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माता अमृतानंदमयी (अम्मा) की जीवनी

माता अमृतानंदमयी एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरू हैं। इनके अनुयायी इन्हें अम्मा या अमाची (मां) के नाम में संबोधित करते है। अमृतानंदमयी की गले लगाने की आदत के कारण उन्हें ‘हगिंग संतֹ’  के नाम से भी जाना जाता है।

माता अमृतानंदमयी के अनुयायियों के अनुसार, जब ये एक बच्ची थीं तभी से इनमें दिव्य अनुभव थे। माता अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मिशन ट्रस्ट, एक विश्वव्यापी संगठन, जो पूरे विश्व में धर्मार्थ कार्य करने वाला संगठन है, की स्थापना की। माता अमृतानंदमयी ने ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ को संबोधित किया।

स्वामी अमृतस्वरूपानंद उनके पहले शिष्य थे। उन्होंने एक आश्रम स्थापित किया, जिसे अमृतपुरी के नाम से जाना जाता है। अमृतपुरी आश्रम नियमित रूप से एक आध्यात्मिक मासिक पत्रिका मात्रवाणी प्रकाशित करता है। जन कौनेन ने एक पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता ने भारत की इस ‘हगिंग संत’ के जीवन पर फिल्म ‘दर्शन-द एम्ब्रेस’ बनाई। फिल्म को 2005 में कान फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग के लिए आधिकारिक तौर पर चुना गया था।

बचपन

1953 में, भारत के राज्य केरल में अमृतानंदमयी का जन्म सुधामनि के रूप में हुआ था। माता अमृतानंदमयी का परिवार मछली का व्यापार करता था। माता अमृतानंदमयी को अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए कम उम्र में ही स्कूल छोड़ना पड़ा था।

जीवन वृत्तांत

माता अमृतानंदमयी के छह भाई बहन हैं और वह तीसरे नंबर पर हैं। जब माता अमृतानंदमयी एक बच्ची थीं, तो उन्होंने निर्धन लोगों को गाय और बकरियों का बचा हुआ भोजन का उपयोग करते हुए देखा था, अर्थात् बचपन में दूसरों की पीड़ा को करीब से समझा था। इन घटनाओं ने उनके जीवन को इतना अधिक प्रभावित किया था कि उन्होंने लोगों को अपने घर से भोजन और कपड़ों से मदद करने की कोशिश की। अमृतानंदमयी लोगों को उनके दुख में सांत्वना देने की कोशिश करती थी। अमृतानंदमयी को कई बार उनके माता-पिता द्वारा डांट भी पड़ती थी क्योंकि वे इतने अमीर नहीं थे, जिस पर अमृतानंदमयी ने कहा कि वह पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर नहीं करती हैं, उनका कर्तव्य बनता है कि वह उन सभी को सांत्वना दें, जो पीड़ित हैं।

अमृतानंदमयी के माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया और इन सबके अतिरिक्त उन्होंने अपना एक अलग रास्ता चुना। वर्ष 1981 में, कई आध्यात्मिक साधक परायकाडावू में अमृतानंदमयी के माता-पिता की संपत्ति पर आकर रहने लगे। बाद में, उसी स्थान पर, अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मठ (एमएएम) की स्थापना की। वर्ष 1987 में, भक्तों द्वारा अमृतानंदमयी से सभाएं करने का अनुरोध किया गया था। बाद में उसी वर्ष, अमृतानंदमयी ने दुनिया के कई देशों में सभाओं का आयोजन किया। वर्ष 2014 में, कई धार्मिक नेताओं ने वैश्विक स्वतंत्रता नेटवर्क द्वारा आयोजित आधुनिक दिवस की दासता के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर करने के लिए उनसे मुलाकात की। इसका उद्देश्य 2020 तक गुलामी के साथ-साथ मानव तस्करी को समाप्त करना था।2015 में, अमृतानंदमयी संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक प्रभाव सम्मेलन में मुख्य भाषण के साथ सामने आई, जिसमें उन्होंने प्रौद्योगिकी और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया था। इस समारोह में लगभग 93 अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

शिक्षाएं

माता अमृतानंदमयी कहती हैं कि एक मानव के जीवन में कार्य, ज्ञान और भक्ति सभी महत्वपूर्ण हैं। वह यह भी कहती है कि सभी धर्मों के पूजा-पाठ और प्रार्थनाएं मन को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके हैं। अमृतानंदमयी ध्यान पर बहुत बल देती है और लोगों को निःस्वार्थ सेवा का चयन करने की सलाह देती थीं। अमृतानंदमयी यह भी कहती थीं कि हर किसी को अपने अंदर धैर्य, करुणा, क्षमा, आत्म-नियंत्रण आदि जैसे दैवीय गुणों को विकसित करना चाहिए और इन सभी गुणों को मृत्यु के बाद नहीं, बल्कि जीवित अवस्था में प्राप्त कर लेना चाहिए जो लोग इन सब का अभ्यास करते हैं, उनकी आत्मा अनंत के साथ विलय हो जाती है।

