डॉ. एल. सुब्रमण्यम एक प्रतिष्ठित तमिल वायलिन वादक और संगीतकार हैं। वह कर्नाटक और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के प्रशिक्षक माने जाते हैं और इन्होंने फ्यूजन ऑर्केस्ट्रल (सम्मिश्रित वाद्य यंत्र) संगीत रचना में अपनी एक अगल पहचान बना ली है।
डॉ. एल. सुब्रमण्यम का जन्म संगीतकारों के एक तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता वी. लक्ष्मीनारायण और उनकी माँ वी. सेठ लक्ष्मी अपने समय के कुशल संगीतकार थे। एल. सुब्रमण्यम ने पहली बार दस वर्ष की आयु में लोगों के समक्ष अपने अभिनय का प्रदर्शन किया था। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की है, लेकिन बाद में उन्होने वायलिन वादक बनना पसंद किया।
डॉ. एल. सुब्रमण्यम ने आदरणीय चेम्बई वैद्यनाथ भगवतार व कर्नाटक संगीत के कई प्रसिद्ध व्यक्तित्वों के साथ अपने अभिनय का प्रदर्शन किया। उन्होंने पालघाट मणि अय्यर के साथ मृदंग भी बजाया और उन्होंने दक्षिण पूर्व एशियाई कलाकारों के साथ भी मिलकर काम किया है।
इस ‘वायलिन चक्रवर्ती’ ने ‘सलाम बॉम्बे’ और ‘मिसिसिपी मसाला’ जैसी विदेशी फिल्मों के लिए संगीत की भी रचना की है, जिसका निर्देशन न्यूयॉर्क आधारित फिल्म निर्देशक, भारत में जन्मी मीरा नायर ने किया है। उन्होंने बर्नार्डो बर्टोलुची की फिल्म ‘लिटिल बुद्ध’ और मर्चेंट आइवरी की फिल्म ‘कॉटन मैरी’ के लिए भी संगीत दिया है।
वर्ष 1981 में उन्हें ग्रेमी पुरुस्कार से नवाजा गया था। वह पद्म श्री (वर्ष 1988) और पद्म भूषण (वर्ष 2001) जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
विश्व संगीत के संयोजन के प्रति उनकी प्रतिभा स्पष्ट हो गई, जब उन्होंने न्यूयार्क संगीत-प्रेमी के लिए जुबिन मेहता के साथ ‘फैन्टेसी ऑन वैदिक चैट’ (‘वैदिक मंत्र पर कल्पना’) जैसे ऑर्केस्ट्रा (सम्मिश्रित वाद्य यंत्र) का निर्माण किया। उन्होंने बर्लिन ओपेरा के साथ ‘ग्लोबल सिम्फनी’ (वैश्विक स्वर एकता) का भी निर्माण किया।
इस बहुमुखी संगीतकार ने कर्नाटक फिल्म संगीत और हॉलीवुड फिल्म पर किताबें भी लिखी हैं। उनके भाई एल. शंकर एक प्रसिद्ध वायलिन वादक हैं। वह वर्तमान में एक कुशल पार्श्व गायिका, कविता कृष्णमूर्ति के साथ विवाह के गठबंधन में बंध चुके हैं।
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