दुनिया के अधिकांश देशों ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और रिमोट सेंसिंग (आरएस) में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। भारत में अच्छे कर्मचारियों की कमी हमेशा एक चिंता का विषय रही है। नई और उन्नत तकनीक के आगमन के साथ, भू-स्थानिक विज्ञान के महत्व को बढ़ावा मिला है। भारत में त्वरित वृद्धि और विकास की संभावनाएं कई उद्योगों और व्यवसायों को जीआईएस और रिमोट सेंसिंग का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इन उपकरणों और तकनीकों का उपयोग कृषि, सिंचाई, वन, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में व्यापक रूप से किया जा सकता है। भू-सूचना में जीआईएस, रिमोट सेंसिंग और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) शामिल हैं।
भारत के शीर्ष 12 संस्थानों में स्नातक और परास्नातक कोर्स में जीआईएस और रिमोट सेंसिंग विषय शामिल हैं –
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून – रिमोट सेंसिंग और जीआईएस से एम.टेक.।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे – रिमोट सेंसिंग से एम.टेक.।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) खड़गपुर, कानपुर और रुड़की – जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) विभाग।
- इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई – रिमोट सेंसिंग से एम.टेक, जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) से बी.ए. और एम.ई.।
- सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइनफॉर्मेटिक्स, पुणे –जिओनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) से एम.एस.सी. और जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) एंड सर्वे टेक्नोलॉजी से एम.टेक।
- भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली – जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) से एम.टेक. और जिओलॉजिकल रिमोट सेंसिंग और जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) से एम.टेक।
- जामिया मिलिया इस्लामिया, (ए सेंट्रल यूनिवर्सिटी) नई दिल्ली – रिमोट सेंसिंग और जीआईएस एप्लीकेशन से स्नातक डिप्लोमा।
- बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची – रिमोट सेंसिंग से एम.एस.सी. और एम.टेक।
- राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद।
- महासागरीय अध्ययन विश्वविद्यालय जादवपुर कोलकाता – जीआईएस और रिमोट सेंसिंग से स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
- पर्यावरण प्रणाली अनुसंधान संस्थान।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय – रिमोट सेंसिंग और जीआईएस से स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
रोजगार के अवसर
विभिन्न उद्योगों में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग में जीआईएस और रिमोट सेंसिंग में रोजगार के अवसरों की संभावना में सुधार हुआ है। मिसाइल और मानव रहित हवाई प्रौद्योगिकी से लेकर शहरी प्रशासन, ई-गवर्नेंस, रिमोट सेंसिंग और यहाँ तक कि विज्ञापन और मार्केटिंग से लेकर हर क्षेत्र भौगोलिक-स्थानिक डेटा पर निर्भर करता है।
एक सफल जीआईएस पेशेवर हेतु आवश्यक कौशल विकसित करने के लिए कई वर्षों का समय लगता है। हालांकि सिविल इंजीनियरिंग स्ट्रीम का एक विकल्प, अन्य विषयों के छात्रों, विशेष रूप से भूगोल और भू-विज्ञान द्वारा विशेषज्ञता के रूप में भी किया जा सकता है। भारत और विदेशों में इस क्षेत्र में कैरियर के कई अवसर हैं। इस प्रकार, पेशेवर और शैक्षिक पृष्ठभूमि (जैसे भूगोल, शहरी नियोजन, मानचित्रण, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर साइंस आदि) की एक विस्तृत विविधता के उम्मीदवार जीआईएस पेशेवरों के रूप में सफल होने की उम्मीद रखते हैं।
भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां विभिन्न स्तरों पर जीआईएस पेशेवरों को रोजगार देती हैं –
सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन।
- नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर।
- नेशनल स्पेशियल अंतरिक्ष डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग।
- भारतीय वन सर्वेक्षण।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण।
- भारत सर्वेक्षण।
- डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी।
- रक्षा मंत्रालय।
- पर्यावरण मंत्रालय।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र।
- नार्थ ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन सेंटर।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान।
- कृषि विभाग और सिंचाई विभाग।
- मौसम विभाग।
- खनन, मृदा संरक्षण, भूमि गिरावट और भूजल प्रबंधन।
- नेचुरल रिसॉर्स मैनेजमेंट।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद।
- स्पेस एप्लीकेशन सेंटर एंड एविएसन
- शहरी विकास प्राधिकरण और नगरपालिका।
- वाटरशेड एंड वाटरलैंड मैनेजमेंट।
निजी क्षेत्र और अन्य संगठन
दूरसंचार, तेल और गैस परिवहन के क्षेत्र में उचित अवसर उपलब्ध हैं। जीआईएस को कैरियर स्ट्रीम के रूप में चलाने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को gisinindia.com/directory/gis-companies-in-india कई कंपनियों की एक बहुत संसाधनयुक्त संसाधनों की निर्देशिका मिलेगी।
नौकरी की स्थिति
जीआईएस मैनेजिंग टेकनीशियन, जीआईएस डाटा स्पेशलिस्ट, जीआईएस एप्लीकेशन स्पेशलिस्ट, जीआईएस बिजनेस एनालिस्ट, जीआईएस इंजीनियर, जीआईएस ऑपरेटर, जीआईएस कंसलटेंट, जिओस्पेशियल सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जीआईएस प्रोग्रामर, और जीआईएस तकनीकी सहायक जैसे विभिन्न स्तरों पर जीआईएस और रिमोट सेन्सिंग को विभिन्न पेशेवर स्तरों पर रखा जा सकता है।
अपेक्षित वेतन
जिओइनफॉर्मेटिक्स (भू-सूचना) की बढ़ती माँग के साथ, वेतन संरचना में सुधार हुआ है यह अनुभव के साथ उस स्थान पर निर्भर करता है जो कि इसके लिए लागू किया गया है। जीआईएस विश्लेषक का अपेक्षित वेतन 1.4 लाख से लेकर 5.9 लाख प्रतिवर्ष तक हो सकता है, जीआईएस इंजीनियर प्रतिवर्ष 1.5 लाख से 5 लाख रुपये और एक जीआईएस परियोजना प्रबंधक प्रति वर्ष 6.0 से 11 लाख रुपये तक कर सकता है।