एफएमसीजी क्षेत्र के लिए यह गौरव की बात है कि दो वर्षों में पहली बार एफएमसीजी में ग्रामीण भारत (उपभोक्ताओं में वृद्धि) के उपभोग से 2 अंको की वृद्धि हुई है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी विकास दर अधिक विस्तारित हुई है।
ग्रामीण भारत में उपभोग में वृद्धि का कारण
पिछले साल हुई अच्छी मानसूनी बारिश और इस साल भी सामान्य वर्षा की उम्मीद की वजह से कृषि आय में वृद्धि हुई है, यही कारण है कि ग्रामीण भारत में एफएमसीजी उपभोग में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। अच्छे मानसून के कारण कृषि उत्पादन अच्छा होता है, जिससे ग्रामीण किसान और ग्रामवासियों की आय में वृद्धि होती है क्योंकि इनकी आय का मुख्य स्त्रोत कृषि है। इससे ग्रामीण भारत के एफएमसीजी उत्पादों की माँग में वृद्धि आई है।2013 और 2014 में लगातार दो सालों तक मॉनसून कमजोर रहा था। जिसने ग्रामीण माँग पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ा। पिछले कुछ महीनों से इनपुट लागत में कमी आई है और विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 12 महीनों तक एफएमसीजी उपभोग में बढ़ोत्तरी की कोई संभावना नहीं है। ग्रामवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की माँग, विशेष रूप से कृषि उत्पादन से प्राप्त हुई आय पर निर्भर करती हैं। क्रय की गतिविधियाँ कृषि उत्पादन पर निर्भर करती हैं। भारत एशिया का तीसरा सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश है जहाँ 800 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार कृषि पर ही निर्भर हैं इसलिए भारत में क्रय पैटर्न को आकार देने में वार्षिक मानसून की वर्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दूसरी ओर खराब मानसून के कारण फसलों की पैदावार अच्छी नहीं होती जिसके कारण आय कम होती है और बिक्री स्थिर रहती है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में उपभोग की तुलना
तीन महीने पहले मार्च 2017 में, एफएमसीजी में ग्रामीण माँग में 5% वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि, अप्रैल से जून 2017 की अवधि के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों में मात्रा के आधार पर कुल बिक्री या ग्रामीण इलाकों में बेची गई वस्तुओं की वास्तविक संख्या में 11% की वृद्धि दर्ज की गई। यह 2015 के मध्य के बाद सबसे उच्चतम वृद्धि दर थी। इसी अवधि में, शहरी बाजार में केवल 7% की वृद्धि हुई। यह रिपोर्ट डबल्यूपीपी के उपभोक्ता कंटार वर्ल्डपैनल द्वारा पूर्ण निरीक्षण के बाद नवीनतम आँकड़ों के अनुसार जारी की गई।
यह ग्रामीण माँग ही है जिसने देश के एफएमसीजी क्षेत्र के समग्र विकास में सुधार लाने में मदद की है। वर्तमान में, एक तिहाई से अधिक उपभोक्ता वस्तुओं को ग्रामीण बाजारों में विक्रय किया गया है जिसका मुख्य कारण ग्रामीण उपभोक्ता हैं।
क्या विकास की गति जारी रखी जा सकती है?
बड़ा सवाल यह है कि विकास की गति जारी रह सकती है या नहीं? भारत के ग्रामीण खुदरा दुकानदार, थोक दुकानदार पर अधिक निर्भर रहते हैं क्योंकि वे कुकीज, तेल या टूथपेस्ट जैसी अन्य उपभोक्ता वस्तुओं को उनके अनिवार्य संग्रहण के लिए रखते हैं। इन आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दूरदराज के गाँवों में छोटी खुदरा दुकानों पर आपूर्ति की जाती है। लेकिन जीएसटी कार्यान्वयन के साथ ग्रामीण इलाकों में अभी भी ऐसी कई खुदरा दुकानें हैं जो जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) नेटवर्क से पंजीकृत नहीं हैं। एक अन्य तथ्य जो इस सकारात्मक वृद्धि की कहानी को पटरी से उतार सकता है वह है आपूर्ति श्रृंखला में विघटन के साथ फसलों को बेचकर उचित कीमत न पाना।
यह देखा गया है कि पिछले 2-3 वर्षों में, एक बार फिर ग्रामीण भारत में खपत की दर शहरी विकास दर की तुलना में अधिक रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी कार्यान्वयन के साथ, ग्रामीण इलाकों की खुदरा दुकानों में पुनः स्थापना की प्रक्रिया धीमी हो गई है क्योंकि नए जीएसटी बदलावों के अनुकूल होने के लिए थोक विक्रेताओं को समय लगेगा। लेकिन, जुलाई-अंत तक स्थिति सामान्य हो जायेगी।
विशेषज्ञों का मानना है, हो सकता है कि जीएसटी के बाद उत्पाद मूल्य निर्धारण में परिवर्तन एक नकारात्मक तरीके से ग्रामीण विकास को प्रभावित कर दे। लेकिन अभी तक यह देखा गया है कि ग्रामीण बाजारों में व्यापार सामान्य चल रहा है।
सारांश
शहरी बाजार एफएमसीजी में कुल राजस्व का एक बड़ा हिस्सा है लेकिन इसकी तुलना में ग्रामीण बाजार में तेजी से वृद्धि हो रही हैं। इस साल के आँकड़ों से यह स्पष्ट हो गया है कि ग्रामीण बाजारों से एफएमसीजी में वृद्धि की संभावना अधिक है। ग्रामीण भारत के उपभोक्ता बाजार में कई नए ब्रांड्स को भी सम्मिलित किया जाएगा। पिछले 10 वर्षों से एफएमसीजी क्षेत्र का वार्षिक औसत लगभग 11% हो गया है। यह अनुमान लगाया गया है कि सन् 2020 तक सीएजीआर में 17.7% की वृद्धि के साथ ग्रामीण एफएमसीजी बाजार 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।
यह देखा गया है कि वर्ष के अंत में शहरी विकास में वृद्धि हुई है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि एफएमसीजी की माँग में ग्रामीण विकास शहरी विकास की तुलना में अधिक है। वर्तमान रुझान के हिसाब से वर्ष की दूसरी छमाही में अच्छे मानसून के प्रभाव के साथ ग्रामीण विकास को और सकारात्मक होने की संभावना है।