दान कर्म

‘माता अमृतानंदमयी मठ’ पूरी दुनिया में विभिन्न धर्मार्थ परियोजनाओं को कार्यान्वित करता है। अमृतानंदमयी ने प्राकृतिक आपदाओं से तबाह लोगों को पर्याप्त धनराशि दान की है। अमृतानंदमयी ने अमेरिका में आए केैटरीना तूफान से पीड़ित लोगों की मदद की है, अमृतानंदमयी ने भारत और श्रीलंका में 2004 के सुनामी पीड़ितों और 2005 में पाकिस्तान में आए भूकंप से बचे लोगों को राहत समर्थन भी प्रदान किया।

माता अमृतानंदमयी 1993 में शिकागो में ‘विश्व धर्म की सभा’ में हिंदू धर्म के प्रतिनिधियों में से एक थीं।

2012 से, माता अमृतानंदमयी संगठन सालाना पंबा नदी के साथ-साथ सबरीमाला मंदिर तीर्थ स्थल की सफाई में भी शामिल रहा है। अमृतानंदमयी गंगा नदी के किनारे रहने वाले गरीब परिवारों के लिए शौचालयों का निर्माण करने के उद्देश्य से “स्वच्छ गंगा” कार्यक्रम के लिए सरकार को 15 मिलियन अमेरिकी डालर दान में दिए थे। अमृतानंदमयी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा स्थापित राहत निधि में 5 करोड़ रुपये (736,486 डॉलर) भी दान किए हैं। माता अमृतानंदमयी के मठ से लगभग 500 स्वयंसेवकों ने कई पीड़ितों को बचाया और दवाएं, भोजन, कपड़े वितरित करके काफी मदद की।

विवाद

श्रीनी पट्टाथनम द्वारा लिखी गई पुस्तक में दावा किया कि माता अमृतानंदमयी के सभी चमत्कार झूठे थे। वर्ष 2002 में, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के स्वामित्व वाला ‘देशभिमानी’ मलयालम दैनिक समाचार पत्र ने कई लोगों की मौत पर ध्यान केंद्रित करने वाले तरीके की जाँच की मांग की। लेकिन एक महीने बाद समाचार पत्र वालों ने माफी मांगकर अपने शब्दों को वापस ले लिया। वर्ष 2007 में, शांतनु गुहा रे ने तेहलका वीकली में माता अमृतानंदमयी के बारे में लिखा था कि उनके संगठनों का सालाना टर्न ओवर करोड़ों रुपयों में है। उसी महीने, उपन्यासकार पॉल जचरिया ने तहलका पर उल्लेख किया कि वह इस प्रकार की जाँच पड़ताल के लिए आजाद हैं।

पुरस्कार और सम्मान

  • वह 2002 में कर्म योगी ऑफ दि इयर (योग जर्नल) बन गईं।
  • 2002 में अहिंसा के लिए विश्व आंदोलन (संयुक्त राष्ट्र, जिनेवा) द्वारा उन्हें अहिंसा के लिए गांधी- किंग अवार्ड मिला।
  • अमृतानंदमयी को 2005 (लंदन) में महावीर महात्मा पुरस्कार मिला।
  • 2005 में, अमृतानंदमयी को अंतर्राष्ट्रीय रोटारियंस (कोचीन) का सेन्टेनरी लीजेंडरी अवार्ड मिला।
  • 2006 में, जेम्स पार्क मॉर्टन इंटरफैथ अवार्ड (न्यूयॉर्क)
  • 2006 में, अमृतानंदमयी को दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार (पुणे) मिला।
  • 2007 में, अमृतानंदमयी को ले प्रिक्स सिनेमा वेरेटे (सिनेमा वेरेटे, पेरिस) मिला।
  • अमृतानंदमयी को 25 मई 2010 को न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा अपने बफेलो कैम्पस में मानवीय पत्रों में मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था।
  • 2012 में, उनको वाटकिन्स की सूची में दुनिया के शीर्ष 100 सबसे आध्यात्मिक प्रभावशाली लोगों में शामिल किया गया।
  • हिंदू संसद ने अमृततानंदमयी को 23 अप्रैल 2013 को तिरुवनंतपुरम (भारत) में पहले विश्व रत्न पुरुस्कार (जेम ऑफ दि वर्ल्ड अवार्ड) से सम्मानित किया।
  • मिशिगन राज्य ने अम्मा को दुनिया के एक सच्चे नागरिक के रूप में वर्णित किया और 2013 में अम्मा के धर्मार्थ कार्यों को विश्वव्यापी मान्यता दी।
  • हफिंगटन पोस्ट ने अमृतानंदमयी को 2014 में 50 सबसे शक्तिशाली धार्मिक महिला नेताओं में से एक के रूप में चुना।

पद

  • अमृतानंदमयी माता अमृतानंदमयी मठ की संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
  • अमृतानंदमयी ने लोगों को गले लगाने प्रथा चलाई।
  • वह अमृता विश्व विद्यापीठ विश्वविद्यालय की कुलपति रह चुकी हैं।
  • वह अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एआईएमएस अस्पताल) की संस्थापक रह चुकी हैं।
  • वह विश्व के धर्म परिषद, अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति की संसद सदस्य रह चुकी हैं।
  • वह स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती समारोह समिति पर, भारत की अध्यक्ष रहीं।
  • वह विश्व धार्मिक नेताओं एलिजाह इंटरफैथ इंस्टीट्यूट, बोर्ड की सदस्य हैं।