भाजपा और उनके सहयोगी दल त्रिपुरा और नागालैंड में सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, जबकि कांग्रेस मेघालय में अपनी सरकार बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करके मुकुल संगमा को फिर से मुख्यमंत्री के पद पर आसीन करने की भरपूर कोशिश कर रही है। फरवरी महीने में तीनों राज्यों में चुनाव आयोजित हुए और भाजपा इन तीनों राज्यों में भारी संख्या में जनमत हासिल करने की कोशिश कर रही थी, जहाँ भाजपा पार्टी लगभग अस्तित्व में भी नहीं थी। 3 मार्च को वोटों की गिनती हुई और जैसा कि भाजपा उम्मीद कर रही थी कि चुनाव में लोगों का जनादेश पार्टी और इसके गठबंधन सहयोगी नागालैंड के एनडीपीपी और त्रिपुरा में आईपीएफटी के पक्ष में होगा। त्रिपुरा में, भाजपा और आईपीएफटी 25 साल पुरानी वाम-मोर्चा सरकार को गिराने में कामयाब हुई, क्योंकि इस पार्टी ने सत्ताधारी माणिक सरकार की सरकार को उखाड़ फेंका। जबकि नागालैंड में एनडीपीपी और भाजपा ने गठबंधन वाले आधे रास्ते को पार कर लिया है, क्योंकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, पूर्व मित्र राजा टी. आर. जेलियांग से मुख्यमंत्री का पदभार लेने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस पार्टी मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावना का पता लगाने के लिए पहले से ही राज्य में विद्यमान हैं, जो मुकुल संगमा की अगुवाई वाली कांग्रेस पार्टी के लिए “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकते हैं और पार्टी को उत्तर-पूर्व में अपने अंतिम गढ़ को बरकरार रखने में मदद कर सकते हैं।
त्रिपुरा
त्रिपुरा भारत के पिछले दो वाम गढ़ों में से एक था तथा हाल के चुनावों में भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार वाम और दक्षिणपंथी भारतीय राजनीति (भाजपा) के बीच आमने -सामने का मुकाबला देखने को मिला है। भाजपा ने अपने क्षेत्रीय सहयोगी आईपीएफटी के साथ मिलकर माणिक सरकार के नेतृत्व वाली वाम-मोर्चा सरकार का सफाया कर दिया, क्योंकि यह पार्टी 25 साल की सत्ताधारी वाम-मोर्चा सरकार के खिलाफ भारी जनादेश के साथ उभर कर सामने आई है। वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की झोली में करीब 40 प्रतिशत मत आए थे, लेकिन इस बार की जीत निश्चित रूप से जमीनी स्तर के काम की भाँति दिखाई देती है, जिसने एकदम तख्तापलट करके पार्टी के भाग्य को चमकाने की नींव रखी है। वर्ष 2016 में भाजपा के राज्य अध्यक्ष बने बिप्लब देव, आरएसएस प्रचारक और त्रिपुरा के राज्य प्रभारी सुनील देवधर और पूर्वोत्तर पार्टी के रणनीतिकार हेमंत बिस्वा शर्मा को त्रिपुरा में भाजपा की व्यापक जीत का श्रेय दिया जाता है। पार्टी ने राज्य में अपनी व्यापक जीत के लिए 48 वर्षीय बिप्लब कुमार देव के काम को पुरस्कृत किया है, क्योंकि वह भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन के संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं।
नागालैंड
नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने अपनी पूर्व पार्टी एनपीएफ और मुख्यमंत्री टी.आर. जेलियांग से बदला लिया है, क्योंकि जेलियांग ही पार्टी से रियो की निकासी के जिम्मेदार थे, हाल ही में संपन्न हुए राज्य चुनावों में जेलियांग एनपीएफ पार्टी का चेहरा होंगे। भाजपा “किंगमेकर” के रूप में उभर कर सामने आई, क्योंकि एनपीएफ ने पिछले 15 सालों से राज्य पर शासन करने वाले पिछले गठबंधन को समाप्त करने के बाद, नेफ्यू रियो की इस पार्टी ने एनडीपीपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन गठित किया। केंद्र में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “नए भारत के नेता” के रूप में बढ़ती लोकप्रियता के साथ, नागालैंड के लोगों ने निश्चित रूप से यह आशा व्यक्त की कि एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन राज्य को लाभान्वित करेगा। चूँकि राज्य पिछले 7 दशकों से “नागा मुद्दों” में अवरोधित हुआ है और हाल ही में राज्य में एनपीएफ सरकार की आंतरिक असंतोष की वजह से अस्थिर चुनाव में भाजपा के एजेंडे स्पष्ट और सरल, विकासशील और स्थिरता वाले रहे हैं। नागालैंड के लोगों के जनादेश से स्पष्ट होता है कि लोग नागालैंड में पूर्व मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को मुख्यमंत्री के रूप में और केंद्र में मोदी सरकार के लिए लालायित हैं।
मेघालय
मेघालय विधानसभा चुनाव के फैसले काफी रोचक स्थित वाले हैं, क्योंकि यहाँ से चुनाव लड़ने वाली पार्टियों में से कोई भी पार्टी स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर सकती है। चुनावी फैसले के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है, क्योंकि मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने पिछले कुछ वर्षों में किए गए विकास कार्यों के कारण अपनी पार्टी के प्रति लोगों की आस्था बहाल कर ली थी। मेघालय की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अपने मुख्य नेता अहमद पटेल और कमला नाथ को मेघालय भेज दिया है और वे राज्य में सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय और स्वतंत्र नेताओं के साथ गठबंधन बनाने की हर संभावना की तलाश कर रहे हैं। भाजपा और एनपीपी भी मेघालय में अपनी सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों और स्वतंत्र प्रतिभागियों के साथ हाथ मिलाकर उनको आकर्षित करने का प्रयत्न करेगी। मेघालय की लड़ाई काफी संघर्षपूर्ण हो गई है, क्योंकि लड़ाई की धूल को शांत होने में एक सप्ताह लग जाएगा और एक सप्ताह बाद स्पष्ट जानकारी हो जाएगी कि इस बार राज्य में किसकी सरकार बनेगी। क्या कांग्रेस सभी मतभेदों को दूर कर सकती है और मेघालय राज्य में शासन करने के लिए गठबंधन स्थापित कर सकती है या क्या पूर्वोत्तर क्षेत्र में भाजपा और उसके सहयोगी 7 से 8 के आँकड़े के साथ उभर कर सामने आएंगे।
पीपुल्स मैंडेट (जनादेश)
भाजपा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में छठी सरकार की स्थापना के लिए तैयार है, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं ने चुनावों के दौरान पार्टी के लिए जोरदार अभियान चलाया है। भाजपा के गैर-अस्तित्व से अस्तित्व में आने के लिए, इस क्षेत्र में उसके सहयोगियों और उसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी के कैडर बेस ने कड़ी मेहनत की है। इस इलाके के लोगों ने ‘मोदी मॉडल ऑफ डेवलपमेंट’ को स्वीकार किया है, क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों का मानना है कि कई सालों से उन्हें हिंसा और उग्रवाद से निकलने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, जिसने इस क्षेत्र को बर्बाद कर दिया है और उन्होंने महसूस किया है कि वह विकास के मामले में भारत के बाकी हिस्सों से पिछड़े हुए हैं। इस प्रकार, पहली बार इस क्षेत्र ने भाजपा की पहले की एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी वाली छवि की तुलना में उसकी विकासात्मक राजनीति में विश्वास दिखाया है। चुनाव परिणामों ने भाजपा को प्रोत्साहित कर दिया है, जो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के जरिए केंद्र में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए तैयार है।
सारांश |
लेख का नाम- पूर्वोत्तर में भाजपा की जबरदस्त बढ़त
लेखक – वैभव चक्रवर्ती विवरण- लेख में, पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में हाल ही में समाप्त हुए चुनावों और पिछले चार सालों में भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति कैसे मजबूत की है, उसके बारे में सारांश प्रस्तुत किया गया है। |