आज के युग में अधिकांश लोग अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए गोलियाँ और उन्नत दवाइयों का सेवन करते हैं, लेकिन काफी कम लोग यह जानते हैं कि भारतीय चिकित्सा का पारंपरिक रूप आयुर्वेद, बीमारियों को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, हम यह भूल जाते हैं कि आयुर्वेद ने युगों से हमारे देश के लोगों की किस तरह से सेवा की है। यदि आयुर्वेद की उपयोगिता के संबंध में कोई गलत धारणा नहीं है, तो यह अकेला ही अपने आपको सार्वजनिक विश्वास के योग्य बनाता है।
हमारे आस-पास में कई उच्च गुणवत्ता वाली औषधियाँ, जड़ी-बूटियाँ और औषधीय पौधें मौजूद होते हैं, परंतु हम उनसे अनभिज्ञ होते हैं, जिनका विभिन्न प्रकार की बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो निम्न हैं-
बेल
बेल भारत में उपलब्ध कई औषधीय पौधों में से एक है, जिसका उपयोग आप अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए कर सकते हैं। यह एक ऐसा पेड़ है, जिससे बहुत से लोग परिचित हैं और इसके पत्ते अतिसार, कब्ज और पेचिश जैसे रोगों का उपचार करने में अत्यधिक सहायक होते हैं।
तुलसी
तुलसी एक पौधा है, जिसे आप ग्रामीण भारत के हर परिवार के आँगन में आसानी से देख सकते हैं। तुलसी की पत्तियाँ खांसी, ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ), जुखाम होना और भूख न लगना आदि जैसे मामले में उपयोगी हो सकती हैं। वास्तव में, तुलसी दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली कफ निस्सारक (एक्सपेक्टरेंट) हर्बल है।
पुदीना
पुदीना को “पिपरमिंट” भी कहा जाता है। पुदीना का शीतल स्वाद, इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है। हालांकि, इसके कई औषधीय महत्व भी हैं, जिसमें घावों के उपचार के साथ-साथ अपच को दुरुस्त करना आदि शामिल हैं।
मेंहदी
मेंहदी को “हिना” भी कहा जाता है। जल-जाने पर इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है तथा भारतीय महिलाएं काफी लंबे समय से मेंहदी का उपयोग अपने हाथों में लगाने के लिए करती हैं।
नीम
भारत में सभी जगह पाई जाने वाली सबसे बहुमूल्य जड़ी-बूटियों में से एक नीम का नाम आयुर्वेद में उल्लेख किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि नीम के पेड़ से आने वाली हवा भी आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। नीम की पत्तियों के अर्क का इस्तेमाल एक शामक औषधि के रूप में किया जा सकता है। नीम की पत्तियाँ कुछ गंभीर बीमारियों जैसे कि एनाल्जेसिक, उच्च रक्तचाप और मिर्गी को भी ठीक कर सकती हैं। इन दिनों टूथपेस्ट में भी नीम की पत्तियों का उपयोग किया जा रहा है तथा भारत में टूथपेस्ट का आविष्कार होने से पहले नीम की कोमल टहनियों का इस्तेमाल टूथब्रश के रूप में किया जाता था। नीम के चिकित्सीय क्षमताओं के कारण, भारत में खाना पकाने में भी उपयोग किया जाता है।
दालचीनी
दालचीनी भी एक कफ निस्सारक के रूप में लोकप्रिय है। यह सामान्यतः पूरे भारत में “दालचीनी” के रूप में ही जानी जाती है। यह आपके फेफड़ों संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का इलाज करने में आपकी मदद कर सकती है। दालचीनी सामान्य बुखार के साथ-साथ हृदय संबंधी विकार से भी निजात दिलाने में सक्षम होती है।
लैवेंडर
लैवेंडर का फूल अपनी मनमोहक महक के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसका फूल एक एंटीसेप्टिक के रूप में भी कार्य करता है। लैवेंडर के फूल को चोट लगने और कटने पर लगाया जाता है। यह कुछ मामलों में दर्द को भी कम कर देता है।
गेंदा
पूरे भारत में इसे सामान्यतः “गेंदा” के रूप में ही जाना जाता है। इसकी पत्तियों से निकाले गए रस का धूप की झुलसन, दाग और मुँहासे जैसी समस्याओं में उपयोग किया जा सकता है। यह औषधीय गुणों के साथ एक जड़ी-बूटी भी है और यह पाचन संबंधी समस्याओं के साथ-साथ फोड़े को भी ठीक कर सकता है।
कुछ अन्य उपयोगी औषधीय पौधे
आंवला: आंवले के फल विटामिन सी की कमी से उत्पन्न हुए रोगों और बीमारियों से निजात दिलाने में काफी सहायक होते हैं। यह जुखाम और मधुमेह में भी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह एक रेचक औषधि (लैक्सेटिव) के रूप में भी कार्य कर सकता है और यह अति अम्लता (हाइपरसिडिटी) से पीड़ित लोगों की सहायता करता है।
अशोक: दस वर्षीय अशोक की छाल से निकला फूल मासिक धर्म के दर्द, मधुमेह और विभिन्न गर्भाशय संबंधी विकार जैसी बीमारियों के उपचार के काम में आ सकता है।
अश्वगंधा: एक वर्षीय अश्वगंधा के वृक्ष की पत्तियों और जड़ों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे तनाव और तंत्रिका तंत्र की समस्याओं के मामले में एक दृढ टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक कामोद्दीपक के रूप में भी कार्य करता है।
भूमि आंवला: एक वर्ष के बाद भूमि आंवला का पूरा पौधा औषधीय गुणों से परिपूर्ण हो जाता है। यह खून की कमी, जलोदर (ड्रोप्सी) और पीलिया जैसी विभिन्न बीमारियों से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाता है।