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ईद-उल-अजहा: महत्व और समारोह

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ईद-उल-अजहा मुसलमानों के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार बलिदान उत्सव के रूप में जाना जाता है। ईद उल अजहा का त्यौहार हज यात्रा के अंत के रूप में मनाया जाता है, जो मक्का के पवित्र शहर का वार्षिक तीर्थ है। यह त्यौहार धू-उल-हिज्ज के 10 वें दिन दुनिया भर के मुसलमानों की भक्ति के साथ मनाया जाता है। ईद उल अजहा मुसलमानों द्वारा मनाए गए दो ईद त्यौहारों में से एक है। दूसरी ईद को ईद उल फितर के नाम से जाना जाता है। हालांकि, दोनों ईद में से ईद उल अजहा को ज्यादा पवित्र माना जाता है। ईद उल अजहा त्यौहार को भारत में बकरीद के रूप में भी जाना जाता है, यह इस वर्ष 1 सितंबर और 2 सितंबर को मनाया जाएगा।

ईद उल अजहा का महत्व

सबसे पवित्र मुस्लिम त्यौहार, ईद उल अजहा को बलिदान का पर्व कहा जाता है और इब्राहीम की भक्ति को सर्वशक्तिमान अल्लाह को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। एक किंवदंती के अनुसार, अल्लाह इब्राहिम के सपने में प्रकट हुए। भगवान के लिए आज्ञापालक के एक कार्य के रूप में अल्लाह ने इब्राहिम को अपने बेटे, इस्माइल का बलिदान देने का निर्देश दिया। दृढ़ आस्तिक, इब्राहिम ने परमेश्वर की आज्ञा को पूरा करने के लिए आगे कदम बढ़ाया। हालांकि, शैतान ने इब्राहिम को परमेश्वर के आदेश का पालन न करने का प्रलोभन दिया, लेकिन भक्त ने अपनी भक्ति के आगे उस प्रलोभन पर ध्यान नहीं दिया। जैसे ही इब्राहिम बलिदान देने जा रहे थे, उसी समय उन्हें अल्लाह ने दर्शन दिए और उनके बेटे के बदले में उन्हे बलिदान के लिए एक भेड़ दी जिसकी इब्राहिम ने बलि दी। इसलिए, इस दिन एक भेड़ का बलिदान दिया जाता है और इब्राहिम को दुनिया भर के सभी मुसलमानों द्वारा भगवान की आज्ञाकारिता के लिए याद किया जाता है।

ईद उल अजहा समारोह

यद्यपि ईद उल अजहा चार दिन का त्यौहार है लेकिन सार्वजनिक छुट्टियां एक देश से अन्य देश में भिन्न हो सकती हैं। इस दिन मुसलमान ईद मुबारक कहकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं, जो एक अरबी भाषा का बधाई सूचक शब्द है और इसका मतलब है ईद मुबारक। इस दिन लोग एक दूसरे के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और विस्तृत परिवार दावत का आयोजन करते हैं। इस त्यौहार के दिन सुबह-सुबह, मुस्लिम स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढ़ते हैं और नए कपड़े भी पहनते हैं। इस दिन, एक बकरी या भेड़ का बलिदान दिया जाता है। यह बलिदान इब्राहिम की कहानी की याद में दिया जाता है। माँस को तीन भागों में बांटा जाता है। बलिदान किया गया एक तिहाई माँस परिवार का होता है और दूसरा हिस्सा मित्रों और रिश्तेदारों में बांट दिया जाता है। बाकी बचा हुआ भाग आस पड़ोस के गरीबों को दे दिया जाता है। गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए लोग भी दान में शामिल होते हैं।

ईद उल-अजहा और ईद उल-फितर के बीच अंतर

इन दोनों ईदों (ईद उल-अजहा और ईद उल-फितर) में ईद उल-अजहा को पवित्र माना जाता है और इसे व्यापक रूप से मनाया जाता है। हालांकि, दोनों ईद के त्योहार अलग-अलग हैं। ईद उल अजहा इब्राहिम की अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे को बलिदान करने की इच्छा का सम्मान करने का एक उत्सव है। ईद उल अजहा पर कुछ मुसलमान एक गाय, बकरी या भेड़ का बलिदान देते हैं।

इस दौरान, ईद-उल-फितर एक आनंदित कर देने वाला त्योहार है जो रमजान के पवित्र माह की परिणति (समापन) को दर्शाता है। दुनिया भर में रमजान के दिनों में  मुस्लिम सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा (उपवास) रखते हैं।

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