ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के बाहरी क्षेत्र में स्थित, उदयगिरी और खंडगिरी की पहाड़ियाँ, भारत के समृद्ध अतीत के ऐतिहासिक अवशेष के रूप में स्थित हैं। पहाड़ियों में कई गुफाएं हैं, जिनमें से अधिकांश जैन भिक्षुओं और राजा खारवेल (महामेघवाहन वंश) के समय के कारीगरों द्वारा बनायी गई हैं। ये गुफाएं न केवल प्राचीन भारत की स्थापत्य कला की साक्षी हैं, बल्कि ये प्रेम, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता की संदेश वाहक भी हैं। उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं भारत के आश्चर्यो में से एक मानी जाती है, जो कि पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहले की बनी हुई हैं।
इनमें से ज्यादातर गुफाएं प्राकृतिक नहीं हैं, बल्कि पहाडों को काट कर बनाई गई हैं और यह माना जाता है कि ये गुफाएं उस समय के जैन भिक्षुओं के लिए रहने और ध्यान लगाने का स्थान थीं। भिक्षुओं का ऐसा मानना था कि उन्हें यहाँ की कठोर परिस्थितियों में रहना पड़ा, लेकिन फिर भी वे राजस्व, राजदरबारों, धार्मिक प्रतीकों और समाज के सामान्य जन-जीवन का शानदार चित्रण करने और जटिल मूर्तियों को बनाने में सक्षम रहे। यह पूर्वी भारत के सबसे ज्यादा भ्रमण किए जाने वाले और पर्यटकों को आकर्षित करने वाले स्थानों में से एक है।
भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दो गुफा रुपी भवन-समूहों को बनाया गया है, जो ओडिशा का लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
स्थान और सुगम्यता
उदयगिरी और खंडगिरी, ये दोनों पहाड़ियाँ भुवनेश्वर शहर के केंद्र से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। नजदीकी हवाई अड्डा और रेलवे जंक्शन दोनों ही भुवनेश्वर में हैं। शहर से निजी या किराए के वाहन आगंतुकों को पहाड़ियों तक ले जाते हैं। भुवनेश्वर राज्य की राजधानी है और ठहरने के लिए यहाँ पर आपके बजट के अनुसार तथा सुख-सुविधा से पूर्ण आवास मिल सकते हैं।
इतिहास
बलुआ पत्थर से निर्मित उदयगिरी और खंडगिरी की गुफाएं भारत के गौरवशाली अतीत की साक्षी हैं। राजा खारवेल कलिंग के सबसे प्रसिद्ध राजाओं में से एक थे, उनके शासनकाल में चट्टानों को काट कर ये गुफाएं बनाई गई थी। सन् 1825 में, इतिहासकार ए स्टर्लिंग, सार्वजनिक पर्यवेक्षण करने के लिए इन गुफाओं को अस्तित्व में लाए और उन्होंने यहाँ के शिलालेखों का अनुवाद करने का प्रयास किया। हालांकि, ब्राह्मी भाषा के प्रचलन में न होने के कारण इसका सटीक अनुवाद प्राप्त करना मुश्किल है, लेकिन शिलालेखों पर मौसम की मार और व्याप्त अशुद्धियाँ भी है, जिसके कारण इसका अनुवाद अच्छे से नहीं हो पाया, फिर भी ये शिलालेख निश्चित करते हैं कि यहाँ के राजा सभी धर्मों का सम्मान करते थे और प्रजा उनके प्यार के कारण उनसे जुड़ी हुई थी।
उदयगिरि की गुफाएं
उदयगिरि नाम का अर्थ सूर्योदय की पहाड़ी है। उदयगिरी में 18 गुफाएं हैं। रानी गुम्फा या रानी की गुफा यहाँ की सबसे बड़ी और सबसे आलीशान गुफा है। यह कई स्तंभों और छतों से निर्मित एक दो मंजिला मठ है। इस गुफा में नृत्य करती हुई महिलाएं, शाही परिवारों और संगीत वाद्ययंत्रों की सुंदर मूर्तियाँ निहित हैं। इस पहाड़ी में एक अन्य महत्वपूर्ण गुफा अल्कापुरी गुम्फा है, जो स्तंभों के साथ बनी दो मंजिला गुफाएं है जिसमें हाथियों और अलौकिक प्रणियों की मूर्तियाँ शामिल हैं।
गणेश गुम्फा कई घरों और छतों के साथ महत्वपूर्ण गुफाओं में से एक है। यह गणेश की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो गुफा की दीवार पर उभरी हुई बनी है। यह गुफा जैन तीर्थंकर के पूजा स्थल को भी दर्शाती है, जिसमें हाथियों की मूर्तियां समाविष्ट हैं। व्यग्र: गुम्फा अपने प्रवेश द्वार पर बनी शानदार मूर्तिकला के लिए भी ध्यान देने योग्य है।
