गुजरात राज्य विधानसभा चुनाव अभी हाल ही में संपन्न हुआ है, जोकि इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं में से एक है। गुजरात के लोगों के फैसले अब स्पष्ट हो गए हैं या फिर भी कुछ और बाकी है? गुजरात में भाजपा के पास 22 साल के विरोधी शासन को परास्त करने के लिए जनादेश तो पर्याप्त था, लेकिन काफी मात्रा में अमित शाह के 150 मिशन में कमी हो गई। वास्तव में, भारतीय जनता पार्टी उन आंकड़ो को भी नहीं छू पाई, जो आंकड़े 2012 विधान सभा चुनाव में थे। भारतीय जनता पार्टी ने 182 विधानसभा सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल की हैं, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल की हैं (वर्ष 2012 में, भाजपा ने 115 और कांग्रेस ने 61 सीटें जीती थीं)।
भारतीय जनता पार्टी – फिर भी वही?
स्पष्ट रूप से वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त बहुमत से जीत दिलाने वाला मुख्य कारण “मोदी लहर” थी। प्रधानमंत्री मोदी के करिश्मों में से, एक गौरवशाली भारत का उनका वादा और उनके त्रुटि हीन भाषण की कुशलता से भारतीयों ने उन्हें अप्रत्याशित रूप से केंद्र में अपनी पार्टी के लिए चुना। अगर हम गुजरात में हो रहे चुनाव के परिणामों पर नजर डालें, तो ऐसा लगता है कि गुजरात में मोदी लहर का काफी आक्रामक रुख देखने को मिल रहा है। विमुद्रीकरण (नोटबन्दी) और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को शामिल करें, तो इससे शुरू होने वाली मुसीबतों से वर्ष 2019 में होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत कुछ खास नहीं दिख रही है।
कांग्रेस का पुनर्मूल्यांकन
गुजरात के लोगों द्वारा एक अस्पष्ट उलझन की स्थिति में जो फैसला सुनाया है, उसे हमने देश में राजनीतिक विकास के पर्यवेक्षकों के लिए छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और राज्य के भाजपा नेताओं ने हमें यह विश्वास दिलाना चाहा है कि गुजरात देश में विकास का तारकीय मॉडल रहा है। दूसरी तरफ, कांग्रेस हमें यह विश्वास दिलाना चाहती थी कि राज्य बेरोजगारी, गरीबी और सामाजिक असमानता की चपेट में है। हालांकि यह विवरण भी सत्य नहीं हो सकता है, यह पूर्णरूप से स्पष्ट है कि गुजरात में कांग्रेस अपनी अनियंत्रित गति को नियंत्रित करने में कामयाब हो गई है। पटेल्स, जो अपने आंदोलन के नतीजे से असंतुष्ट हो चुके थे, उनके आने से लगता है कि पार्टी में एक नई स्फूर्ति आ गई है। राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में अच्छी तैयारियाँ और राज्य के चुनावी अभियान में राहुल की निजी भागीदारी ने काफी संख्या में मतदाताओं को प्रभावित किया है। वर्ष 2012 की चुनावी गणना से मिलान करें, तो 16 सीटों की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2019 में कड़ा प्रतिरोध करने के लिए, क्या यह नई भावनाओं के आकर्षण के साथ कांग्रेस आवश्यक गति हासिल कर पाएगी? इसका जवाब समय के साथ अभी शेष है और अगले साल पार्टी के समाप्त होने की संभावना उनके प्रयासों पर निर्भर करती है।
उच्च सदन में मजबूत स्थिति
सबसे महत्वपूर्ण सवाल, जिस पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि राज्यसभा या संसद के उच्च सदन में भाजपा की सरकार है। वास्तव में, जब 2014 में लोकसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ, तो राज्यसभा से पर्याप्त समर्थन की कमी महसूस हुई थी। विधानसभा की प्रक्रिया में राज्यसभा की भूमिका कम है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी एक रहस्य बनी हुई है, जब किसी भी बिल को अपने वोट के लिए उच्च सदन में भेजा जाता है, तो विशेष रूप से विपक्षी दल उनका समर्थन करने के लिए उत्सुक नहीं रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति में सुधार करने और इस तरह राज्य सभा में अपनी ताकत बनाए रखने के लिए व्यवस्थित रूप से काम कर रही है (राज्य सभा के सदस्य राज्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं)।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और अब गुजरात में राज्य विधासभा चुनावों में अपनी जीत के बावजूद, कम से कम 2019 तक राज्य सभा में अकेले भाजपा की सरकार बनने की संभावना नहीं है। राज्यसभा के सदस्य 6 साल तक के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं और सीटों का एक तिहाई हिस्सा हर दो साल में चुनाव के लिए तैयार रहता है। अगले द्विवार्षिक चुनाव 2018 में होने वाले हैं और इस तरह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य 9 राज्यों में राज्यसभा चुनाव होंगे। यहाँ तक कि अगर भारतीय जनता पार्टी या एनडीए गठबंधन 65 सीटों में से 15 में शामिल होने के लिए उनको हथियाने का प्रबंधन करती है, तो यह केवल 91 अंकों (एक घर में 233 निर्वाचित प्रतिनिधियों और कुल 245 सांसदों के साथ) तक ही पहुँच पाएगी। इसका अर्थ यह है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जीत के बावजूद भाजपा के सहयोगी दलों पर निर्भरता उच्च रहेगी।
क्या हम 2019 की भविष्यवाणी कर सकते हैं?
2019 अभी भी एक साल दूर है। इस बीच, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित 8 महत्वपूर्ण राज्यों में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव होने वाले (राज्य विधानसभा चुनाव) हैं। इन गतियों में भारतीय जनता पार्टी का असर इसकी लोकप्रियता से जीत हासिल करने में यह निर्धारित करेगा कि यह पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित रखेगी। अब तक भारतीय मतदाताओं ने खुद के दृष्टिकोण को अधिक राजनैतिक रूप से जागरूक और विचारशील बना लिया है।