला-बारूद के साथ-साथ हवाई जहाज और ऐसे अन्य उपकरणों की खरीददारी के लिए किया गया बहुत बड़ा सौदा शामिल हो सकता है। उसी समय इसी प्रकार का भ्रष्टाचार छोटी दुकानों से खरीदी गई कार्यालय स्टेशनरी में भी हो सकता हैं। इतना ही नहीं ऐसे भ्रष्टाचार विभिन्न सरकारी सम्मेलनों और बैठकों में परोसे जाने वाले भोजन में भी किए जाते हैं। ऐसे कार्यों को पूरा करवाने वाले सरकारी अधिकारी विक्रेता से कुछ कमीशन तय करते हैं, जिसे सौदे के लिए चुना गया है।
संसाधन किराया
यह भ्रष्टाचार का एक और रूप है जो भारत में काफी प्रचलित है। यह आमतौर पर तब होता है जब सरकारी कर्मचारी सरकार के संसाधनों के आवंटन का दुरुपयोग करते हैं। इसमें भूमि, स्पेक्ट्रम और खान जैसे महत्वपूर्ण संसाधन शामिल हो सकते हैं। यह भ्रष्टाचार आमतौर पर सरकारी वर्ग के लोगों के साथ-साथ बाहरी शक्तियों (उच्च प्रशासनिक पदों से संबंध रखने वालों) के बहुत से लोगों के द्वारा किया जाता है। आमतौर पर एक उच्च स्तरीय गोपनीयता इस तरह के लेनदेन में रखी जाती है क्योंकि केवल कुछ ही प्रतिष्ठित लोग इसमें शामिल होते हैं। संसाधन पर वसूले जाने वाले किराये जैसी प्रथाओं के माध्यम से यह अभ्यास में है जिससे भारत में सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
विकास शुल्क
इस प्रकार के भ्रष्टाचार में, विभिन्न सामाजिक कल्याणों में आवंटित धन और विकास कार्यक्रमों का दुरुपयोग किया जाता है। ऐसे भ्रष्टाचार के रूप में हम कई उदाहरणों को दर्शा सकते हैं, जहाँ सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों ने किसी विकास कार्य के लिए आए पूरे पैसों को या आधे पैसे को हड़प लिया, जिन पैसों को स्कूलों के निर्माण या सड़कों की मरम्मत जैसे कार्यों के लिए निर्धारित किया गया था। इस तरह की गतिविधियों में पर्यवेक्षकों और उच्च अधिकारियों को पूरे कार्यक्रम में शामिल होना जरूरी है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घोटालेबाज पूरे घोटाले को बिना किसी परेशानी के कर सकें।
अपराध लाभांश
अपराध के इस रूप में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी वास्तव में विभिन्न प्रकार की आपराधिक और अवैध गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं, साथ ही ऐसे लोगों को संरक्षण प्रदान करते हैं जो वित्तीय या अन्य लाभों के बदले ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। उदाहरणों के तौर पर, हम सरकारी अधिकारियों का उदाहरण देख सकते हैं, जो सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण जैसे अपराधों को देखते रहते हैं। कभी-कभी, कुछ स्थानों पर ऐसा देखा गया है कि पुलिस अधिकारी भी अपने फायदे के लिए आपराधिक गतिविधियों को अनदेखा कर देते हैं और उन आपराधिक घटनाओं में भागीदार बन जाते हैं तथा लाभ प्राप्त करते हैं। यह अक्सर देखा गया है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में सरकारी अधिकारियों ने एक किसान की जमीन किसी दूसरे व्यक्ति को दे दी।