स्वच्छ भारत अभियान

Swachh Bharat Abhiyan in Hindi - स्वच्छ भारत अभियान

स्वच्छ भारत अभियान के बारे में


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 महात्मा गांधी की जयंती पर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की। स्वच्छ भारत अभियान या ‘क्लीन इंडिया केंपेन’ देश का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है। प्रधानमंत्री ने हर भारतीय से इस मिशन में शामिल होकर इसे सफल बनाने की अपील की है। विश्व बैंक ने 1,500,000,000 डॉलर का ऋण भारत स्वच्छता अभियान के लिए मंजूर किया है, इसके लिए ३० मार्च २०१६ को भारत सरकार और विश्व बैंक ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये।

इस अभियान को क्यों शुरु किया गया?
यह कहते हुए बड़ा दुख होता है कि देश में लोगों का खुले में शौच करना एक बड़ी समस्या है। भारत में 72 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण लोग शौच के लिए झाडि़यों के पीछे, खेतों में या सड़क के किनारे जाते हैं। इससे अन्य कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे बच्चों की असमय मौत, संक्रमण और बीमारियों का फैलना और सबसे अहम सुनसान स्थान पर शौच के लिए गई युवतियों का बलात्कार। भारत की आबादी 1.2 बिलियन है और उसमें से करीब 600 मिलियन लोग या 55 प्रतिशत के पास शौचालय नहीं है। उन ग्रामीण इलाकों में जहां शौचालय है वहां भी पानी की उपलब्धता नहीं है। शहरों में झुग्गी में रहने वालों के पास ना तो पानी की आपूर्ति है ना शौचालय की सुविधा।

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता संबंधी और खुले में शौच की इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखकर यूपीए सरकार ने सन् 1999 में निर्मल भारत अभियान शुरु किया था। इस अभियान में सन् 2012 तक सार्वभौमिक घरेलू स्वच्छता का लक्ष्य स्थापित किया गया। यह सन् 1991 में शुरु किए गए टोटल सेनिटेशन केंपेन का अभिन्न हिस्सा था। हालांकि निर्मल भारत अभियान अपने लक्ष्य को हासिल ना कर सका। निर्मल भारत अभियान को वर्तमान सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान में बदलकर पेश किया है। इसका लक्ष्य भारत में खुले में शौच की समस्या को रोकना, हर घर में शौचालयों का निर्माण करना, पानी की आपूर्ति करना और ठोस और तरल कचरे का उचित तरीके से खात्मा करना है। इस अभियान में सड़कों और फुटपाथों की सफाई, अनाधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाना शामिल हैं। इस सबके अलावा इस अभियान में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना भी शामिल है।

यह कब पूरा होगा?
भारत सरकार ने राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, निगमों और सक्रिय लोगों की भागीदारी से स्वच्छ भारत अभियान को सन् 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। महात्मा गांधी ने हमेशा स्वच्छता पर बहुत जोर दिया। उनका कहना था कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरुरी है। वह भारत को स्वच्छ भारत के तौर पर देखना चाहते थे। वह ग्रामीण लोगों की दयनीय हालत से पूरी तरह वाकिफ थे। भारत की आजादी को 67 साल हो गए पर अब भी देश की आधी से ज्यादा आबादी के पास उचित शौचालय नहीं है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर भारत सरकार महात्मा गांधी के इस सपने को पूरा करना चाहती है और देश को सन् 2019 तक साफ करना चाहती है। सन् 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है

सरकार के प्रयास
स्वच्छ भारत अभियान को सही तरीके से लागू करने के लिए 19 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। इस समिति के अध्यक्ष वैज्ञानिक रघुनाथ अनंत माशेलकर हैं। माशेलकर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक हैं। समिति विभिन्न राज्यों में स्वच्छता और पानी की सुविधा देने के सबसे श्रेष्ठ और आधुनिक तरीकों पर सुझाव देगी। यह सुझाव सस्ते, टिकाउ और उपयोगी होंगे। 2 अक्टूबर 2014 को जब पीएम ने यह अभियान शुरु किया तब उनके साथ पार्टी अधिकारी, बाॅलीवुड कलाकार आमिर खान, हजारों सरकारी कर्मचारी, स्कूल और काॅलेज के छात्र थे। प्रधानमंत्री को उनके कैबिनेट मंत्रियों का भी भरपूर सहयोग मिला। इसे जनआंदोलन बनाने के लिए उन्होंने नौ लोगों को सफाई की चुनौती लेने के लिए नामांकित किया, जिनमें प्रियंका चोपड़ा, शशि थरुर, सचिन तेंदुलकर और अनिल अंबानी शामिल हैं। इन नौ लोगों को और नौ लोगों को यह चुनौती देनी होगी। इस प्रकार इससे लोग जुड़ते जाएंगे। इन लोगों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और अन्य लोगों से जुड़ने की अपील की है।

इस मुहिम में कुछ राज्यों ने भी भाग लिया है और कई अन्य कार्यक्रम और योजनाएं इस अभियान को सफल बनाने के लिए तैयार की जा रही हैं।

परियोजना का क्रियान्वयन

स्वच्छ भारत अभियान के दो उप अभियान हैंः
  • स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण
  • स्वच्छ भारत अभियान शहरी

