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मुंबई में एलीफेंटा गुफाओं की रोचक जानकारी

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मेरी यात्रा के कार्यक्रम में अगला गंतव्य एलीफेंटा गुफाओं का उत्कृष्ट आकर्षण था। मैंने इस यात्रा के लिए एक नौका (लेजी फैरी) की सवारी ली।

एलीफेंटा गुफाएं… समय के साथ भुला दी गईं थीं।

हाँ, ये शब्द इस विरासत स्थल का बहुत अच्छी तरह से वर्णन करता है। यह एक ऐसी भूमि है जिसमें 8वीं शताब्दी ईसवी तक की गुफाएं स्थित हैं, एलिफेंटा गुफाओं में ठोस चट्टानों से खुदी हुई हिंदू और बौद्ध पौराणिक कथाओं पर आधारित मूर्तियां स्थापित हैं। यहाँ पहुंँचने के लिए कोई भी नौका की सवारी ले सकता है जो नियमित रूप से गेटवे ऑफ इंडिया से चलती हैं। यूनेस्को के इस विश्व विरासत स्थल पर पहुंँचने के लिए केवल 160 (नाव का दोनों तरफ का किराया) रुपये ही खर्च करने पड़ते हैं।

 

जब मैं यहाँ पहुँचा, तो मुझे एक टॉय ट्रेन (जो मुश्किल से 800 मीटर तक चलती है) देखकर हैरानी हुई जिस पर सवारी करने का किराया केवल 10 रुपए है। ट्रेन लेने के बजाय मुझे पैदल चलना ही पसंद आया, क्योंकि पैदल चलकर मैं कई आकर्षक स्थलों को देख सकता था। ईमानदारी से कहूँ तो मेरे लिए कुछ विचित्र पलों को कैद करने का एक बढ़िया अवसर था, जिसके लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूँ। अब मुझे 2-3 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी, क्योंकि गुफाएं पहाड़ी पर स्थित हैं। अन्य पर्यटक आकर्षण की तरह यहाँ पर भी स्थानीय भोजन और स्मृति चिन्ह इत्यादि बेचने वाले लोगों का एक झुंड मौजूद था।

मैं आपके साथ एक आनंददायक अनुभव का साझा करना चाहता हूं, जो मैंने गुफाओं में जाते समय देखा था। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बंदर अपने स्वभाव के कारण कुख्यात होते हैं, वे अपने काम में व्यस्त थे, जिससे वे अपने काम को अच्छी तरह से पूरा कर सकें। हाँ, वे आगंतुकों से खाने वाली चीजों को छीन रहे थे। यह काफी असामान्य अनुभव था, लेकिन मुझे इस समय बहुत सावधान रहना था क्योंकि इससे पहले बन्दरों ने मेरे कुछ कैमरों और अन्य चीजों को मुझसे छीनकर तोड़ दिया था। इसलिए जब आप वहाँ जाएँ तो कृपया इन कुख्यात बंदरों से सावधान रहें!

 

तो, मैं वहाँ गया… गुफाओं के ठीक बाहर जब मैंने मुख्य हॉल के बीच में एक बड़ी त्रिमूर्ति को देखकर मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ। उन लोगों के लिए, जो यह नहीं जानते कि भारतीय पौराणिक कथाओं में त्रिमूर्ति, ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) तीनों की मूर्तियों का वर्णन किया गया है। उस हॉल में एक बहुत ही प्रबल आकर्षण लगा जैसे कि यह जगह अतीत में एक मंदिर हो सकती है। त्रिमूर्तियों को देखने के थोड़ी देर बाद मैं अन्य मूर्तियों की ओर चला गया।

मैं भगवान शिव की विभिन्न मुद्राओं के बारे में नहीं जानता हूँ लेकिन मैं यह कह सकता हूँ कि जिस किसी ने भी इसे बनाया है वह भगवान शिव के बारे में बहुत ही जानकारी रखता होगा। एक ही स्थान पर नटराज के रूप में शिव से लेकर उनकी शादी का चित्रण दिखने में पूरी तरह से बहुत ही असमान्य था। जानकारी के लिए, मैंने इसके बारे में एक स्थानीय गाइड से पूछा।

इस पुरातात्विक चमत्कार के इतिहास को पढ़ने के बाद एक बात तो निश्चित है कि इसका मूर्तिकार अज्ञात है। परन्तु मुझे यह तो जरूर कहना होगा कि जिस किसी ने इसे नक्काशित किया है उसने न केवल इसे पूर्ण करने के उद्देश्य से बल्कि यह भी ध्यान रखा है कि यह सौंदर्यवादी रूप से आकर्षक और दिखने में बेहतरीन हो।मुख्य हॉल के अंदर के स्तंभों का अवलोकन करते समय मेरे मन एक सवाल उठ रहा था, “कोई भी व्यक्ति किसी भी तकनीकी सहायता के बिना इतना सुंदर कार्य कैसे कर सकता है।”

इस प्रकार, मैं यह कहकर एलीफेंटा के अपने अनुभव को आपसे साझा करना चाहता हूंँ, कि किसी भी व्यक्ति को इस जगह की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पूरा दिन यहाँ पर व्यतीत करना होगा, क्योंकि यहाँ पर प्रमाण मौजूद है जिसमें हमारे विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के कई रहस्य छुपे हाेने के साथ-साथ अनकही कहानियां विद्यमान हैं, जो निश्चित रूप से 5 वीं शताब्दी ईसवी की हैं।

Categories: Travel
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