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भारतीय परमाणु परीक्षण

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भारत विश्व के उन देशों की सूची में शुमार है जो परमाणु शक्ति रखते हैं। विश्व में परमाणु शक्ति बहुत ही कम देशों के पास है जिसमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान शामिल हैं। बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और टर्की परमाणु हथियारों को दूसरे देशों से साझा करने वाले देश माने जाते हैं। हालांकि इजराइल भी परमाणु शक्ति सम्पन्न देश माना जाता है लेकिन इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु स्माइलिंग बुद्धा (जिसे पोखरण-1 के नाम से भी जाना जाता है) का परीक्षण 18 मई 1974 को किया था। हालांकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यों के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है। बाद में 11 और 13 मई 1998 को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस परीक्षण के प्रतिक्रिया स्वरुप पाकिस्तान ने भी इसके तुरंत बाद 28 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किए।

पहला सफल परीक्षण

भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को किया था। यह परमाणु परीक्षण प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। भारत के इस परीक्षण को जहां इंदिरा गांधी ने शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण करार दिया तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने भारत को परमाणु सामग्री और ईधन की आपूर्ति रोक दी थी। इस टॉप सीक्रेट मिशन को पूरा करने में सात साल का समय लगा, जिसपर एक टीम काम कर रही थी। 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक 7 साल जमकर मेहनत की। इस प्रोजेक्ट की कमान बीएआरसी के निदेशक डॉ राजा रमन्ना के पास थी। रमन्ना की टीम में तब एपीजे अब्दुल कलाम भी थे जिन्होंने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण की टीम का नेतृत्व किया था।

भारत का दूसरा शक्तिशाली परमाणु परीक्षण

11 व 13 मई 1998 को बुद्ध-स्थल पर राजस्थान के पोखरण में दो तीन परमाणु विस्फोट होने से सारे विश्व में तहलका मच गया था। अब भारत भी परमाणु शक्तियों में संपन्न है। परीक्षण के इन धमाको से पूरा विश्व चकीत रह गया। परीक्षण स्थल के आस-पास के मकानों में दरारें पड़ गई। लेकिन राष्ट्र की इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरों के टूटने से इतनी चिंता नहीं हुई जितनी खुशी इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 20 मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने इस बड़ी सफलता पर देश को एक नया नारा दिया जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान। सभी देशवासी प्रधानमंत्री के साथ-साथ गर्व से भर उठे। इन परीक्षणों का असर परमाणु संपन्न देशों पर बहूत अधिक हूआ। अमरीका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन आदि देशों ने भारत को आर्थिक सहायता न देने की धमकी भी दी। लेकिन भारत इन धमकियों के सामने नहीं झुका।

इसके बाद भारत ने कई सफल परमाणु परीक्षण किए जिसमे कुल पांच मुख्य परमाणु परीक्षण है उनको मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

  • विखण्डनीय बम या फिशन डिवाइस बम
  • कम क्षमता वाला विस्फोट या लो यील्ट डिवाइस
  • हाइड्रोजन बम परीक्षा या थर्मो न्यूक्लियर डिवाइस
  • सब किलो टन परीक्षण १३ मई को दोबारा किया गया

अब भारत एक परमाणु संम्पन्न देश है और पूरा विश्व भारत की शक्ति का लोहा मानता है।

 

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