जीजाबाई (1594-1674) महान मराठा शासक और योद्धा शिवाजी की माताजी थी। शिवाजी मुगल साम्राज्य के खिलाफ मजबूती से लड़े और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। जीजाबाई का जन्म 1594 में महाराष्ट्र के एक गांव सिंधखेड़ में हुआ था। उनके पिता शाही दरबारी और प्रमुख मराठा सरदार थे, जिनका नाम लखुजी जाधवराव था, जबकि उनकी माता का नाम म्हालसा बाई था। उनके पिता अहमदनगर में निजामशाही की सेवा करते थे और उन्हें अपने ऊंचे रुतबे और पद पर गर्व था।
जीजाबाई की शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी।
उस कालखंड के रीति-रिवाज के मुताबिक उनका विवाह शाहजी भोसले से हुआ। शाहजी भी निजाम शाह के दरबार में राजनयिक पद संभालते थे। वे एक बेहतरीन योद्धा भी थे। शाहजी भोसले के पिताजी का नाम मालोजी शिलेदार था, जो बाद में तरक्की पाते हुए ‘सरदार मालोजी राव भोसले’ बन गए। वैसे तो दंपती का वैवाहिक जीवन बेहद सुखद था। लेकिन उनके परिजनों की आपसी टकराहट ने तनाव को जन्म दिया। शाहजी राजे और उनके ससुर जाधव के आपसी रिश्ते बिगड़ गए।
हालात इतने बिगड़ चुके थे कि जीजाबाई पूरी तरह टूट गई थी। उन्हें अपने पति और पिता में से एक का पक्ष लेना था। उन्होंने पति का साथ दिया।
उनके पिता ने निजामशाही के खिलाफ दिल्ली के मुगलों से दोस्ती कर ली थी। वे शाहजी से बदला लेना चाहते थे। जीजाबाई अपने पति के साथ शिवनेरी की किले में ही रहीं। उनके प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। हालांकि, उन्हें इस बात का दुख था कि उनके पिता और पति दोनों ही किसी और शासक के अधीन काम करते हैं। उनकी इच्छा थी कि मराठों का अपना साम्राज्य स्थापित हो। दोनों की आठ संतानें हुईं। दो लड़के और छह बेटियां। शिवाजी उनके दो बेटों में से एक थे। वह हमेशा भगवान से प्रार्थना करती थी कि उन्हें एक ऐसा बेटा मिले जो मराठा साम्राज्य की नींव रख सके। उनकी प्रार्थनाओं का जवाब शिवाजी के तौर पर मिला, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
जीजाबाई को एक प्रभावी और प्रतिबद्ध महिला के तौर पर जाना जाता है, जिसके लिए आत्मसम्मान और उनके मूल्य सर्वोपरि हैं। अपनी दूरदर्शिता के लिए प्रसिद्ध जीजाबाई खुद एक योद्धा और प्रशासक थी। उन्होंने बढ़ते शिवाजी में अपने गुणों का संचार किया। शिवाजी में कर्तव्य भावना, साहस और मुश्किल परिस्थितियों का सामना साहस के साथ करने के लिए मूल्यों का संचार किया। उनकी देख-रेख और मार्गदर्शन में शिवाजी ने मानवीय रिश्तों की अहमियत समझी, महिलाओं का मान-सम्मान, धार्मिक सहिष्णुता, और न्याय के साथ ही अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम और महाराष्ट्र की आजादी की इच्छा बलवती हुई।
शिवाजी भी अपनी सभी सफलताओं का श्रेय अपनी मां को देते थे, जो उनके लिए प्रेरणास्रोत थी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने बेटे को मराठा साम्राज्य का महानतम शासक बनाने पर लगा दी।
जीजाबाई रानी बनने के बाद पूना चली गई, वहां अपने पति की जागीर की देखरेख करने लगी। शिवाजी उनके साथ ही थे। 1666 में हालांकि, शिवाजी आगरा के लिए रवाना हुए। जीजाबाई ने राज्य का कामकाज देखने की जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद जीजाबाई की जिंदगी में कई घटनाएं हुईं, कुछ अच्छी, कुछ बुरी और कुछ दर्दनाक। उन्होंने सबकुछ चुपचाप सहा। अपने पति के निधन ने उन्हें शोकमग्न कर दिया था। उनके बड़े बेटे संभाजी की अफजल खान ने हत्या कर दी थी, जिसका बदला शिवाजी ने जीजाबाई के आशीर्वाद से लिया।
हालांकि, शिवाजी की कई यादगार जीत रहीं, जिनमें तोरणगढ़ किले पर जीत, मुगलों की नजरबंदी से निकलकर भाग निकलना, तानाजी, बाजी प्रभु और सूर्याजी जैसे योद्धाओं के साथ मिलकर शिवाजी कई मोर्चों पर जीत हासिल करते गए। यह सभी जीजाबाई से प्रेरित था। वह शिवाजी और उनके साथियों की सफलता देखकर गर्वित होती थी। जीजाबाई का सपना उस समय पूरा हुआ, जब उनकी आंखों के सामने उनके बेटे का राज्याभिषेक समारोह संपन्न हुआ। 1674 में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ और वह मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले महाप्रतापी राजा बन गए।
जीजाबाई के बारे में तथ्य और जानकारियां
मूल नाम | जीजाबाई भोसले |
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इस नाम से भी जाना जाता है | राजमाता जीजाबाई |
जन्म | 12 जनवरी 1598 (सिंधखेड़ राजा, बुलढाणा जिला, भारत) |
मृत्यु | 17 जून 1674 (उम्र 76) |
पति | शाहजी भोसले |
बेटा | शिवाजी भोसले |
बच्चे | दो बेटे और छह बेटियां |
पिता | लखोजीराव जाधव |
उपलब्धि | शिवाजी भोसले को उन्होंने हिंदवी साम्राज्य स्थापित करने में सहयोग दिया। खासकर उस जमीन पर जो कभी निजामशाही सल्तनत का हिस्सा थी। |
मंदिरों का पुनरोद्धार | कसाबा गणपति मंदिर का जीर्णोद्धार राजमाता जीजाबाई ने किया था। |
शिवाजी की प्रेरणा | शिवाजी महाराज को बचपन जीजाबाई ने रामायण, महाभारत और बालराजा की कहानियां सुनाकर प्रेरित किया। |
बड़े बेटे का निधन | संभाजी, जीजाऊ के बड़े बेटे, की अफजल खान ने एक सैन्य अभियान पर हत्या कर दी थी। |
सती बनने की कोशिश | जब शाहजी का निधन हुआ तो जीजाबाई ने सती होने की नाकाम कोशिश की थी। |
फिल्म | राजमाता जीजाऊ, 2011 यह फिल्म जीजाबाई के जीवन पर निर्मित है। |
मृत्यु | उनका निधन 17 जून 1674 को हुआ। शिवाजी के राज्याभिषेक के महज 12 दिन बाद। उनकी समाधि राजगढ़ किले के पचाड़ गांव में बनाई गई है। |