मृणालिनी सदानंद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक कुचीपुड़ी (दक्षिण भारत का एक नृत्य) नर्तकी हैं, जो कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य है। वह एक प्रतिष्ठित शिक्षिका और एक उत्कृष्ट कोरियोग्राफर भी हैं। मृणालिनी सदानंद कलाकारों के परिवार में पैदा हुई हैं। उनके सभी सात भाइयों और बहनों ने किसी न किसी कला क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके पिता विन्जामुरी पार्थसारथी अय्यंगर एक प्रतिष्ठित वकील थे, लेकिन संगीत में उनकी गहरी दिलचस्पी थी और उन्हें वायलिन बजाना पसंद था। उनकी माँ श्रीमती कमला देवी एक गृहिणी और एक उत्कृष्ट वायलिन वादक थी।

मृणालिनी सदानंद ने बहुत छोटी सी उम्र में नृत्य सीखना शुरू कर दिया था। कई गुरुओं द्वारा उनको संगीत का प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें डॉ. वेंपति चिन्ना सत्यम, बुर्रा सुब्रह्मण्यम शास्त्री, चिंता राधा कृष्णमूर्ति, आदिनारायण शर्मा, महाकाली सूर्य नारायण, सत्य प्रिय रमण और स्वयं उनकी बहन श्रीमती हेमलता नरम्हा चारी जैसे महान नाम शामिल हैं। इन शिक्षकों के अलावा, उनके नाटक के शिक्षक श्री मंडपती रामलिंगेश्वर राव के योगदान को भी भूला नहीं जा सकता है, जिन्होंने नृत्य में चेहरे की अभिव्यक्ति के महत्व को समझाया जिसके लिए वह बहुत प्रसिद्ध हैं।

मृणालिनी सदानंद का विवाह डॉ. के सदानंद से हुआ, जिनके (डॉ. के सदानंद) पिता श्री कुंतीमद्दी सेशशर्मा और मां जया लक्ष्मी दोनों तेलगू और संस्कृत के बहुत ही महान विद्वान थे। मृणालिनी सदानंद के पति हमेशा उनका साथ देने वालों में से थे और उनके सपनों को पूरा करने में उन्होंने पूर्ण सहयोग दिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में जाने के बाद भी उनके नृत्य के जुनून को जारी रखने दिया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़े पैमानों पर यात्रा की और कई स्थानों पर जाकर अपने नृत्य का प्रदर्शन भी किया। कुछ वर्षों के बाद उन्होंने एक प्रतिभाशाली शिक्षक की भूमिका भी अदा की और अपनी प्रभावशाली कला को अनगिनत युवाओं को प्रदान किया। वाशिंगटन महानगर के डीसी क्षेत्र में, वह गांधी मेमोरियल सेंटर और चिन्मय मिशन में स्वयंसेवक शिक्षिका थीं और इन संस्थानों में केवल सात साल के लिए ही पढ़ाया जाता था।

1993 में, मृणालिनी सदानंद ने वाशिंगटन मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में नृत्य और संगीत संस्थान कलामंदापम की स्थापना की। यह संस्थान बच्चों को कुचीपुड़ी नृत्य, वायलिन की ध्वनि पर कर्नाटक नृत्य, कीबोर्ड और योग के सिद्धांतो पर भी बच्चों को प्रशिक्षित करता है। यह गैर-लाभकारी भारतीय शास्त्रीय संस्था “गुरुकुल” के सिद्धांतों पर आधारित है। एक प्रकार से कहा जाए तो यह नृत्य संस्था अपने समूह निर्माणों के लिए जानी जाती है जैसे- “भारत सम्भवम”, “द एडवेंट एंड ग्लोरी ऑफ इंडिया” वाशिंगटन डीसी के प्रसिद्ध जॉन एफ. कैनेडी सेंटर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स,  बेल्टस्वीले मैरीलैंड में “सर्वम विष्णु मयम”, गैथेरबर्ग मैरीलैंड में समभवामि युगे युगे और सबसे पुराने समय का महान महाकाव्य “रामायण” और मैरीलैंड में शिव विष्णु मंदिर आदि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *