प्रसिद्ध चित्रकार एम.एफ. हुसैन अब हमारे बीच नहीं हैं। आधुनिक भारत के प्रसिद्ध कला चित्रकार एम.एफ. हुसैन का निधन लंदन में 8 जून 2011 दिन गुरुवार को हुआ था। वह 95 वर्ष के थे। ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध चित्रकार की मौत लंदन के रॉयल ब्रॉम्पटन हॉस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी। हुसैन दुबई और लंदन के अपने स्व-निर्माणित सदन में रहते थे और उन्होंने अपने चित्रों में कुछ नग्न हिंदू देवताओं की चित्रकारियों को गैर पारंपरिक तरीकों से दर्शाया था, जिसके कारण उन्हें कुछ हिन्दू लोगों से धमकियाँ भी मिलीं थी। निश्चित रूप से कहे तो एम.एफ. हुसैन दुनिया के सबसे प्रशंसित चित्रकारों में से एक थे। वह दुनिया भर में भारत की कला और चित्रकारी के क्षेत्र की स्थिति के नक्शे को सुरक्षित करने में कामयाब रहे हैं।

एम.एफ. हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ था और 1940 के दशक में वह एक प्रसिद्ध कलाकार के रूप में उभरकर लोगों के सामने आए थे। वह वर्ष 1947 में फ्रांस के न्यूटन सूजा द्वारा स्थापित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने इस समूह में बंगाल में कला के विद्यालय की राष्ट्रवादी परंपराओं को तोड़ने की इच्छा रखने वाले, कुछ युवा कलाकारों को भी शामिल किया था और वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों को बढ़ावा देने में भी कामयाब रहे थे।

हुसैन की सबसे पहली प्रदर्शनी ज्यूरिख में प्रदर्शित हुई और अगले कुछ वर्षों में वह अपने काम के कारण यूरोप और अमेरिका में भी काफी लोकप्रिय हो गए थे। वर्ष 1955 में भारत सरकार ने हुसैन को प्रतिष्ठित पुरुस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया था और फोर्ब्स पत्रिका ने एम.एफ. हुसैन को “भारत के पिकासो” से संबोधित किया

था। चित्रकार होने के अलावा, हुसैन एक फिल्म निर्माता भी थे और उन्होंने “मिनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज” और “थ्रू आइज ऑफ अ पेंटर” जैसी कई बहुचर्चित फिल्में बनाई, जिसके परिणाम-स्वरूपवह बर्लिन फिल्म समारोह में गोल्डन बियर पुरस्कार को अपने नाम करने में सफल हुए थे। समाज के अमीर और संभ्रांत लोगों ने भी हुसैन की चित्रकारी, रेखाचित्रों और कला के काम की काफी सराहना की है।

सम्बंधित लोग
अमृता शेरगिल एम.एफ. हुसैन
जामिनी रॉय
अन्य
गुलजार सोनल मानसिंह
एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी

 

 

 

 

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