इन दो उप अभियानों के लिए पेयजल और स्वच्छता और ग्रामीण विकास के मंत्रालय ग्रामीण इलाकों में इसकी जिम्मेदारी लेंगे और शहरी विकास मंत्रालय शहरों में इस मिशन की देखभाल करेगा।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण विकास मंत्रालय हर गांव को अगले पांच सालों तक हर साल 20 लाख रुपये देगा। इस अभियान के तहत सरकार ने हर परिवार में व्यक्तिगत शौचालय की लागत 12,000 रुपये तय की है ताकि सफाई, नहाने और कपड़े धोने के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति की जा सके। अनुमान के मुताबिक पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा इस अभियान पर 1,34,000 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

स्वच्छ भारत अभियान के लिए शहरी क्षेत्र में हर घर में शौचालय बनाने, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाने, ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करने और 4,041 वैधानिक कस्बों के 1.04 करोड़ घरों को इसमें शामिल करने का लक्ष्य है। इसमें सार्वजनिक शौचालय की दो लाख से ज्यादा सीट, सामुदायिक शौचालय की दो लाख से ज्यादा सीट मुहैया कराने और हर कस्बे में ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करना शामिल है। वह कुछ क्षेत्र जिनमें घरेलू शौचालय बनाने में समस्या है वहां सामुदायिक शौचालय बनाए जाएंगे। आम स्थानों जैसे बाजार, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन के पास, पर्यटक स्थलों पर और सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों पर सार्वजनिक शौचालय की सुविधा दी जाएगी।

शहरी विकास मंत्रालय ने इस मिशन के लिए 62,000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं।

पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 1,96,009 करोड़ रुपये है। इस राशि से देश में 12 करोड़ शौचालय बनाए जाएंगे। ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालयों ने धार्मिक गुरुओं और समूहों जैसे श्री श्री रविशंकर और गायत्री परिवार से स्वच्छ भारत अभियान में शामिल होने का अनुरोध किया है।

स्वच्छ भारत अभियान के प्रमुख मुद्दे



  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शहरी भारत में हर साल 47 मिलियन टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि 75 प्रतिशत से ज्यादा सीवेज का निपटारा नहीं होता है। ठोस कचरे की रिसाइकलिंग भी एक बड़ी समस्या है। भविष्य में बड़ी समस्या से बचने के लिए इन मुद्दों का निपटारा आज किया जाना जरुरी है।
  • ग्रामीण भारत में साफ सफाई की कमी एक बड़ी चुनौती है।
  • एक अन्य बड़ी चुनौती लोगों की सोच बदलना है। हमारे देश के लोग सड़क पर कचरा ना फेंकना कब सीखेंगे? या लोग खुद को और अपने इलाके को साफ रखना कब सीखेंगे?

स्वच्छता की कमी की समस्या इतनी विकराल है कि सन् 2019 तक का प्रधानमंत्री का लक्ष्य पूरा हो पाएगा इसका आश्चर्य होता है ?

विवाद
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को देश और विदेशों में सराहा गया है पर इससे कुछ विवाद भी जुड़े हैं। इससे मिलते जुलते अभियान पहले भी शुरु किए गए पर वह सफल नहीं हुए, जैसे उदाहरण के तौर पर निर्मल भारत अभियान। विवाद इसलिए भी उठा क्योंकि स्वच्छ भारत अभियान यूपीए के निर्मल भारत अभियान जैसा ही है। उस समय भी बहुत धन उसमें लगाया गया था। उससे क्या हासिल हुआ? वह सारा पैसा कहां गया?

सच तो यह है कि ऐसे अभियान पर विवाद पैदा नहीं होने चाहिये। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान को राजनीति से परे और देशभक्ति से प्रेरित बताया था।

निष्कर्ष
सिर्फ अभियान शुरु करना ही काफी नहीं है, परिणाम मायने रखता है। सिर्फ सरकार इसे सफल नहीं बना सकती, लोगों की भागीदारी सबसे जरुरी है। इस कार्यक्रम के लिए विस्तृत ब्लू प्रिंट बनाना जरुरी है। समग्र तरीके से स्वच्छ भारत अभियान को लागू करने, सरकार और लोगों के प्रयासों से आने वाले सालों में भारत अवश्य एक स्वच्छ देश बन सकता है।

स्वच्छ भारत अभियान: तथ्य और आंकड़े

  • परियोजना की लागत: 1,96,009 करोड़ रुपये
  • परियोजना शुरु होने की तारीख: 2 अक्टूबर 2014
  • परियोजना खत्म होने की तारीख: 2 अक्टूबर 2019
  • परियोजना में शामिल मंत्रालय: शहरी विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, निगम आदि।
  • परियोजना का लक्ष्य: भारत को पांच सालों में गंदगी से मुक्त देश बनाना। ग्रामीण और शहरी इलाकों में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाना और पानी की आपूर्ति करना। सड़कें, फुटपाथ और बस्तियां साफ रखना और अपशिष्ट जल को स्वच्छ करना।

अंतिम संशोधन : नवम्बर 19, 2016