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एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी

एम.एस. के नाम से लोकप्रिय “भारत रत्न” एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितम्बर 1916 को मंदिरों के नगर मदुरै (मदुरई) में हुआ था और वे संगीत से घिरे वातावरण में बड़ी हुईं। हालांकि, उनका परिवार काफी मितव्ययता से संबंध रखता था, उनकी माँ एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी को मुखर संगीत में औपचारिक प्रशिक्षण दिलाना चाहती थी, लेकिन दुर्भाग्य से जब उन्होंने प्रशिक्षण शुरू किया, तो उनके गुरु श्रीनिवास आइंगर का निधन हो गया। उनकी संगीतात्मक शैली तब सामने आई जब उन्होंने केवल 10 वर्ष की आयु में अपनी पहली डिस्क रिकार्ड की थी।

वह शादियों में गाती थीं। सन् 1932 में उनकी माँ ने मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) जाने का फैसला लिया, जहाँ एम.एस. ने एक गंभीर संगीतकार के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की। उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया और (1945) में रिलीज हुई फिल्म मीरा में उनके द्वारा निभाया गया भक्त मीरा का रोल काफी यादगार था। 1940 में एम.एस. की शादी सदाशिवम के साथ हो गई। उन्होंने दुनिया भर के कई स्थानों जैसे लंदन, न्यूयॉर्क कनाडा, सुदूर पूर्व और कई अन्य जगहों पर अपना प्रदर्शन किया।

महात्मा गाँधी को मीरा के भजन का इतना शौक था कि उन्होंने “हरि तुम हरो जन की भीर” का गायन करने का दोबारा अनुरोध किया। ऐसा हुआ कि उस दिन एम.एस. ठंड से पीड़ित थीं, जिस पर महात्मा गाँधी ने टिप्पणी की, कि अगर सुब्बुलक्ष्मी मीरा भजन को गाने के बजाय बोल भी दें, तब भी उनको वह भजन किसी और के गाने से अधिक सुरीला लगेगा। उनके गायन ने जवाहरलाल नेहरू और दूसरों को भी अपनी ओर मोहित किया। उन्होंने भाजा गोविंदम, विष्णु सहस्रनाम और वेंकटेश्वर सुप्रभातम सहित सैकड़ों भजन गाए।

उन्हें बहुत अधिक पुरस्कारों से सम्मनित किया गया। इनको 1954 में पद्म भूषण, 1954 में संगीत कालानिधि, 1974 में रैमन मैग्सेस अवॉर्ड, 1975 में पद्म विभूषण, 1988 में कालीदास सम्मान, 1990 में राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गाँधी पुरस्कार और 1998 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना सार्वजनिक प्रदर्शन बंद कर दिया। 11 दिसंबर 2004 इनका निधन हो गया।

 

 

 

 

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