ओलंपिक, आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दुनियाभर के हजारों एथलीट विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। ओलंपिक प्रत्येक चार वर्ष के अन्तराल पर आयोजित किया जाता है और इसे दुनिया के अग्रणी खेलों की प्रतियोगिता के रूप में जाना जाता है। जैसा कि ओलंपिक को बहुत ही महत्वपूर्ण खेल आयोजन माना जाता है और इसमें भाग लेने का सपना प्रत्येक खिलाड़ी का होता है। हर साल ओलंपिक खेलों में कई बदलाव पेश किए जाते हैं तथा खिलाड़ियों को इसमें बढ़चढ़कर भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए इसका समायोजन किया जाता है। कई देशों में शीतकालीन ओलंपिक, पैरालम्पिक खेलों, युवा ओलंपिक खेलों, डीफलम्पिक खेलों और विशेष ओलंपिक खेलों आदि का आयोजन किया जाता है, ताकि विकलांग एथलीट के साथ किशोर और अन्य विशेष एथलीट सम्मान के साथ ओलंपिक में भाग ले सकें।
शीतकालीन ओलंपिक खेलों का शुभारंभ 9 फरवरी से दक्षिण कोरिया के प्योंग चांग में हो चुका है और यह ओलंपिक खेल 25 फरवरी तक चलेंगे। इसमें अल्पाइन स्कीइंग, ल्यूज, शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग, फ्रीस्टाइल स्कीइंग, स्केलेटन, स्नोबोर्डिंग, कर्लिंग और बॉब्सलेग आदि जैसे खेल शामिल हैं। इन सभी खेलों का आयोजन बर्फ या हिम पर किया जाता है।
इस साल 2018 के ओलंपिक में भारत की ओर से दो पुरुष खिलाड़ी जगदीश सिंह और शिव केशवन भाग लेंगे। ये दोनो खिलाड़ी क्रमशः क्रॉस कंट्री स्कीइंग और ल्यूज में भाग लेंगे।
भारत वर्ष 1964 से शीतकालीन ओलंपिक में भाग ले रहा है। भारत ने वर्ष 1964, 1968, 1988, 1992, 1998 और वर्ष 2002 में होने वाले एकल खेलों में भाग लिया है। उसके बाद भारत ने वर्ष 2006, 2010 और वर्ष 2014 में तीन खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया है।
भारत अभी तक शीतकालीन ओलंपिक में पदक जीतने में असफल रहा है, लेकिन इस साल हम खिलाड़ियों द्वारा सबसे बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहे हैं।
शीतकालीन ओलंपिक में पदक जीतने मेंं समर्थ क्यों नहीं है भारत?
- वित्तीय प्रोत्साहन – शीतकालीन खेलों को ठंडी जलवायु वाली स्थित की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह सभी खेल बर्फ पर खेले या आयोजित किए जाते हैं। इन खेलों के अभ्यास के लिए विशेष उपकरणों और स्थानों का चुनाव किया जाता है। भारतीय खिलाड़ियों के लिए ठंडे मौसम में खेलना अधिक जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि भारत में अधिकांशतः जलवायु गर्म रहती है और भारत में इस तरह के शीतकालीन खेलों के अभ्यास करने योग्य स्थान ना के बराबर हैं। शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ियों को कोई वित्तीय मदद भी नहीं प्रदान की जाती है और यदि प्रदान भी की जाती है, तो यह मदद की राशि काफी कम होती है, जो खिलाड़ियों के विकाशन में असमर्थ होती है।
2.प्रशिक्षण सुविधाएं – भारत में प्रशिक्षण सुविधाओं की भी काफी कमी है तथा जो खिलाड़ी इन खेलों का अभ्यास कर रहे हैं, उनके पास अच्छे कोच के अलावा बेहतर उपकरण भी नहीं हैं। किसी भी खिलाड़ी के लिए किसी मार्गदर्शन और धन के बिना अभ्यास करना काफी कठिन कार्य होता है।
- सरकार की प्रतिबद्धता – सरकार उच्च-सुविधाएं और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहती है, लेकिन खिलाड़ियों को पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं कराया जाता है। भारतीय ओलंपिक संघ पैसे के अभाव के कारण खिलाड़ियों की एक बड़ी संख्या को सहायता प्रदान करने में असफल रहता है, इसलिए ओलंपिक में भारत के लिए पदक हासिल करने के लिए, कम संख्या में ही खिलाड़ी भाग लेने में सफल हो पाते हैं।
- प्रतिभा के अनुसार चयन- भारत प्रतिभाशाली लोगों से परिपूर्ण है, लेकिन भारत की असली प्रतिभा छिपी हुई है, क्योंकि शीतकालीन खेल को बढ़ावा देने के लिए कोई राशि मुहैया नहीं कराई जाती है। फिर भी खिलाड़ियों में इजाफा तथा उनकी कुशलता को बढ़ाने और निखारने के लिए पहल की गई है, ताकि वे आगामी आयोजनों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
- कैरियर के रूप में खेल- क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है तथा भारत सरकार और भारतीय दर्शक अपना पूरा ध्यान क्रिकेट की तरफ आकर्षित कर रहे हैं। यदि भारत में अन्य शीतकालीन खेलों को क्रिकेट की तरह सफल होने का मौका मिलता है, तो भारत वाकई कई पदकों को अपने नाम कर सकता है।
भारत बहु-प्रतिभा संपन्न देश है, लेकिन भारत में अवसर उससे भी कम हैं। अगर भारतीय खिलाड़ियों को भी अन्य देशों की तरह आवश्यक उपकरण और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो हमारे देश के खिलाड़ी भी निश्चित रूप से श्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।