मायगोव

'माईगोव' के बारे में


प्रौद्योगिकी, खासकर इंटरनेट जिससे जन सहभागिता जुटाई जा सकती है का सही इस्तेमाल राजग ने लोकसभा चुनाव के दौरान बहुत अच्छी तरह किया और ये उनके प्रचार में हाइलाइट भी हुआ। सोशल मीडिया की ताकत का भरपूर इस्तेमाल पीएमओ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य एजेंडा है। 'माईगोव' वेबसाइट की तरह के एक इंटरैक्टिव मंच की उम्मीद काफी पहले से की जा रही थी जिससे नागरिकों से जुड़ा जा सके। कोई भी भारतीय नागरिक जिसके पास ई-मेल है वो यहां खुद को साइन अप करके सरकार के किसी भी विकास अभियान में सुझावों या मदद के माध्यम से जुड़ सकता है। सरकार को लगता है कि इस वेबसाइट के जरिए वह 'सुराज्य' का लक्ष्य पा सकती है।

इलेक्ट्राॅनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग यानि डीईआईटीवाय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र यानि एनआईसी ने साथ मिलकर इस वेबसाइट को बनाया है। डीईआईटीवाय और एनआईसी इस पोर्टल का संचालन और देखरेख करते हैं। इस वेबसाइट का एक मोबाइल एप्प बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। इस वेबसाइट पर उपयोगकर्ता हिंदी और अंग्रेजी का विकल्प चुन सकता है।

आरंभ और अभिनंदन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'माईगोव' शनिवार 26 जुलाई 2014 को आरंभ की। इस दिन ही भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार को सफलतापूर्वक दो माह भी पूरे हुए थे। उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने गहरा विश्वास जताया कि हर भारतीय, चाहे देश में हो या विदेश में, भारत के प्रशासन और राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनना चाहता है। इस भागीदारी के लिए सिर्फ एक पोर्टल की आवश्यकता है जहां लोग अपने विचार बांट सकें और प्रशासन तक उन विचारों को पहुंचाने का एक मंच हो। उन्होंने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य इन विचारों या सुझावों, रचनात्मक आलोचना और भागीदारी का स्वागत करना है।

प्रधानमंत्री ने वेबसाइट के आरंभ होने के मौके पर कहा कि 'मुझे यकीन है कि मेरे देश के लोग इस पहल का स्वागत करंेगे और यह अभियान 125 करोड़ भारतीयों की ताकत और विशाल क्षमता के बूते सफल भी होगा।'

वेबसाइट के आरंभ होने पर इसे अच्छा रिस्पांस मिला। शुरु होने के दस दिन के अंदर यानि अगस्त 2014 की शुरुआत तक ही 'माईगोव' पर 1,00,000 यूज़र रजिस्टर हो चुके थे। सितंबर के मध्य तक विशाल सर्च इंजन गूगल ने भी 'माईगोव' से जुड़ने का निर्णय लिया। गूगल ने 'माईगोव' के साथ सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कई पहल की। सरकार भी समय समय पर इस पोर्टल के उपयोग को बढ़ाने के लिए सक्रिय रहती है। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री के पहले रेडियो भाषण में जो प्रश्न चुने गए वह इस पोर्टल से ही लिए गए, और मोदी ने उनका जवाब रेडियो पर दिया।

ई-गवर्नेंस
दुनिया भर के लोकतंत्र, खासकर यूरोपीय संघ और अमेरिका, प्रौद्योगिकी का तेजी से लाभ ले रहे हैं और ई-शासन को प्रशासन का अहम् हिस्सा बना रहे हैं। 'माईगोव' की शुरुआत राजग सरकार के प्रौद्योगिकी पर जोर और प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल भारत के सपने से जुड़ी है। बेहतर प्रशासन में 'माईगोव' का महत्व प्रधानमंत्री के इस पोर्टल को शुरु करने पर किये गए ट्वीट से देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने लिखा कि, ' 'माईगोव' भारत के लोगों को सशक्त बनाएगा जिससे वे सुराज्य के लिए भागीदारी कर सकें।' उन्होंने निष्पक्ष प्रशासन का अपना वादा भी 'माईगोव' के साथ एक जन शिकायत फोरम 'पीजी पोर्टल' शुरु करके निभाया।

समूह
पंजीकृत यूज़र के पास किसी भी विषय पर चर्चा करने और स्वयंसेवा के जरिए मदद करने के दो विकल्प होते हैं। अक्टूबर मध्य 2014 तक 'माईगोव' पर करीब 14 विभिन्न समूह बने हैं-
  • बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ
  • अतुल्य भारत
  • विकलांगों की देखभाल
  • रोजगार सृजन
  • स्वच्छ गंगा
  • मैला ढोने से मुक्त भारत
  • सांसद आदर्श ग्राम योजना
  • व्यय प्रबंधन आयोग
  • कौशल विकास
  • बालिका शिक्षा
  • स्वच्छ भारत
  • ग्रीन इंडिया
  • वाॅटरशेड प्रबंधन

यूज़र इन समूहों में से विभिन्न कार्य चुन सकता है और इनकी सफलता विशेषज्ञों के द्वारा जांची जाएगी। यूज़र के पास कार्य से संबंधित दस्तावेज, चित्र, वीडियो और अन्य फाइलें अपलोड करने की अनुमति होती है।

प्रतियोगिताएं
रचनात्मक सुझावों के लिए और साईट को सक्रिय रखने के लिए कई तरह की पहल और विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहती हैं। विभिन्न मंत्रालय किसी राष्ट्रीय महत्व के मौके पर या विभिन्न सरकारी विभागों की वेबसाइट के उद्घाटन पर शीर्षक, लोगो, टैगलाइन या ई-ग्रीटिंग की प्रविष्टियां मंगाते हैं। कई प्रतियोगियों में से विजेताओं को 10,000 और 50,000 रुपये तक के ईनाम मिले हैं। इस साइट के ब्लाॅग पर विजेताओं के नाम, उनकी कृतियां और अन्य विवरण नियमित रुप से प्रकाशित होते हैं। इन प्रतियोगिताओं की पहल बहुत सफल रही है और बड़ी संख्या में उत्साही लोगों की प्रविष्टियां भी मिली हैं। इससे लोगों ने सरकारी गतिविधियों में बहुत रुचि दिखाई है।

आलोचना और चिंताएं
'माईगोव' में शुरु से ही कई तकनीकी समस्याएं पैदा हो गईं। शुरु होने के एक दिन के बाद ही कई लोग साइन अप नहीं कर पाए और एरर का संदेश मिलने लगा। इससे कई लोग यहां यूज़र नहीं बन सके। हालांकि कोई भी गड़बड़ी बहुत बड़ी नहीं थी और साइट की क्षमता को यूज़र संख्या बढ़ने पर हर माह जांचा जाता है।

आंकड़े
साइट: उलहवअण्दपबण्पद
स्लोगन: मेरा देश, मेरी सरकार, मेरी आवाज
भागीदारी: पंजीकरण के द्वारा
भाषाएं: हिंदी और अंग्रेजी
आरंभ: 27 जुलाई 2014
प्रबंधन: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा प्रबंधन

अंतिम संशोधन : नवंबर 12, 2014