“जब कभी भी आप एक अच्छी पुस्तक पढ़ते हैं तो ये आपके लिए नए विचारों, संभावनाओं और संस्कृतियों का ज्ञान अर्जित करने का मार्ग खोल देती है।”- वेरा नजारियान
हम दुनिया के बाकी लोगों की तरह निश्चित नहीं हैं, लेकिन अधिकांश भारतीय इस बात से सहमत हैं। वर्ष 2016 की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में भारत में छठा सबसे बड़ा पुस्तक बाजार (बुक मार्केट) है और अंग्रेजी बोलने वाले देशों में भी दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के एक साल पहले, अनुमान बताते हैं कि हमारे देश में लगभग 19,000 पब्लिशिंग हाउस (प्रकाशन कार्यालय) हैं। तथ्य यह है कि हमारा देश पुस्तक प्रेमियों का देश है और इस तथ्य से यह स्पष्ट है कि हर साल 90,000 से अधिक पुस्तकों का विमोचन किया जाता है और दुनिया की कुछ सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन भारत में किया जाता है। भारत की पुस्तक बाजार का 261 अरब (2015) रूपये की आमदनी के आंकड़े का अनुमान लगाया गया था और वर्ष 2020 तक इसके 739 अरब रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है। इसलिए अभी तक हमने “पुस्तक या कोई पुस्तक” के बहस के मुद्दे का निपटारा नहीं किया है, यहाँ पर मैंने शौकीन पाठकों के बीच ई-बुक्स और पेपर बुक्स को विभाजित किया है- दोनों में से कौन बेहतर है – प्रिंट (पेपर) बुक्स या ई-बुक्स?”
जगह कहाँ है?
ई-बुक्स ने पुस्तकों के भंडारण की सबसे बड़ी समस्या का समाधान कर दिया है। शौकीन पाठकों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यह है कि कागजी पुस्तक का भंडारण कहाँ किया जाए। इन भारी-भारी पुस्तकों को संभाल कर रखना और उनकी देखभाल करना बहुत ही मुश्किल होता है। उसके बाद डिजिटल पाठकों को उत्साहित करने के लिए और छोटा किंडल डिवाइस, जो शायद एक पतली पुस्तक की तुलना में बड़ा था, लेकिन इसमें हजारों पुस्तकों को भंडारित किया जा सकता है। इतना ही नहीं, यह उपकरण मात्र कुछ क्लिकों पर इंटरनेट से पुस्तकों का विनिमय, खरीद, रेटिंग और समीक्षा जैसी चीजें आ जाती हैं। ये ई-बुक्स बैक लाइट्स के साथ आते हैं और इनको आप संभवतया अपनी आवश्यकतानुसार कहीं भी पढ़ सकते हैं। आप इसे किसी भी स्थिति में पढ़ने के लिए एक छोटे से बैग में संपूर्ण पुस्तकालय साथ ले जा सकते हैं।
एक अध्ययन के अनुसार, देश में लगभग 70 प्रतिशत पब्लिशिंग हाउस (प्रकाशन कार्यालय) ने अपनी पुस्तकों का डिजिटाइज़ (डिजिटलीकरण) करना शुरू कर दिया है। स्वयं-प्रकाशन ने ई-बुक्स के बाजार को काफी ऊँचाई तक पहुंचा दिया है ई-कॉमर्स के मंच ने वास्तव में ई-बुक्स को खरीदना और पढ़ना आसान बना दिया है, बिना किसी स्टोर पर जाकर या पुस्तकों को मंगाने के लिए प्रतीक्षा करने की वजह से डिजिटल किताबों की लोकप्रियता में काफी वृद्धि देखने को मिली है।
लागत की गणना
लोकप्रिय तर्कों में से एक यह है कि ये पेपर (रंगीन छपी हुई) बुक्स बनाम ई-बुक्स विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में इनकी लागत को लेकर इन पर बहस की गई है। ई-बुक्स रीडर जैसे किंडल एप्स काफी महँगे होते हैं। साधारण भारतीय इस तरह के उपकरण के लिए हजारों रूपये भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। दूसरा पहलू यह है कि डिजिटल पुस्तकों को पढ़ने में दीर्घकालिक लागतें अक्सर हमारे लाभ के लिए काम करती हैं। ई-बुक्स, पेपर बुक्स (प्रिंटेड बुक्स) से लगभग हमेशा सस्ती होती हैं। इसका कारण यह है कि ई-बुक्स की प्रकाशन लागत पेपर बुक्स की प्रकाशन लागत की तुलना में काफी कम है। जबकि किंडल रीडर जैसे उपकरण वास्तव में एक जेब खर्च के जितना होता है, स्मार्टफोन और टैबलेट पर मुफ्त में एप्लीकेशन डाउनलोड करके हम उनको पढ़ने पर काफी ज्यादा विचार करते हैं। तथ्य यह है कि लाखों पीडीएफ और ऑनलाइन उपलब्ध पुस्तकों की डिजिटल प्रतियों (उनमें से कई फ्री होती हैं) को शामिल किया जाता है, डिजिटल किताबें उन लोगों के लिए एक स्पष्ट पसंद और एक उचित विकल्प है, जो इसकी लागत के प्रति जागरूक हैं।
नई पुस्तकों की महक
हालांकि हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि छपी हुई पुस्तकों (प्रिंटेड बुक्स) का यहाँ उचित स्थान हो सकता है, हमें समान रूप से यह लगता है कि हो सकता है पेपर बुक्स के ज्यादा दिन तक टिकाऊ रहने का कोई प्रबल कारण हो। छपी हुई रंगीन पुस्तकों का स्पर्श और अनुभव एक गुणवत्ता है जो हम में से अधिकांश पाठकों को पसंद आती हैं। पुस्तकों की महक प्रमुख अनुभवों में से एक है जो पुस्तक प्रेमियों से काफी जुड़ी होती है। इतना ही नहीं पुरानी पुस्तकों या पुस्तकालयों में रखी पुस्तकें हमें बचपन और लोगों की याद दिलाती हैं। पुस्तकों को उपहार के रूप देने से खुशी की अनुभूति, पुस्तकों में स्नेह से छोटे-छोटे नोट्स लिखना, पीढ़ियों के माध्यम से ये पसंदीदा चीजें कम हो रही हैं, और रचनात्मक बुकमार्क्स क्राफ्टिंग तैयार करने के साथ-साथ आनन्ददायक पुस्तकों को पढ़ने की वास्तविक सुख की खूबसूरती को एक पाठक के लिए हैंड-डिवाइस के माध्यम से बदला नहीं जा सकता है।
डिजिटल किताब के सबसे बड़े फायदों में से एक यह है, जिससे संभवतः इनकार नहीं किया जा सकता है, यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसको प्रकाशित करने के लिए सैकड़ों वृक्षों को काटने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि छपी हुई (प्रिंटेड बुक्स) पुस्तकों को साझा किया जा सकता हैं, जबकि ई-बुक्स को साझा नहीं किया जा सकता। एक किताब साझा करने के सामाजिक और पारिवारिक संबंध, अपने बच्चों के साथ बैठने और एक साथ मिलकर पढ़ने या पढ़ाने, को बदला नहीं जा सकता है। दुनिया तेजी से एक प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल अनुभव की ओर बढ़ रही है, हालांकि एक साथ बैठकर पढ़ने की प्रक्रिया पूरी तरह से खत्म हो गई है। आपको उस तरह की खुशी प्राप्त नहीं होती है, जब आप मोबाइल उपकरण पर उन चीजों को पढ़ते हैं।