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भारत की गोल्डन गर्ल्स- एशियाई खेल 2018 में गोल्ड जीतने वाली महिला एथलीट्स

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जकार्ता, इंडोनेशिया में आयोजित एशियाई खेल 2018, भारतीयों के लिए एक पूरे उतार-चढ़ाव भरा रहा। 804 एथलीटों और अधिकारियों के दल ने एशियाई खेलों में भाग लिया और कुल मिलाकर 69 पदक जीते। 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक के साथ, भारत पदक तालिका में 8 वें स्थान पर है। एशियाई खेलों में भारत द्वारा जीते गए यह अब तक के सबसे ज्यादा पदक हैं।

पिछले संस्करण की तरह, इस बार भी महिला एथलीटों ने अपना जोरदार प्रदर्शन किया और राष्ट्र को गौरवान्वित करने में कामयाब भी रही हैं। 4 स्वर्ण पदक और कई अन्य पदक जीतकर भारत की बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि वे बेटों से कम नहीं हैं।

राही सरनोबत – महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा (निशानेबाजी)

27 वर्षीय लड़की राही जीवन सरनोबत, ने महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में भारत को एक स्वर्ण पदक दिलाकर 22 अगस्त 2018 को इतिहास रच दिया। उसने न केवल स्वर्ण पदक ही जीता बल्कि 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में डबल शूट-ऑफ में एक नया रिकॉर्ड भी कायम किया। इस अद्भुत निशानेबाज ने कुल 34 रन बनाए और थाईलैंड की नाफस्वान यांग्पैबून के खिलाफ दो टाई ब्रेकर राउंड का सामना करते हुए, राही ने एशियाई खेल 2018 में स्वर्ण पदक हासिल किया।

राही एक अनुभवी निशानेबाज हैं और इस पदक को पाने के लिए उन्होंने बहुत कठिन प्रयास किये हैं। 2016 में इस निशानेबाज की कोहनी में गहरी चोट लग गई थी जिसके बाद वह एशियाई खेल 2018 में इस बार एक शानदार वापसी करने में कामयाब रही हैं। सरनोबत एशियाई खेल 2018 में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला निशानेबाज हैं। इतना ही नहीं वह दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2012 में एक दोहरी स्वर्ण पदक विजेता हैं और इंचियोन एशियाई खेल 2014 में एक कांस्य पदक विजेता। राही ने पूर्व 50 मीटर राइफल प्रोन विश्व चैंपियन तेजस्विनी सावंत से प्रेरणा ली। महाराष्ट्र में कोल्हापुर की निवासी, सरनोबत राही 2013 में दक्षिण कोरिया के चांगवॉन में विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय पिस्टल शूटर होने का विशेष सम्मान भी रखती हैं।

विनेश फोगाट – 50 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती                

पहलवानों के मशहूर फोगाट परिवार से संबंधित महिला विनेश फोगाट ने एशियाई खेल 2018 में एक स्वर्ण पदक जीता है। इन्होंने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल 2018 में एक और स्वर्ण पदक भी जीता था। अब, विनेश राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल दोनों में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला पहलवान बन गई हैं। विनेश ने पदक जीतने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी और उनके परिवार ने समाज के प्रतिबंधों को तोड़ने और कुश्ती में परिवार की लड़कियों को पेश करने के लिए समान प्रयास किए हैं। इसके अलावा, अपने खेल के प्रति विनेश की निरंतरता और समर्पण ने उन्हें ऐसा बना दिया कि अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में इन पदकों को जीतने के लिए उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पदक जीतने के लिए विनेश का सफर तब शुरू हुआ जब 2013 में उन्होंने एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। बाद में, विनेश ने उन्नति की और जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप 2013 में रजत पदक जीता। कुश्ती की गोल्डन गर्ल वहीं नहीं रुकी, उसने कठोर परिश्रम किया और आखिरकार 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इन पदकों के अलावा, 2014 में दक्षिण कोरिया के एशियाई खेल इंचियोन में विनेश ने कांस्य पदक और दोहा के एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता था।

स्वप्ना बर्मन – महिला हेप्टाथलन       

स्वप्ना बर्मन जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल की एक भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने हाल ही में जकार्ता में आयोजित एशियाई खेल 2018 में एक स्वर्ण पदक जीता था। इस साहसी हेप्टाथलीट की यात्रा हर्षजनक रही है। एक बेहद गरीब परिवार में प्रत्येक पैर में छः उंगलियों के साथ पैदा होना इस बहादुर लड़की को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल करने से नहीं रोक सका। स्वप्ना के पिता एक ऑटो-रिक्शा चालक थे जो स्ट्रोक से पीड़ित होने के बाद 2013 से बिस्तर पर पड़े हुए थे। पश्चिम बंगाल के चाय बागान में काम करने वाली उनकी मां ने उनके पिता की देखभाल करने के लिए नौकरी छोड़ दी। यह उनके भाई का वेतन है जोकि उनका परिवार चलाने में  सक्षम है।

