2019 का लोकसभा चुनाव करीब आते ही देश के राजनीतिक माहौल में तना-तनी शुरू हो गई है। कुर्सी की लड़ाई में विपक्षी पार्टी ने अपनी कमर कस ली है, इधर सत्तारूढ़ पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी),जिसका 5 साल का कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो रहा है, ने 9 सितम्बर को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक बुलायी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के प्रमुख नेताओं को संबोधित करते हुए 2019 के आम चुनावों के लिए ‘अजेय भारत, अटल भाजपा‘ नामक एक नया नारा दिया। भाजपा अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त लग रही है, जबकि विपक्ष का दावा है कि मोदी लहर खत्म हो रही है।इतनी सारी अटकलों के बीच, क्या ‘अजेय भारत, अटल भाजपा‘ आरएसएस की दिमागी उपज को सुरक्षित रख पाएगा?
राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
18 और 19 अगस्त को होने वाली दो दिवसीय बैठक को स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी के खराब स्वास्थ्य के कारण सितम्बर के लिए पुनर्निर्धारित कर दिया गया था। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़– इन तीन महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव से पहले एक अल्पकालीन गोपनीय बैठक की गई। मौजूदा समय में भाजपा इन तीन राज्यों पर कब्जा जमाए हुए है। इसलिए इन विधानसभा चुनावों के नतीजे 2019 के लोकसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाएंगे।
मोदी ने भाजपा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह नया नारा पूर्व प्रधानमंत्री की याद में है, इसलिए यह नारा भाजपा पार्टी के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि भी होगा। इसी वर्ष 16 अगस्त को वाजपेयी जी का स्वर्गवास हो गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात की पूरी जानकारी देते हुए प्रेस कांफ्रेन्स में कहा कि नया नारा “अजेय भारत, अटल भाजपा” का अर्थ है एक विजयी भारत, जिसे कोई भी कभी भी हरा नहीं सकता और एक पार्टी अपने मूल सिद्धांतों और महत्व के प्रति समर्पित है।
2019 के चुनावों में भाजपा
अपने पार्टी के लोगों से बात करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम को लेकर काफी आत्मविश्वासी दिख रहे थे। विपक्ष पर हमला बोलते हुए गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि “जो लोग एकमत नहीं हो सकते, वे एक विशाल गठबंधन बनाने की सोच रहे हैं। यह हमारे काम की निष्ठा है”।
जो लोग गठबंधन को बीजेपी सरकार के संभावित खतरे के रूप में देखते हैं, यह उनकी राय के विपरीत है। हालांकि मोदी अपने इस सकारात्मक बयान में अकेले नहीं थे। बल्कि कार्यकारिणी बैठक के पहले दिन, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने साफ कर दिया था कि पार्टी अपने पिछले पाँच सालों के बेहतर प्रदर्शन के आधार पर 2019 का चुनाव लड़ेगी।
नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह बैठक में आत्मविश्वासी होकर बहुत ही तीव्र स्वरों में कह रहे थे कि “हमें कोई चुनौती नजर नहीं आ रही है”। हालांकि देखा जाना बाकी है कि वह इस बयान को लेकर कितना सही हैं?
जनता की राय
हालांकि विपक्ष का यह दावा सच हो भी सकता है और नहीं भी, क्योंकि मोदी अपने सबसे विश्वसनीय वोट बैंक को खो रहे हैं, इसमें कुछ वास्तविकता हो सकती है। राहुल गाँधी,जिनका सत्ताधारी पार्टी में कई लोगों द्वारा मजाक बनाया गया, आश्चर्यजनक रूप से कई नागरिकों द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए एक अच्छे उम्मीदवार के रूप में निकल कर सामने आ गए हैं।
‘इंडिया टुडे’ के मूड ऑफ नेशन पोल के अनुसार, जुलाई 2018 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के विरुद्ध विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री पद का सबसे अच्छा चेहरा राहुल गांधी ही हैं।जबकि वह अभी भी समग्र वोटिंग में मोदी के पीछे हैं, 2016 के इसी तरह के चुनाव से पूर्व के विकल्प के रूप में उनकी लोकप्रियता में 14 प्रतिशत (अब 46% पर) की वृद्धि हुई है। दक्षिण भारत में कांग्रेस अध्यक्ष की लोकप्रियता सबसे ज्यादा थी।
निष्कर्ष
जहां भाजपा 2014 के चुनावों में बहुमत से जीत हासिल करने में कामयाब रही है, वहीं कांग्रेस के लिए जीत का लक्ष्य चुनौती भरा रहा है। पार्टी आगामी तीन राज्य चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है यह 2019 के लोकसभा चुनाव और दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। इसी बीच विपक्षी पार्टी भगवा पार्टी को दूसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए “महागठबंधन” के बारे में वार्तालाप जारी रखेगी। दोनों में से किसी भी पार्टी के लिए जीत का रास्ता आसान नहीं है, इनके भाग्य का फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद ही होगा।