भारत के सबसे प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को पश्चिम बंगाल के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। एक प्रख्यात वकील के बेटे, पंडित रविशंकर 10 साल की उम्र में पेरिस चले गए। उनके बड़े भाई उदय शंकर उस समय के एक प्रसिद्ध नर्तक थे। रवि शंकर ने अपने भाई की मंडली के लिए सितार बजाना शुरू कर दिया।

1938 में, पंडित रवि शंकर ने अपने गुरु अलाउद्दीन खान की निगरानी में सितार बजाने का औपचारिक प्रशिक्षण लेना शुरू किया। अपना प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह 1950 के दशक में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निर्देशक बने।

पंडित रविशंकर ने 1953 में सोवियत संघ में प्रदर्शन किया और फिर उसके बाद 1956 में वह अपना कार्यक्रम करने के लिए पश्चिम गए। एडिनबर्ग फेस्टिवल और रॉयल फेस्टिवल हॉल जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में उनके उम्दा  प्रदर्शन के परिणामस्वरूप भारत के बाहर भी प्रशंसा  होने लगी और वह दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गये। पंडित रवि शंकर ने शहरी संगीत प्रस्तुतियां लिखी हैं और तीन यादगार संगीत प्रस्तुतियां मॉनटेरी पॉप फेस्टिवल, कंसर्ट फॉर बांग्लादेश और वुडस्टॉक फेस्टिवल दी हैं।

पंडित रविशंकर भारत, कनाडा, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में फिल्मों और नृत्यनाटक के संगीत से जुड़े हुए हैं, जिसमें बीटल्स में से एक जॉर्ज हैरिसन को सितार सिखाना भी शामिल है। उन्हें फिल्म “गांधी” में अपने संगीत के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। उन्होंने फिलिप ग्लास पैसजेज और ओरियन के लिए भी संगीत दिया है।

इस प्रसिद्ध सितार वादक को चौदह डॉक्टरेट और डिसिकोट्टम सहित दुनिया भर से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म विभूषण दो ग्रैमी पुरस्कार, जापान का ग्रांड फुकुओका पुरस्कार और ‘ग्लोबल एंबेसडर’ के शीर्षक के साथ दावोस से क्रिस्टल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

भारत के यह संगीत राजदूत संयुक्त राष्ट्र अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स के एक सम्मानित सदस्य थे और अमेरिकी संगीतकारों के अंतर्राष्ट्रीय मंच के भी सदस्य थे।

11 दिसंबर, 2012 को प्रसिद्ध पंडित रविशंकर का 92 वर्ष की आयु में सैन डिएगो में निधन हो गया था। सांस लेने में कठिनाई की समस्या के कारण, उनको स्क्रिप्प्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में शाम 4:30 बजे के आस-पास वह इस संसार से विदा हो गये।

रवि शंकर फाउंडेशन द्वारा एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि “पिछले साल से पंडित रविशंकर ऊपरी श्वसन और हृदय रोग से पीड़ित थे, इसलिए इनके हर्ट-वाल्व बदलने के लिए सर्जरी हुई थी। हालांकि सर्जरी सफल रही, लेकिन 92 वर्षीय संगीतकार के लिए स्वास्थ्य लाभ होना बहुत मुश्किल साबित हुआ।

पश्चिम में भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय सितार वादक पंडित रवि शंकर को जाता है। उनके शास्त्रीय संगीत और कई अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनकी सहभागिता के कारण उनको पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्धि और प्रशंसा मिली।

पंडित रवि शंकर ने अपनी विरासत (संगीत) को अपनी पत्नी सुकन्या राजन और बेटी, अनुष्का शंकर और नोरा जोन्स को दिया है।

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