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सच क्या है?

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माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बयान में कहा कि “सच के कभी-भी दो पहलू नहीं होते।” इस बयान ने मुझे सोचने पर विवश कर दिया और अब मैं लिख रहा हूं।

सिमर का सवाल – सच क्या है?

सिमर का जवाब – सच एक झूठ है।

सिमर का सवाल – क्या सच में 2 पहलू होते हैं?

सिमर का जवाब – सच के अनगिनत पहलू होते हैं।

सिमर का सवाल – कैसे?

सिमर का जवाब – जैसा कि सच एक झूठ है, इसलिए हर एक व्यक्ति का सच को लेकर अपना-अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है।

सिमर का सवाल – लेकिन सच पूर्ण होना चाहिए?

सिमर का जवाब – हाँ! मैं इस बात से सहमत हूँ। पर गंगा भी पूरी तरह से स्वच्छ होनी चाहिए, सही कहा ना मैंने?

सिमर का सवाल – अगर सच पूर्ण नहीं है, तो फिर यह क्या है?

सिमर का जवाब – सच अगर पूर्ण नहीं है तो यह हो सकता है – आंशिक सच; वरणात्मक सच; अव्यवस्थित सच; आधा सच; झूठा सच और निश्चित रूप से अप्रासंगिक सच।

सिमर का सवाल – सत्य हमेशा एकाकी होता है?

सिमर का जवाब – एकाकी सत्य एक कल्पना है।

सिमर का सवाल – यदि यह सच है, तो इसका एक उद्देश्य होना चाहिए।

सिमर का जवाब – होना भी चाहिए और नही भी। होना चाहिए – यदि सच को परिभाषित करने वाली सभी निर्धारित शर्तों को पूरा कर लिया जाता है, तो यह एक उद्देश्य है। नहीं – यदि सच को परिभाषित करने वाली सभी स्थितियों को कभी पूरा नहीं किया जाता है, तो यह व्यक्तिपरक है।

सिमर का सवाल – सच किसी बात का पता लगाने का एक तरीका है?

सिमर का जवाब – सभी तरीकों को खरीदा जा सकता है या अवरुद्ध किया जा सकता है। उदाहरण की आवश्यकता है?

सिमर का सवाल – सत्य का कभी अंत नहीं होता?

सिमर का जवाब – सच किसी की आवश्यकता नहीं होती। क्योंकि सच की जरूरत कभी भी और कहीं भी समाप्त हो सकती है। जरूरतों का अंत हो जाता है लेकिन सत्य जीवित रह सकता है और आगे बढ़ सकता है तथा दोबारा अस्तित्व में आ सकता है।

सिमर का सवाल – सच में आवाज नहीं होती?

सिमर का जवाब – हाँ, यही कारण है कि हमारे चारों ओर इतना कोलाहल है, जिसे इससे पहले कभी नहीं सुना मैंने।

सिमर का सवाल – ज्यादा गुस्सा करने पर सच बाहर आ जाता है, सच कहा ना मैंने?

सिमर का जवाब – क्या आप कोई बयान गुस्से में और पूरी तरह से बेकाबू होकर दे रहे हैं? अगर आप गुस्से में बोलते समय कुछ सोचते-समझते नहीं तो यह निश्चित रूप से आपके लिए घातक साबित हो सकता है।

सिमर का सवाल – सत्य प्रबल होना चाहिए?

सिमर का जवाब – बेशक होना चाहिए, लेकिन प्रबलता के साथ इसके एक नहीं बल्कि कई पहलू होने चाहिए।

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