2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार में एक ऐतिहासिक महागठबंधन हुआ था, जिसमें तीन राजनीतिक दल – जनता दल (संयुक्त), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने हाथ मिलाकर राज्य में बहुमत से सरकार बनाई थी। हालांकि, ताजा खबर की रिपोर्ट के अनुसार, लालू और उनके परिजनों पर सीबीआई द्वारा छापा डाले जाने पर नीतीश कुमार की चुप्पी की वजह से बिहार में महागठबंधन जल्द ही कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा।
परिस्थितियां महागठबंधन को तोड़ने के लिए अग्रणी
कुछ दिनों पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राष्ट्रीय जनता दल के (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव के ठिकानों पर छापा मारा था और उनके खिलाफ एफआईआर (प्राथमिकी) दर्ज की थी। इसके तुरंत बाद, जनता दल (संयुक्त) के जेडी (यू) के अध्यक्ष और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से एक साफ छवि रखने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वास्तव में ‘महागठबंधन’ वाली सरकार को बचाने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहते हैं।
आरजेडी पार्टी के खिलाफ आरोप लगाए गए
सीबीआई के अनुसार, तेजस्वी यादव “होटल की भूमि” घोटाले में शामिल हैं, जिसमें पटना की तीन एकड़ भूमि को दो कारोबारियों द्वारा आरजेडी सुप्रीमो परिवार को ट्रांस्फर कर दी गई थी ताकि वे इसके बदले रांची और पुरी में दो आईआरसीटीसी होटल संचालित करने का लाइसेंस प्राप्त करें। यह उस समय की बात है जब आरजेडी प्रमुख रेल मंत्री थे।
नीतीश कुमार की माँग
नीतीश कुमार चाहते हैं कि आरजेडी पार्टी भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से साफ (क्लीन चिट) हो और तेजस्वी यादव व् उनके परिवार के खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं वह उन आरोपों का स्पष्टीकरण कराएं। हालांकि, नीतीश कुमार ने कहा कि जेडी (यू) पार्टी बिहार में ‘महागठबंधन’ को नहीं तोड़ेगी, लेकिन नवीनतम समाचार रिपोर्ट के मुताबिक, वह चाहते हैं कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव 4 दिनों के अन्दर अपने पद से इस्तीफा दे दें।
तेजस्वी की प्रतिक्रियाएं
तेजस्वी यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उनके खिलाफ ये आरोप भाजपा और उनके नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा एक राजनीतिक षड्यंत्र है उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि किसी भी परिस्थिति में वह ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते थे। मंत्रीपरिषद से इस्तीफा देने की संभावना का विरोध करते हुए तेजस्वी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को निशाना बनाकर आरोप लगाया क्योंकि वह अन्य पिछडे वर्ग से सम्बन्ध रखते हैं।
लालू प्रसाद की प्रतिक्रियाएं
एक लोकप्रिय टीवी चैनल के साक्षात्कार में, लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से तेजस्वी के इस्तीफे की संभावना को खारिज कर दिया है। उनके अनुसार, बिहार राज्य के लोगों ने अपने पुत्र को उप मुख्यमंत्री के रूप में एक जिम्मेदारी दी है और वह अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभा रहे हैं। इसके अलावा, आरजेडी के प्रमुख ने भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार कर दिया और भाजपा और उसके नेताओं द्वारा उनकी सत्ता को समाप्त करने की साजिश की है, इसलिए उनकी पार्टी को दोषी ठहराया गया है। इस बीच, 27 अगस्त 2017 को पटना में ‘भाजपा भगाओ देश बचाओ’ की विशाल रैली आयोजित होने वाली है ताकि लालू प्रसाद भाजपा के राजनीति प्रतिशोध के परिणाम के रूप में अपने घर पर सीबीआई छापे को दिखा सके।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
महागठबंधन कायम रहेगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, तीन परिणाम हो सकते हैं:
- नीतीश कुमार मंत्रिमंडल से तेजस्वी को निकाल सकते हैं। यह आरजेडी समर्थन वापस लेने या तेजस्वी की जगह किसी ओर को मनोनीत करने के लिए मजबूर करेगें। हालांकि, लालू की पार्टी ने पहले ही इस संभावना को खारिज कर दिया है।
- आरजेडी से समर्थन वापस लेने के बाद नीतीश भाजपा से समर्थन ले सकते हैं। लेकिन भाजपा नीतीश का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं है।
- तीसरा विकल्प यह है कि नीतीश कुमार इस्तीफा दे दें, यह विधानसभा के विघटन को दर्शाता है।