एशियाई खेल 2018 में स्वप्ना की सफलता की चढ़ाई उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का नतीजा है। स्वप्ना ने अपने प्रशिक्षण के लिए धन प्राप्त करने में भी संघर्ष किया लेकिन उसने इन दिक्कतों में से किसी को भी उसे नीचे गिराने या उसके प्रदर्शन को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी। बहुत कष्ट उठाने के बाद वह हमेशा एक विजेता के रूप में उभरकर सामने आयी हैं। इस 21 वर्षीय एथलीट ने 6, 026 के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर को रिकॉर्ड करने के लिए विशेष हाई जंप , शॉट पुट और जेवेलिन जीता, हालांकि उस समय वह दांत दर्द से पीड़ित थीं, जिसका उन्हें खेल के दौरान सामना करना पड़ा था। स्वप्ना अपने प्रदर्शन के दौरान जबड़े के चारों ओर टेप लगाकर दौड़ी थीं। अब यह है कि जूता कंपनियां इस एथलीट की समस्या और 12 पैर की उंगलियों के लिए विशेष जूते डिजाइन करने के बारे में भी सोंच रही हैं।

इस स्वर्ण पदक के अलावा, उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप 2017 भुवनेश्वर और नई दिल्ली फेडरेशन कप 2017 में दो और स्वर्ण पदक जीते थे। वर्तमान में, स्वप्ना भारतीय कोलकाता में खेल प्राधिकरण परिसर में ट्रेनिंग देती हैं।

एम आर पूवम्मा, सरिताबेन गायकवाड़, हिमा दास, विस्माया – महिला रिले टीम (एथलेटिक्स)     

भारत ने एशियाई खेल 2018 में महिलाओं की 4 x 400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। महिला टीम में एम आर पूवम्मा, सरिताबेन गायकवाड़, हिमा दास और विस्माया शामिल थीं, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से और टीम में भी असाधारण प्रदर्शन किया।

एम आर पूवम्मा – एम आर पूवम्मा एथलेटिक्स के क्षेत्र में एक चमकता हुआ सितारा हो गए हैं। उन्हें अपने योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पूवम्मा ने एशियाई खेल 2018 में महिला रिले टीम स्पर्धा के अलावा विभिन्न चैंपियनशिपों में कई स्वर्ण और रजत पदक जीते हैं।

सरिता गायकवाड़

एक कृषि मजदूर की बेटी सरिता गायकवर्ड, महिलाओं की 4X400 रिले टीम के प्रतिभागियों में से एक है, जिसने 2018 में हो रहे एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया है। सरिता गायकवाड़ ने एक बार अपनी प्रशिक्षण अवधि के दौरान खेतों में नंगे पैर चलने का अभ्यास किया था। सरिता गुजरात के दूरदराज के एक आदिवासी गांव की निवासी हैं। सरिता ने एक पेशेवर के रूप में अपना कैरियर जल्दी शुरू कर दिया था। जब उन्होंने 400 मीटर की ट्रायल रेस में भाग लिया, जिसे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ गुजरात (एसएजी) द्वारा खेल में नई प्रतिभा प्राप्त करने के लिए आयोजित किया गया था। 2018 में , सरिता सरकार के आयकर अधिकारी के रूप में काम कर रही हैं।

हिमा दास

हिमा दास, हाल ही में यह नाम भारतीय परिवारों में काफी लोकप्रिय हो गया है, हिमा दास  एक किसान की बेटी है। एक छोटी सी शुरुआत के साथ आगे बढ़ने वाली इस लड़की ने पहले फिनालैंड में इतिहास रच दिया था और इस बार फिर से महिलाओं की 400 मीटर रिले में रजत पदक और 4×400 मीटर रिले में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। बिना किसी रुकावट के यह हिमा दास की संघर्षशील कहानी है। हिमा दास ऐसी जगह से है जहां दौड़ने के लिए कोई ट्रैक नहीं थे, न ही कोई अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध थीं। उन्होंने एक गंदी फुटबाल खेलने वाली जगह पर अभ्यास किया । हालांकि, सुविधाओं की इतनी कमी होने के बावजूद, हिमा दास ने रजत पदक जीता है और स्वर्ण पदक जीतने की होड़ में हैं और इसलिए  2018 के एशियाई खेलों में भारत की जीत के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

विस्माया वेल्लुवा कोरथ

एक कंस्ट्रक्शन लेवर की बेटी विस्माया ने महिला रिले टीम का हिस्सा बनकर 4×400 मीटर रिले में भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया है। वह इस अवसर के लिए कड़ी मेहनत कर रही थीं और आखिरकार वह इसके लायक थीं यह उन्होंने सच साबित कर दिखाया।

भारत की ये गोल्डन गर्ल कई भारतीय एथलीटों और उभरते युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।

 

 

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भारत की गोल्डन गर्ल- एशियाई खेल 2018 में गोल्ड जीतने वाली महिला एथलीट्स
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भारत की ये गोल्डन गर्ल कई भारतीय एथलीटों और उभरते युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।
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