स्थानः बेंगलुरु (बैंगलौर)
टीपू सुल्तान के किले (उर्फ बैंगलोर फोर्ट) को, शुरू में बंगाल के संस्थापक केपे गौड़ा द्वारा मिट्टी के किले के रूप में बनवाया गया था। बाद मे हैदर अली टीपू सुल्तान के पिता ने इसे एक पत्थर के किले में परिवर्तित कर दिया। किला अंग्रेजों के खिलाफ मैसूर साम्राज्य के संघर्ष का सबूत है।
किले के अंदर टीपू सुल्तान का सुमेर महल है। जो अपने आप में वास्तुकला का प्रभावशाली हिस्सा है। इस्लामी कला महल के आंतरिक भाग में “आनंद का निवास” शिलालेखों के साथ सजा हुआ है। सागौन की लकड़ी के आंतरिक भाग में, लोग टीपू सुल्तान से जुड़े इतिहास के बारे में अधिक जानने के लिए ब्याकुल रहते हैं, जिसे मैसूर के टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। बालकनी, कक्षों, चार छोटे कमरे और एक बड़े हॉल के साथ महल में दो मंजिला इमारत भी हैं। दीवारों पर पेंटिंग और भित्ति चित्र सुल्तान की बहादुरी और शख्सियतों की कहानियों का वर्णन करते हैं और उनकी ब्रिटिश के खिलाफ नफरत को दर्शाती है। सुमेर महल की दीवारों पर प्राक्रतिकल रंग के धब्बे हैं।
आप किले परिसर में स्थित गणपति मंदिर को भी देख सकते हैं एवं महल के आस-पास के बगीचों में आराम कर सकते हैं। किले और महल को आंशिक रूप से पुनर्निर्मित किया गया है, लेकिन प्रमुख वर्गों को देखभाल की आवश्यकता है। किले में प्रवेश के लिए शुल्क भी निर्धारित है। हांलाकि, प्रबंध और सेवा आपको निराश कर सकता है। किले के साथ जुड़ी ऐतिहासिक कहानियों की उचित व्याख्या और वर्णन के लिए, एक मार्गदर्शक को किराये पर चुना जाता है। इस शहर में एक बाजार भी है जो किले को चारों ओर से घेरे हुए है लेकिन आमतौर पर यहाँ बहुत भीड़ रहती है।
स्थान: के.आर. सिटी मार्केट, चमाराजपेट, बैंगलोर
मुख्य आकर्षण: टीपू सुल्तान का सुमेर पैलेस
समय: सुबह 8:30 से शाम 5:30 तक (प्रत्येक दिन)
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 5 रुपये, विदेशियों के लिए 100 रुपये
फोटोग्राफ़ी: (कैमरा) निःशुल्क, (वीडियो) के लिए 25 रुपये