भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसे क्रय शक्ति समता (पीपीपी) द्वारा मापा जाता है। भारत में विभिन्न प्रकार की अर्थव्यवस्थाएं हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि, हस्तशिल्प, कपड़ा, निर्माण और सेवाएं बड़ी संख्या में शामिल हैं। हालांकि दो-तिहाई भारतीय अभी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि के माध्यम से ही अपनी आजीविका कमाते हैं लेकिन सेवा क्षेत्र में विकास तेजी से बढ़ रहा है, जो कि भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
1990 के दशक की शुरूआत से, विदेशी व्यापार पर सरकार नियंत्रण में कमी और निवेश में आर्थिक सुधार लाया गया है जिससे वैश्विक बाजारों में निवेश की वृद्धि हो सकी। सार्वजनिक रूप से स्वामित्व वाले उद्योगों का निजीकरण किया गया है, जो विभिन्न क्षेत्रों में निजी एवं विदेशी हितों के लिए सबसे आए हैं। आगामी उद्योग और बड़े व्यापारिक घरानों ने न केवल देश में वित्तीय विकास किया है बल्कि राष्ट्र के सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद की।
आप इस अनुभाग में भारत के सर्वोच्च व्यापार गुरुओं, उद्योगपति और अर्थशास्त्री सभी को पाएंगे।
व्यापार और अर्थव्यवस्था | |
व्यवसायी और उद्योगपति | |
साइरस पलोनजी मिस्त्री | के.पी. सिंह |
आदित्य बिरला | किरण मजूमदार शॉ |
श्रीचंद हिंदुजा | कुमार मंगलम बिरला |
अशोक हिंदुजा | लक्ष्मी मित्तल |
आदि गोदरेज | ललित सूरी |
अमर बोस | मुकेश अंबानी |
अरुण सरीन | नंदन नीलेकणि |
अजीम प्रेमजी | राहुल बजाज |
बी.एम मुंजाल | रामलिंगा राजू |
भाई मोहन सिंह | रतन टाटा |
धीरूभाई अंबानी | रौनक सिंह |
घनश्याम दास बिरला | सुनील मित्तल |
जे.आर.डी. टाटा | स्वराज पॉल |
विजय माल्या | |
अर्थशास्त्री | |
अमर्त्य सेन | जगदीश भगवती |