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राहुल गांधी : क्या ‘युवराज ’से राजा बनने के लिए तैयार हैं?

July 27, 2018
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राहुल गांधी: क्या ‘युवराज ’से राजा बनने के लिए तैयार हैं?

2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही, अटकलें दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ती जा रही हैं। विपक्षी दल को एक पीएम पद के उम्मीदवार की जरूरत है और उन्हें जल्द ही इसकी आवश्यकता है। इस चुनावी मौसम में हर रोज नाम सामने आते दिखाई दे रहे हैं, उनमें से एक विशेष नाम राहुल गांधी विशेष रूप से उभरकर सामने आ चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कई अवसरों पर यह संकेत दिया है कि वह अगले प्रधान मंत्री बनने की चाह रखते हैं। हर तरफ सेप्रश्नों की बौछार हो रही है कि क्या यह ‘राजकुमार’ वास्तव में राजा बनने के लिए तैयार है?और यदि हाँ, तो क्या लोग उन्हें इस रूप में स्वीकार करेंगे?

गांधी- असाधारण राजनीतिक यात्रा

जब राहुल गांधी ने 13 साल पहले राजनीति में प्रवेश किया था, तो उन्हें ‘इटेलियन राजकुमार’ घोषित किया गया था, जो लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने के लिए अनुपयुक्त थे। शायद इसलिए कि वह इन्हें समझ ही नहीं पाए। राहुल गांधी ने अपना बचपन और शुरुआती युवाकाल राजनीति से दूर रह कर बिताया, इसी कारण से वह देश में या सुर्खियों में बड़ी मुश्किल से आए।सन् 2004 में, जब राहुल ने पहली बार भारतीय राजनीति में प्रवेश किया, तो उन्होंने अपने पिता के पुराने क्षेत्र अमेठी की लोकसभा सीट जीती। तब से, यह ‘युवा’ राजनेता राजनीति के उतार-चढ़ाव भरी यात्रा पर रहा है।

2014 के लोकसभा चुनाव में मिली बुरी हार के बाद ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले राजनेता एकदम से गायब हो गए। सवाल यह उठता है कि क्या यह पर्याप्त है? चूंकि 2019 के आम चुनाव बिल्कुल नजदीक आ गए है, तो राजनीति के पहियों को गति प्रदान करने का यहीं समय है । राहुल गांधी को इस बात का पूरा भरोसा है कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधान मंत्री नहीं बनेंगें, लेकिन विपक्ष को अभी भी प्रधान मंत्री के चेहरे के रूप में एक मजबूत नेता की जरूरत है। क्या राहुल, बुद्धि और राजनीति के अपने नए तेवर के साथ, अच्छे दिन वाले व्यक्ति को हराने में सक्षम होंगे?

प्रतिस्पर्धा पर एक नजर

अभी भी राहुल गांधी की उम्मीदवारी के स्थान पर अखिलेश यादव, मायावती जैसे नाम हवा में चर्चाओं को गर्म कर रहे हैं।

हाल के एक बयान में, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से जब राहुल को पीएम के रूप में समर्थन देने के बारे में पूछा गया तो वह सावधानीपूर्वक चुप रहे। यह देखा गया है कि, अखिलेश यादव ने 2019 के चुनावों में स्वंयको उम्मीदवार बनाने के रूप में विचार किया है। जैसा कि एक संभावित रूपसे बसपा-सपा गठबंधन की खबरें जोर पकड़ रही हैं मायावती इस पद के लिए अभी तक के एक और चेहरे के रूप में आगे आ गई हैं। बसपा का मानना है कि वह पहली दलित पीएम होने के नाते यदि जीतती हैं, तो वह सभी अल्पसंख्यक जातियों से समर्थन प्राप्त करेगीं।

ममता बनर्जी के एक संभावित उम्मीदवार होने की अफवाह अभी भी काफी हद तक अस्पष्ट है, लेकिन उन्होंने गांधी उम्मीदवार पर अपने विचारों को कुछ कुछ स्पष्ट किया है। जब राहुल के अगले प्रधानमंत्री होने के विचार पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह सोचने के लिए स्वतंत्र थे कि वह क्या चाहते थे। बनर्जी का मानना है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस एक स्वतंत्र, बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल होगी।

जबकि राहुल गांधी को अभी भी काफी हद तक अकेले विशेषाधिकार रखने वाले एक व्यक्ति के रूप में माना जाता है, उनकी बढ़ती लोकप्रियता या उनकी सक्रिय राजनीतिक छवि से कोई इनकार नहीं करता है।

उनकी दबाव डालने की शक्ति के साथ-साथ, उनके अनुसरण में काफी सुधार हुआ है। उपहास का एक सक्रिय चेहरा होने के नाते अपने निंदनीय भाषण की मुसीबत के साथ-साथ, उनके कम से कम बोलने का वक्र्कौशल और अधिक सहनशील हो गया हैं। अब वह इसे सरकार की योजनाओं पर असंतोष प्रकट करने का मुद्दा बना लेते हैं, जिसमें जीएसटी और विमुद्रीकरण लागू करने की उत्कृष्ट रूप से आलोचना की है।  इस सब के बावजूद, क्या वास्तव में सबसे अच्छी उम्मीद कांग्रेस से है, या अपने परिवार का नाम स्थापित करने के लिए पार्टी द्वारा बढ़ाया गया अब तक का एकऔर कदम है? शशि थरूर, सचिन पायलट जैसे नामों के बारे में क्या कहा जाए? अंतिम निर्णय तो आने वाले महीनों में ही स्पष्ट होगा।

 

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राहुल गांधी: क्या ‘युवराज ’से राजा बनने के लिए तैयार हैं?
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चूंकि 2019 के लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, इसलिए प्रधान पद के उम्मीदवार होने के नाते राहुल गांधी के बारे में बातचीत बढ़ रही है। क्या गांधी सबसे अच्छा विकल्प है?
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