यदि आपको महाराष्ट्रीयन व्यंजनों का अनुभव है तो फिर आप इस पकवान के बारे जानते होगें कि यह महाराष्ट्र का सबसे अधिक लोकप्रिय पकवान है। साबूदाना थालीपीठ पकवान को विशेष रूप से पश्चिमी राज्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में उपवास के दिनों में बनाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि भारतीय परंपराओं के अनुसार साबूदाना को व्रत में उपयोग करने के साथ वर्ष के सभी दिनों में खाया जा सकता है और यह धार्मिक लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे आम सामग्रियों में से एक है। साबूदाना थालीपीठ रोटी के समान होता है और इसको नॉन-स्टिक पैन पर बहुत कम तेल लगाकर बनाया जा सकता है। मैं इसे हरे धनिया और पुदीने की चटनी के साथ उपयोग करने की सलाह देती हूँ, क्योंकि इसके साथ खाने से स्वाद दोगुना हो जाता है और आप इसे दिन के किसी भी समय खा सकते हैं। जब हम इसके आटे को तैयार करते हैं, तो इसकी लोइयाँ एकदम साबुदाना वड़ा के जैसी लगती है। हालांकि, यह दिखती जरूर साबुदाना के वड़े जैसी है लेकिन इनका स्वाद बहुत अलग है। आकार देने और उसी आकार को बनाए रखने के लिए मैंने इसमें उबले हुए आलू और कुछ सिंघाड़े का आटा मिलाया। ठीक है, अगर यह आकर्षक लग रहा है, तो बहुत ज्यादा इंतजार न करें और जल्दी से इस रेसिपी को बनाने की कोशिश करें।
आवश्यक सामग्री (2 व्यक्तियों के लिए)
- साबूदाना – 1 कप (6-8 घंटे तक भीगा हुआ)
- उबले और मसले हुए आलू – 1/2 कप
- हरा धनिया – 2 बड़े चम्मच (कटा हुआ)
- हरी मिर्च – 1 (बारीक कटी हुई)
- नमक स्वादानुसार
- नींबू का रस – 1 चम्मच
- भुनी हुई मूंगफली – 1/4 कप (दरदरी पिसी हुई)
- सिंघाड़े का आटा – 1/4 कप
- तलने के लिए तेल
साबूदाना थालीपीठ बनाने की विधि
- सभी समाग्रियों को भीगे हुए साबूदाना में मिलाएं और अच्छी तरह से इसका आटा गूथ लें।
- दो पॉलीथीन शीट पर तेल लगाकर सैंडविच (कचौड़ी) के आटे की लोइयों को बीच में रख दें।
- आटे की लोई को गोल आकार में रोटी की तरह पतला बना लें।
- नॉन-स्टिक पैन को गर्म करें और गोल थालीपीठ के दोनों तरफ तेल लगा कर सेंक लें।
- जब तक दोनों पक्षों पर भूरे रगं के निशान न दिखाई देने लगे, तब तक सेंकते रहें।
- हरी चटनी के साथ गर्मा-गर्म परोसें।