उदयगिरि में गुफाओं के नाम | |||
गुफा संख्या | गुफा का नाम | गुफा संख्या | गुफा का नाम |
1 | रानी गुम्फा | 10 | गणेश गुम्फा |
2 | बाजाघर गुम्फा | 11 | जम्बेश्वार गुम्फा |
3 | छोटा हाथी गुम्फा | 12 | व्यग्र: गुम्फा |
4 | अल्कापुरी गुम्फा | 13 | सर्पगुम्फा |
5 | जया-विजया गुम्फा | 14 | हाथी गुम्फा |
6 | पनासा गुम्फा | 15 | धनागार गुम्फा |
7 | ठाकुरानी गुम्फा | 16 | हरिदास गम्फा |
8 | पातालपुरी गुम्फा | 17 | जगम्मठ गुम्फा |
9 | मैनकपुरी गुम्फा | 18 | रोसई गुम्फा |
हाथी गुम्फा शिलालेख
मुख्य शिलालेख, जो हमें 1 शताब्दी ईसा पूर्व के कलिंग के राजा खारवेल के शासनकाल की जानकारी प्रदान करता है, वह शिलालेख हाथी गुम्फा नामक उदयगिरी गुफा में स्थित है। हाथी गुफा के शिलालेख राजा के गौरवशाली सम्रा का उल्लेख करते हैं। यह जैन धर्म के एक पवित्र मंत्रनमोकार मंत्र से शुरू होता है और “सभी धार्मिक अनुष्ठानों के भक्त, देवताओं के सभी मंदिरों की संरक्षण करने वाले” इन शब्दों के द्वारा राजा का वर्णन किया गया है। शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में सत्तर पंक्तियों में उत्कीर्ण करके लिखा गया है। इस शिलालेख में यह बात कही गई है किधौली में लगभग छह मील की दूरी पर स्थित राजा अशोक द्वारा निर्मित करवाए गए शिलालेख हैं। ये दोनों राजा एक दूसरे के शत्रु थे और अशोक कलिंग को जीतने में सफल हुआ था। इसके बाद, जैन धर्म का संरक्षण धीरे-धीरे समाप्त होता गया और बौद्ध धर्म ने इन क्षेत्रों में अपनी प्रभुत्वता स्थापित की। हाथी गुम्फा शिलालेख के अलावा, इन परिसरों की अन्य गुफाओं में कई छोटे शिलालेख भी हैं।
खंडगिरी गुफाएं
दोनों टैटोवा गुम्फाओं के प्रवेश द्वार के मेहराब पर तोते की नक्काशी की गई हैं। ये गुफाएं अपने समय के कुछ शिलालेखों को भी सजोएं हुए हैं और जिनमें स्पष्ट रूप से प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है। अनंत गुम्फा इस परिसर में एक बहुत ही रोचक गुफा है और इस गुफा में प्राचीन जैन धर्म के मूल भाव जैसे स्वस्तिक और साँप चिन्हित हैं। नवमुनी गुम्फा नौ जैन तीर्थंकर या दृष्टाओं का चित्रण करने वाली मूर्तियों को संभाले हुए है। यह गुफा प्रार्थना में कई दिगंबर जैनियों को दर्शाती है। बारह्भुजी गुम्फा का नाम बारह शस्त्रों वाली दो मूर्तियों के नाम पर रखा गया था। इस गुफा में कई हिंदू देवताओं का चित्रण किया गया है।
खंडगिरी में गुफाओं के नाम | |||
गुफा संख्या | गुफा का नाम | गुफा संख्या | गुफा का नाम |
1 | टैटोवा गुम्फा 1 | 9 | त्रिशूला गुम्फा |
2 | टैटोवा गुम्फा 2 | 10 | अंबिका गुम्फा |
3 | अनंत गुम्फा | 11 | ललतेंन्दुकेसरी गुम्फा |
4 | तंटुली गुम्फा | 12 | अज्ञात |
5 | खंडगिरी गुम्फा | 13 | अज्ञात |
6 | ध्यान गुम्फा | 14 | एकादशी गुम्फा |
7 | नवमुनी गुम्फा | 15 | अज्ञात |
8 | बारह्भुजी गुम्फा |
पर्यटक सूचना
उदयगिरि और खंडगिरी गुफाएं पूरे साल भर सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुली रहती हैं। हालांकि सबसे अच्छा पर्यटन का समय अक्टूबर से मार्च तक का है।
प्रवेश शुल्क
15 साल से कम आयु वाले बच्चो के लिए – नि: शुल्क
भारत के नागरिक के लिए– 5 रु. प्रति व्यक्ति
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों (अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका) के आगंतुकों के लिए – 5 रु प्रति व्यक्ति
थाईलैंड और म्यांमार के आगंतुकों के लिए – 5 रु प्रति व्यक्ति
अन्य देशों के आगंतुकों के लिए – 100 रु या 2 अमेरिकन डॉलर